मानधन नहीं काम नहीं
मनपा चाहे तो हर घर 10 रूपए देकर आशा से कराये सर्वेक्षण
नागपुर – यह बहुत ही खेद की बात है कि क्षयरोग का सर्वेक्षण करने हेतु “आशा” बहनो पर जोर जबरदस्ती की जा रही है जबकि इस सर्वेक्षण में मानधन के बारे में कुछ नहीं कहा जार रहा है. जिससे आशा बहनो में काफी रोष है. इस चिलचिलाती गर्मी में शासन आशा बहनो से काम तो करवाना चाहती है लेकिन काम के दाम नहीं देना चाहती. केंद्र सरकार द्वारा शहर में क्षयरोग के लक्षण से ग्रसित रुग्णो को पता लगाने हेतु सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया और यह सर्वेक्षण आशा बहनों के माध्यम से किया जाना है. लेकिन इस कार्य के लिए मानधन ही नहीं दिया जाने वाला है अतः नागपुर महानगर पालिका अस्थायी आरोग्य कर्मचारी संगठन (आशा विभाग) की ओर से आज सोमवार दिनांक 4 अप्रैल को एक शिष्टमंडल नरेंद्र बहिरवार आरोग्य अधिकारी नागपुर महानगर पालिका से मिला एवं ज्ञापन सौंपा.
चर्चा के दौरान स्पष्ट हुआ कि इस काम के लिए कोई मानधन शासन ने अभी तक तय नहीं किया और यह सर्वे आशा बहनों के माध्यम से ही किया जाना है.अतः यूनियन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आशा बहने बिना किसी प्रोत्साहन भत्ते के काम नहीं करेगी इसके बावजूद अगर नागपुर महानगर पालिका को यह सर्वेक्षण आशा बहनों के माध्यम से करवाना हो तो प्रत्येक “आशा” को हर घर के पीछे कम से कम ₹10 दिए जाने चाहिए. प्रतिनिधिमंडल में यूनियन के अध्यक्ष भाई जम्मू आनंद, रेशमा अडागले, ज्योति कावरे, श्रेया वासनिक, यमुना टेकाम, सुधा खेड़कर, देविना रेंड़के, संगीता टेकाम, वैशाली डंगाले तथा मिलिंद उके आदि का समावेश था.
चर्चा के दरम्यान डॉ. अश्विनी, राष्ट्रिय आयग्य मिशन नागपुर महानगर पालिका क्षेत्र की शहर प्रकल्प प्रबंधक है. मीटिंग में यूनियन ने स्पष्ट रूप से आरोग्य अधिकारी डॉ. बहीरवार को कहा की आशा बहनों को किसी प्रकार का निर्देश सिर्फ और सिर्फ शहरी प्राथमिक आरोग्य केंद्र के वैद्यकीय अधिकारी के ही माध्यम से दिया जाए. आशा बहनों को वर्तमान में जो चाहे वह निर्देश देते हैं जिससे बड़े पैमाने पर उलझन निर्माण हो रहा है.
कुछ संघटनो के द्वारा जानबूझकर आशा बहनों एवं परिचारिका के बीच में वैमनस्य पैदा करने की कोशिश की जा रही है और खासकर के क्षयरोग का सर्वेक्षण को लेकर आशा बहनों की दिशा भूल की जा रही है. वास्तविकता यह है की क्षयरोग का सर्वेक्षण आशा बहनों को ही करना है लेकिन इस काम के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार का प्रोत्साहन भत्ता जाहिर नहीं किया अतः आशा बहनो को बिना प्रोत्साहन भत्ता के कोई भी काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.