– कोंढाली/धुरखेड़ा गांव के सीमा पर बाघ/तेंदुए की दस्तक भय का माहौल
कोंढाली :- राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे कोंढाली से एक किलोमीटर और राज्य राजमार्ग से लगे धुरखेड़ा गांव से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर कोंढाली-काटोल तालुका के खेत में नितिन और हर्षल देवताले भाइयों के गौशाला में बंधे गोवंशो में से तेंदुए ने तीन वर्षिय की गाय (बछडी) को अपना निवाला बनाया । इस घटना की जाणकारी किसान नितिन देवताले ने कोंढाली वनपरिक्षेत्र अधिकारी निशिकांत कपगते को दी। तीन वर्षीय गाय को तेंदुए द्वारा खाए जाने की जानकारी मिलने पर ड्यूटी पर तैनात उप वनपरिक्षेत्र अधिकारी मालके और वनकर्मी वनरक्षक अमोल गाडगिले धुरखेड़ा में घटना स्थल पर पहुंचे और पशुधन चिकित्सक के साथ मृत गाय का पंचनामा कर वरिष्ठों को रिपोर्ट भेजी। दरअसल, निकटवर्ती बोर (अभयारण्य) टाइगर प्रोजेक्ट में बाघ और तेंदुओं की मौजूदगी के कारण क्षेत्र के ग्रामीण भय में जी रहे हैं।
बोर टाइगर रिजर्व से तेंदुए अब कोंढाली के द्वार तक दस्तक देने पहुंच गए हैं, जिससे किसानों, खेतिहर मजदुरों ,ग्रामीणों, स्कूली छात्रों और कोंढाली आने वाले और कोंढाली को जोड़ने वाले जिला सड़क/राज्य सड़क और राजमार्ग से अपने गांवों में जाने वाले यात्रियों/नागरिकों में भय का माहौल पैदा हो गया है। कोंढाली वन क्षेत्र में एक वर्ष में बाघों और तेंदुओं द्वारा 87 बकरियों और मवेशियों को अपना भक्ष बनाया है। कोंढाली मासोद मार्ग के पुरातन रामगढ़ पहाड़ी और मासोद के पास घोड़ा डोंगरी झील सहित पहाड़ी इलाकों में तेंदूऐ ने शिकार के बाद अपना बसेरा ही बना लिया है। इसके कारण कोंढाली/करंजा तथा हिंगानी वनपरिक्षेत्रों में हर सप्ताह पशुधन की हानि हो रही है। इससे इस क्षेत्र के किसानों, खेत मजदूरों और नागरिकों में भय का माहौल पैदा हो गया है।
इस क्षेत्र में हिंस्र वन्य प्राणीयों से किसानों तथा किसानों के पशुधन के सुरक्षा के लिये वन विभाग द्वारा मासोद/कामठी क्षेत्र में बोर अभयारण्य व्याघ्र प्रकल्प के लिये सफारी गेट बनाने की मांग मासोद के सरपंच रंजू प्रकाश बारंगे, राहूल डोंगरे, कामठी के सरपंच कडू पाटील, राजू किनेकर, उपसरपंच रूपराव गोंडाणे, प्रकाश बारंगे, द्वारा की गयी है.