वीआयपी लोगों की गुलामी संस्कृती से ग्रस्त यातायात प्रशासन खुद ही उड़ा रहे हैं अपने ही नियमों और कानूनों की धज्जियां

– ट्रैफिक सिग्नल शुरू रखकर 15-20 मिनट रोके रखा वाहन चालकों को

नागपूर :- एक तरफ केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय देश से वीआयपी और लाल बत्ती कल्चर खत्म करने का दावा कर रही हैं वहीं दूसरी ओर खुद यातायात प्रशासन अभी तक वीआयपी लोगों की गुलामी वाली संस्कृती में जकड़ा हुआ हैं.

वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर दिये गये टार्गेट को पूरा करने के लिए हर दिन यातायात पुलिस शहर की लड़खड़ाती यातायात व्यवस्था को संभालने की बजाय अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी से भागकर केवल दो पहिया वाहन चालकों को दौड़ दौड़कर फोटो खींचकर जबरन चालान बनाने में व्यस्त दिखाई दे रही हैं.

हर दिन आम जनता को यातायात व्यवस्था हो रही परेशानी से यातायात पुलिस को कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा हैं. अनियंत्रित यातायात व्यवस्था में फिर किसी भी वाहन चालकों की दुर्घटनाओं में दर्दनाक मौत ही क्यों न हो जाएं.

मामला नरेंद्र नगर चौक समीप सुयोग नगर रिंग रोड का हैं.शुक्रवार की शाम साढ़े सात बजे के दौरान सुयोग नगर चौक लगभग पंद्रह से बीस मिनट तक यातायात पुलिस ने ट्रैफिक सिग्नल शुरू रखकर वाहन चालकों जबरन रोके रखा.पुलिस की इस हरकत से अपने कार्यालय,कामकाज से घर लौट रहे नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

सिग्नल शुरू रहने के बावजूद यातायात पुलिस खुद ही यातायात कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए केवल एक तरफ पश्चिम से पूरब की ओर जा रहे वाहनों को ही छोड़ रहे थे.

आम वाहन चालकों और पैदल चलने वाले नागरिकों को कुछ देर तक माजरा समझ में नहीं आया.लेकिन जब वीआयपी,पुलिस और एंबुलेंस गाडियों के सायरन की आवाजें दूर से कानों पर पड़ने लगी तब जाकर लोगों का गुस्सा कम हुआ.

देश में एक तरफ वीआयपी कल्चर खत्म करने की बात हो रही हैं वहीं वीआयपी ही आम जनता के रास्ते का कांटा बनते हुए नजर आ रहे हैं.

देश में आखिर आम नागरिकों का स्थान बड़ा हैं या वीआयपी लोगों का? समय की कीमत दोनों के लिए ही एक समान हैं.इसके लिए हर वीआयपी लोगों को सड़क मार्ग से गुजरने के लिए पहले ही अपने घरों,कार्य स्थलों से शहर की यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखकर आधा एक घंटा पहले निकलना चाहिए.

देश का प्रत्येक नागरिक चाहे वह कोई खास वीआयपी ही क्यों न हो रास्ते पर आने पर एक सामान्य नागरिक बन जाता हैं.इन सभी वीआयपी लोगों पर भी सामान्य नागरिकों की ही तरह कानूनों और नियमों का पालन करना बंधनकारक होना चाहिए.

कानून तोड़ने पर दंडित करने का प्रावधान भी होना चाहिए.

सामाजिक कार्यकर्ता राजेश पौनीकर ने यातायात नियमों और कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाले सभी दोषी यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारीयों और चौराहें पर तैनात यातायात पुलिस कर्मियों को तुरंत पद से बर्खास्त करने की शासन प्रशासन से मांग की हैं.

भविष्य में शहर में इस प्रकार से वीआयपी लोगों के लिए शहर के ट्राफीक सिग्नल बंद करके जानबूझकर यातायात अवरुद्ध बंद करने की कभी हरकत नहीं होनी चाहिए.चाहे फिर वह देश का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ही क्यों न हो.

जिन वीआयपी लोगों को सारी सरकारी निजी सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद रास्ते में किसी दुश्मन के हमले और मरने का भय सता रहा हो ऐसे डरपोक व्यक्ति ने जीवन में कभी भी घर से बाहर निकलने का दुस्साहस नहीं करना चाहिए और ना ही लोकसेवक बनने के पचड़े में पड़ना चाहिए.

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