नागपुर :- देश के विविध तापीय बिजली परियोजनाओं में मेडइन अमेरिकन के नाम पर चायना निर्मित नकली और घटिया किस्म के टिमकन बेयरिंग के उपयोग से पावर प्लांटों की चलित मशीनरियों का ढांचा डगमगा रहा है।नतीजतन बिजली उत्पादन पर बुरा असर भी पड रहा है।इससे सरकार को करोडों की चपत लग रही है। इंडियन पावर प्लांट विशेषज्ञों की माने तो कम लागत मे अधिक कमीशन के लालच मे सेक्सन इंचार्ज अभियंताओं की सांठ-गांठ से बेयरिंग डीलरों द्वारा मेडइन अमेरिकन की आड मे नकली और घटिया किस्म के चायना निर्मित टिमकन बेयरिंगों की आपूर्ति बेरोक-टोक धडल्ले से की जा रही है।
बताते हैं कि 3-4 महिनों मे ये चायना निर्मित बेयरिंग जल्द चलित मशीनरियों के घर्षण के चलते घिस कर बे-असर हो जाते। इससे किसी भी क्षण बडी दुर्घटना हो सकती है। नकली बेयरिंग के कारण कोलमिल,कोल कन्वेयर बेल्ट के रोलर तथा विधुत मोटर खराब हो जाती हैं। इतना ही नहीं डैगलाईनर,ड्रेजिंग मशीन तथा टिप्पर,ट्रक,जेसीबी,पोकलेन मशीनें जल्द खराब हो जाती है। इससे संबंधित उत्पादन एवं विकास मे भारी रुकावटें आने से देश और सामाजिक का आर्थिक ढांचा कमजोर पड रहा है? तकनीकी सूत्रों के मुताबिक चायना निर्मित टिमकेन बेयरिंग के उपयोग की वजह से खापरखेडा पावर प्लांट में की हालत खराब हो रही है। उसी प्रकार महा ताप विधुत केंद्र चंद्रपुर, नासिक रोड पावर प्लांट,परली बैजनाथ विधुत केंद्र,पारस और दीपनगर भुशावल ताप विधुत केंद्र की हालत खराब चल रही है? उसी प्रकार चायना निर्मित टिमकन बेयरिंग के उपयोग की वजह छत्तीसगढ़ विधुत निर्माण कंपनी के पावर प्लांट, मध्यप्रदेश विधुत निर्माण कंपनी के चचई- अमरकंटक पावर प्लांट,सतपुडा तापीय बिजली परियोजना सारणी, तथा अनूपपुर पावर प्लांट,हिन्दुस्तान पावर प्लांट इत्यादि विधुत केंद्रों के हाल बेहाल है। इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश के सोनभद्र-अनपारा पावर प्लांटों की हालत चायना निर्मित टिमकन बेयरिंग के उपयोग की वजह खराब चल रही है?
पं.बंगाल के विधुत मंत्रालय के सूत्रों की माने तो वहां पं.बंगाल के सभी ताप विधुत केंद्रों तथा उडीसा और कर्नाटक राज्य के विधुत केंद्रों ने टिमकन बेयरिंग खरीदना बंद कर दिया है ?
टिमकन बेयरिंग डीलरों की मनमानी से विधुत कंपनी हलाकान
हालांकि टिमकन बेयरिंग उत्पादक कंपनी की स्थापना 1899 मे अमेरिका के सेंटलूइस मिसौरी मे हुआ था।टिमकन बेयरिंग उधोग यह 123 वर्ष पुराना है। इस बेयरिंग कंपनी के संस्थापना हेनरी टिमकेन के करकमलों से हुआ था।जिसका मुख्यालय अमेरिका के उत्तरी कैनन ओहियो बताया गया है। दुनियां के अनेक देशों के भारी उधोग तथा लघु औधोगिक इकाईयों मे टिमकन बेयरिंग की आपूर्ति की जाती रही है। परंतु पिछले 3-4 सालों से मुंबई के एक डीलर ने टिमकन के चैयरमैन का इस कदर विश्वास संपादन किया कि महाराष्ट्र मे टिमकन बेयरिंग आपूर्ति की मंजूरी हांसिल कर लिया गया। परिणामतः कम लागत और अधिक आमदानी के लालच मे मुंबई के डीलर ने चायना निर्मित घटिया और नकली टिमकन बेयरिंग आपूर्ति शुरु कर दिया है। इससे पावर प्लांटों के सीएचपी प्रभारी सेक्शन अभियंताओं को खासा कमीशन उपलब्ध हो जाता है। जानकार सूत्रों की माने तो ये अमेरिकन के नाम पर चायना निर्मित टिमकेन बेयरिंग दिखने मे चमकदार और मजबूत जान पडते हैं। तकनीशियनों की माने तो अपनी गलतियां छिपाने के लिए डीलर मेडइन चायना का ट्रेडमार्क मशीनरी के जरिए घिसकर पालिश करवा लेता है। और नकली अमेरिकन नामक डाई के जरिए मामूली ट्रेडमार्क चिन्हित करवा लेता है। नतीजतन समय बाद ये बेयरिंगों की हवा अपने आप खराब हो जाती है।क्योंकि ये नकली और घटिया स्तर चायनिस्ट बेयरिंग देश की आर्थिक हालत खराब करने के लिए होते हैं।
चायना निर्मित कलपुर्जों की आपूर्ति से औधोगिक इकाई ठप्प
सनद रहे कि चायना निर्मित कलपुर्जों और अन्य सामान आपूर्ति से देश की 70-80 प्रतिशत औधोगिक इकाईयों को भुखमरी का सामना करना पड रहा है। फिर भी हमारे देश का ऊर्जा मंत्रालय गहरी नींद मे सोया हुआ है। पिछले सन 2018 से 2021–22 के अंतराल मे महाराष्ट्र राज्य के ऊर्जा मंत्रालय ने घटिया और नकली चायना बेयरिंगों की खरीद-फरोख्त की आड मे करोडों की मलाई सूतने मे कसर नहीं छोडी है। मंत्रियों और अधिकारियों को तो उनके मन माफिक कमीशन चाहिए ?
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