एस टी के हडताल से खेतिहर मजदूर- किसान-छात्र तथा ज्येष्ठ नागरिकों को हो रही कठिनाई

{महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन  महामंडल  के कर्मचारीयों  के हडताल  का असर-स्कूली छात्रों-,खेतीहर मजदूरों, ज्येष्ठ  नागरिकों  के साथ साथ  किसानों  के जनजीनव  पर  हो रहा  असर}!
काटोल -संवाददाता.- महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन मंडल अर्थात  एसटी महामंडल का राज्य सरकार में विलय करने के साथ करार  एवं अन्य प्रलंबित मांगों को लेकर एसटी कर्मचारियों का बेमियादी काम बंद आंदोलन अभी  भी जारी है।फलस्वरूप ,  पिछले 67दिनों से एसटी बसों की चक्के रूक गए हैं.
वैश्विक महामारी कोविड  के संकटकाल  के बाद अब स्कुलें शुरू  हो गयी है,  रबी के फसलों के लिये  किसान,  खेतीहर  मजदूरों  को अपने  खेत तथा काम पर जाने  के लिये  यात्री  परिवहन  एस टी से  सुलभ  होता  था. पर  अभी एस टी के  कर्मचारीयों  के हडताल  के
परिणामस्वरूप  सर्व  सामान्य  नागरिक,किसान,खेतीहर  किसान,  खेत मजूर,  स्कूली  छात्रों  का जनजीवन प्रभावित हो गया है। बस यात्रियों के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी परेशानी झेलनी पड रही है ।राज्य प नि  के बसों  में  छात्राओं  को अहिल्याबाई  होलकर  .मुफ्त  यात्री  पास  तथा छात्रों  को 67%सहुलियत  की यात्री  पास  मिलती है,  पर अभी  एस टी कर्मचारी यों  के हडताल  के कारन  छत्रों  को  पुर्ण  भाडा  देकर  जीप  तथा टेंम्पों  में  जान जोखीम में  डालकर  पढाई  के लिये  आना  जाना  पडता है ।  निजी बस वाहनों ने अपने किराए में भारी वृद्धि करने से यात्रियों को आर्थिक परेशानी भी सहनी पड़ रही है.
आंदोलन खत्म होने की जा रही है प्रतीक्षा
परिवहन महामंडल के कर्मचारी अपनी  मांगों के लिए सरकार के पास गुहार लगा रहे हैं।. इन कर्मचारियों की मांगें सरकार ने अभी तक मंजूर नहीं की हैं, वहीं  परिवहन मंत्री  प्रतिदिन  एस टी कर्मचारी यों को  काम पर लौटने की अपील  पर अपील  कर रहे है। एस टी कर्मचारी यों के  हडताल के कारन   यात्रियों के हाल बेहाल हो रहे हैं. एसटी कर्मचारी भी आंदोलन पर अड़े हुए है. आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार द्वारा उपाय निकालने की मांग यात्री कर रहे है. ज्ञात रहे कि, दीपावली की छुट्टियां समाप्त होकर स्कूल शुरू हो गए हैं, लेकिन एसटी बसें बंद रहने से शहरी भागों में शिक्षा ले रहे ग्रामीण भागों के छात्रों को स्कूल पंहुचने में दिक्कतें आ रही है. परिणामस्वरूप ग्रामीण भागों के छात्रों को शहर के स्कूलों में आने जाने के लिए निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है.
स्कूल और कालेजपहूचने  में  हो रही  देरी
निजी वाहनों का समय निश्चित नहीं रहने से स्कूल पहुंचने में देरी हो रही है।,इसका सीधा असर छात्रों के शिक्षा पर हो रहा है।
. उसी प्रकार से छात्रों को अधिक किराया भी देना पड़ रहा है. रोज स्कूल पहुंचने में हो रहे लेट गांवों में बस सेवा शुरू न होने के कारण स्कूल-कालेज में जाने में परेशानी झेलनी पड़ती है. रोजाना किसी न किसी से लिफ्ट मांगकर आना-जाना पड़ता है. कई बार तो साधन न मिलने के कारण समय पर स्कूल-कालेज नहीं पहुंच पाते. पहले कोरोना, अब बसें न चलने से शिक्षा बाधित हो रही है.
इसी प्रकार अब गांव  गांव में
 बस सुविधा न होने के कारण आटो या अन्य सवारी निजी वाहनों के भरोसे रहना पड़ता है. इनके आने-जाने का कोई समय निर्धारित नहीं होता. इस कारण कई बार बेहद जरूरी काम भी छूट जाते हैं. स्वयं का साधन है तो जाओ, नहीं तो घर बैठो, ऐसी स्थिति है. हालत यह है कि अगर आपके पास बाइक या अन्य कोई साधन है तो चले जाओ, नहीं तो अपने घर पर ही बैठो. प्रशासन को चाहिए कि जल्द बस सेवा शुरू करवाए.
 जेष्ठ  नागरिकों  को भी  भारी  परेशानी
 राज्य  मे  ज्येष्ठ  नागरिकों  को  रा प नि  में  आधा  किराया माफ होता है  पर अभी एस टी  ही नही  चलेगा रही  तो  आधा  किराया  कौन  माफ  करेगा!
 अब  ग्रामीण  जनता  सरकार  से  मांग  कर रही  है  वे एस टी कर्मचारी यों की  न्यायोचित  मांगे  मंजूर  कर  रा प नि  का  परिवहन  शुरू करें।
 वहीं एस  टी  कर्मचारी यों  से  भी  आग्रह  है  की किसी  रिजनिती दलों या अन्य  किसी  के बहकावे  ना आकर  सरकार  द्वारा  दिये  गये   वेतनमान तथा अन्य  मांगे मंजूर  कीया  है  विलनिकर  करन की मांग के लिये  आयोग  का गठण  किया गया है,  आयोग  का निर्माण  आने  तक  तो एस टी  शुरू  की जा सकती है ।इसी  प्रकार  न्यायालय  में  भी  मामला  लंबीत  है  न्यायालय  के निर्णय  तक  यह  आंदोलन  खिंच कर आम जनता  को परेशानी  में  ना डलने  की मांग  भी  अनेक  यात्रीयों  द्वारा  की गयी है।
एस टी कर्मचारी भी अपने ही है!!
एस टी  कर्मचारी  भी  हमारे  है!तथा यात्री  भी हमारे ही है।शासन  द्वारा अनेक  मांगे  मान ली गयी है,  विलनिकरण  की मांग  के लिये  समीती  गठीत  की गयी है.अब एस टी कर्मचारीयों  ने समझदारी  की भूमीका  लेना  चाहीये, सरकार  के सहनसीलता  का अंत  ना देखा  जाय  एस टी  के कर्मचारीयों द्वारा  काम पर लौटने  का पुन्हा  आग्रह  किया  जा  रहा है  यह  जानकारी  राज्य के  उपमुख्यमंत्री अजित पवार  द्वारा  पत्रकारों  के माध्यम  से की है। सरकार  तथा  एस टी के कर्मचारीयों  की  संघटनाये  अपने अपने   जीद  पर ना  अडे  रहे । ग्रामीण आंचल में  किसान,  खेतीहर मजदूर,  छात्रों  के लिये  एस  टी  परिचलन  आवश्यक  है.
अतः  एस टी का यातायात  तुरंत  शुरू  हो यह मांग  
काटोल व्यापारी संघ के अध्यक्ष भरत पटेल, मिलिंद चाडंक, पंकज मानकर,संदीप  भस्मे, संतरा व्यापारी राजेंद्र देशमुख, मनिष हरजाल,जिवन चरडे, कुषी प्रतिष्ठान के संचालक ईश्वर पुंड, दिनेश नासरे,मनोहर चौधरी, किसान चन्द्रशेखर बेलखेडे,राकेश पोहकार,नितीन राठी, सोनु गुप्ता, विशाल वानखेडे, मोहन चरडे, अनाज व्यापारी भुषण ठाकुर, जगदीश पालीवाल विनोद सुहाम, रोहित नबीरा, राजेश मक्कड दासिंग चौधरी, दिपक तुंमडे कैलास देशमुख अनिल सोनक मुन्ना मिश्रा द्वारा गयी है.

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