– शादी के मौसम के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को अप्रत्याशित बढ़ावा मिलेगा: कैट
नागपूर :- अर्थशास्त्र मानव के खर्च करने के तरीके, अपनी सीमित आय से कैसे पूरी करता है उसी का अध्ययन है। भारतीय अर्थव्यवस्था, उत्सव सनातन धर्म और हमारे पारंपरिक आदि का आपस में इतना अच्छा मिश्रण है कि यह एक दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए मददगार होता है। सनातन धर्म के अनेकों संस्कार मैं से सबसे महत्वपूर्ण है विवाह संस्कार साल भर में विवाह करने के अलग-अलग मौसम आते। 12 नवंबर देवउठनी एकादशी से नया लगन मुहूर्त शुरू हो रहा है। यह मुहूर्त 12 नवंबर से शुरू होकर 16 दिसंबर तक चलेगा। नवंबर माह में कुल 10 दिन का मुहूर्त है और दिसंबर माह में ८ दिन। इस के बाद मल माह लग जाने के कारण जनवरी मध्य से विवाह शुरू होंगे ज जो मार्च के मध्य तक चलेंगे यह पूरा समय व्यापारी अतिरिक्त व्यापार को देखा है ठंड रहने के कारण इस समय खर्चा भी अधिक होता है।
देशभर के व्यापारी वर्ग ने आगामी शादी मौसम में एक अद्भूतपुर व्यापारिक उछाल की तयारी शुरू कर दी है जो 12 नवंबर 2024 से शरू हो रहा है कॉन्फ़िगरेशन ऑफ़ आलइंड नई दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार इस शादी के मौसम में देश के खुदरा क्षेत्र में जिसमें वस्तुएं और सेवाएं दोनों शामिल है से लगभग 5.9 लाख करोड रुपए का व्यापार होने की उम्मीद है। इस वर्ष शुभववाह तिथियां की सख्या में वृद्धि से व्यापार में उल्लेखनीय उछाल आने की संभावनाए हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कैट के अध्ययन से यह स्पष्ट हआ है की उपभोक्ता अब भारतीय वस्तुओं को प्राथमिकता दे रहा है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को मजबूती मिल रही है। विदेशी सामान की तुलना में भारतीय उत्पादकों की मांग में भारी वद्धि देखी जा रही है जो देश में भारतीय उत्पादकों के उज्जवल भविष्य की ओर इशारा करता है।
हम हमारे क्षेत्र के व्यापार का अध्ययन करें तो समझ में आएगा कि सीजीएसटी और सीजीएसटी के कर का संग्रह देखें तो हमारा प्रति माह लगभग ₹ 8 से 9 हजार करोड़ का व्यापार है। यह हमारा साधारण व्यापार ही है। इसमें अगर शादीब्याह के अतिरिक्त खर्च जुड़ जाएं तो व्यापार कितना मिल सकता है।
हमारे क्षेत्रमें लगभग 1200 रेस्टोरेंट, ५०० बैंक्वेट हॉल और १०० लगभग छोटे-मोटे लॉन जहां शादी होती है। ऐसे लगभग कुल 2000 स्थान ऐसे हैं जहां शादी विवाह का कार्य होता है। 18 दोनों का शुभ विवाह दिन में करीब 30 हजार से 35000 शादियां हमारे यहां इस मौसम में होगी।
बी सी भरतीया ने बताया कि शादियों के खर्चों का विश्लेषण करे तो हम देखेंगे तो समझ में आएगा रु 5 लाख से ₹25 लाख तक की 40% शादियों में खर्च होता है। २५ से ५० लाख का खर्च ३०%, ₹ 50 लाख से एक करोड़ तक 20% और एक करोड़ से ज्यादा बाकी शादियों में होता है।
भरतीया ने बताया की शादी के खर्चों में वस्तुओं और सेवाओं पर जो खर्च होता है उसमें प्रमुखता से आभूषण 15%, वस्त्र, साड़ियां, लहंगे और परिधान १०%, इलेक्ट्रॉनिक विद्युत उपकरण और उपभोक्ता टिकाऊ सामान, सुखमेव मेवे, मिठाइयां और नमकीन, किराने का समान, सब्जियां, उपहार, वास्तु अन्य सामन। सेवाओं में जो खर्च होते है उनमें बैंक्विट हॉल, होटल और शादी का स्थल, इवेंट मैनेजमेंट, टेंट डेकोरेशन, खानपान, फूलों की सजावट, परिवहन फोटोग्राफी, वीडियो ग्राफी, लाइट और साउंड वह अन्य सेवाएं। इस साल से एक नया ट्रेड शादी में सोशल मीडिया सेवाओं पर खर्च जुड़ गया है।
शादी के खर्चों में बच्चा बच्ची को रोकने से लेकर प्री वेडिंग शूट से लेकर हनीमून तक का पूरा खर्चा एक बहुत बड़ा रूप ले रहा है हमारे विदर्भ में फॉरेस्ट टूरिज्म हो जाने की वजह से काफी नव विवाहित आकर्षित हो रहे है।
कैट महाराष्ट्र ज्वेलरी समितिक संयोजक राजकुमार गुप्ता पूजा ज्वैलर् नहीं बताया कि युवा दपत्ति आजकल नई डिजाइन के हल्के गनने पसंद कर रहे हैं
हमारे क्षेत्र में खर्चो का आकलन करने के लिए अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल, प्रभाकर देशमुख, अनिल नागपाल, निखिलेश ठक्कर, ज्ञानेश्वर रक्षक , गोविंद पटेल, विनोद गुप्ता आदि ने कार्य किया।