– पर्यटन को मिल सकता है बढ़ावा
– रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे
नागपुर :- चंद्रपुर तहसील के वरोरा नगर परिषद के अंतर्गत ग्राम पंचायत भटाड़ा गांव में हेमाड़ पंथी वास्तुकला के अति प्राचीन महादेव मंदिर व भवानी माता मंदिर स्थापित है। विशेषता यह है की महादेव मंदिर गांव के द्वार पर है तथा भवानी माता मंदिर गांव के बाहर दूसरे छोर पर है। मंदिर रेतीले पत्थरों से बने है। यहां के पुराने घर भी इन्ही पत्थरों से बने है। इन मंदिरों की कई कहानियां यहां बताई जाती है।
हाल ही पुरातत्व विभाग ने इन मंदिरों का सर्वे कर इनकी दुरुस्ती का प्रस्ताव बनाया है। गांव वालों ने जानकारी दी की इस वास्तु कला को पुनर्स्थापित करने हेतु सरकार की ओर से निधि उपलब्ध कराया गया है। आस पास मंदिर की कई एकड़ जमीन है।
यहां स्थित महादेव मंदिर की वास्तु को देख कर ही उसकी प्राचीनता का अनुभव होता है। यहां विशाल शिवलिंग बना है। जो करीब दस फीट लम्बा व छह फीट चौड़ा है। संभवता इतना बड़ा प्राचीन शिव लिंग कही होने की जानकारी नहीं है। लेकिन इस गांव भटाड़ा में यह मंदिर में स्थापित है।
शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा कुछ खंडित नजर आता है। साथ ही मंदिर के बाहर कई प्राचीन अलग अलग देवताओं की प्रतिमाएं खंडित रखी है।
यहां के गांव वालो से इस संबंध में जानकारी ली तो पता चला मंदिर से १०० मीटर की दूरी पर २० फीट गहरा पथरी से बना कुआ है। जिसमें का पानी किसी भी मौसम में खत्म नहीं होता। साथ ही इस कुएं से मंदिर के नीचे तक सुरंग होने की भी जानकारी दी। यहां शिवरात्रि के समय विशाल मेला लगता है।
भवानी माता का मंदिर
भवानी माता मंदिर गांव के बाहर दूसरे छोर पर है। इसकी वास्तुकला भी हेमाड पंथी ही है। पत्थरों पर कुरेदकर विभिन्न देवताओं की प्रतिमाएं बनाई गई है। पूरा मंदिर व उसकें स्तंभ बड़े बड़े पत्थरों से बगैर किसी सामग्री के एक दूसरे पर पत्थरों को रखकर बनाया गया है। गांव में भवानी माता की भी बड़ी मान्यता है। गांव में कोई भी शुभ कार्य करना हो तो पहले भवानी माता को ही पूजा जाता है। उसके बगैर कोई काम पुरा नही होता है। यहां नवरात्र उत्सव के दौरान मेला लगता है। दूर दूर से लोग यहां दर्शन हेतु आते है।
महाराष्ट्र सहित विदर्भ में हेमाड़ पंथी मंदिरों का भी इतिहास रहा है। यहां विकास की बहुत संभावनाएं है। पर्यटन क्षेत्र के रूप इसका विकास होना चाहिए।
पहुंचने का मार्ग
इस गांव में पहुंचने के लिए दो रास्ते है। पहला चंद्रपुर रोड पर वरोरा से पहले टेंभूर्डा गांव से एक रस्ता इस गाँव की तरफ आता हैं करीब 15 किलोमीटर पर यह गांव स्थित है। उसी तरह वरोरा – चिमूर रोड पर स्थित शेगांव से भी भटाड़ा गांव तक पहुंचा जा सकता है।
हेमाडपंती स्थापत्य शैली
हेमाडपंती शैली का उल्लेख प्रमुख भारतीय स्थापत्य शैली में से एक के रूप में किया गया है। हेमाद्री पंडित या हेमाडपंत, जो 1259 से 1274 तक देवगिरी के यादव साम्राज्य के प्रमुख थे, ने महाराष्ट्र और दक्कन के पठार में कई जगहों पर इस प्रकार के निर्माण का इस्तेमाल किया और इस निर्माण पद्धति को उनके बाद हेमाडपंती के नाम से जाना जाने लगा। मंदिरों के निर्माण की हेमाडपंती शैली जीवित रही और इस प्रकार अभी भी विद्वानों के लिए उपलब्ध है।
आम तौर पर, भवन निर्माण में उपयोग किए जाने वाले पत्थरों को चूने या अन्य समान सामग्रियों से भरे बिना अलग-अलग कोणों पर काटा जाता है, और खूंटी और खांचे के साथ कसकर फिट करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। मंदिरों जैसी संरचनाओं में, आधार से ऊपर तक, ये इंटरलॉकिंग पत्थर एक साथ खड़े होते हैं और टिकाऊ होते हैं। वेरुल में घृष्णेश्वर मंदिर, औंधा नागनाथ में मंदिर वास्तुकला की हेमाडपंती शैली के कुछ उदाहरण हैं।
– डॉ. प्रवीण डबली,नागपुर