नागपूर :- “संविधान सभा” (Constitution Assembly) (भारतीय संसद नही) का निर्माण तथा उस संदर्भ में लिए गये ९ जुलै १९४६ के चुनाव और फिर उस चुनाव द्वारा स्थापित संविधान सभा की पहिली बैठक ९ दिसंबर १९४६ को होना, वही गुलाम भारत १५ अगस्त १९४७ को आजाद होना, यहां कांग्रेस कहे या मोहनदास गांधी का अहिंसा आंदोलन कहे या कोई संघर्ष यहां कहां हैं ? यह प्रश्न है. भारत की आजादी यह “द्वितिय महायुध्द” का फलित है, यह हमे समझना होगा. वही डा. आंबेडकर का व्हाईसरॉय कार्यकारी परिषद में (२२ जुलै १९४२ से २० अक्तुबर १९४६) मजुर मंत्री बनना और द्वितिय महायुध्द में अंग्रेजों के पक्ष में खडा होना, और एडाल्फ हिटलर (जर्मनी) / बेनितो मुसोलिनी (इटली) / हिराहितो (जापान) इन तिनो तानाशाही का अंत ही एकमात्र कारण था. अगर द्वितिय महायुध्द में अंग्रेज / मित्र पक्ष की हार हुयी होती तो, भारत पर हिटलर – मुसोलिनी – हिरोहितो की दुसरी गुलामी का इतिहास रचा होता, यह भी हमें समझना जरुरी है.
अब हम “भारत का संविधान” कैसे बना है ? इस पर भी चर्चा करेंगे. बाबासाहेब ने ६० से अधिक देशों के संविधान का अध्कियाभकाहुयीिधानिधानिधानिधानिधान बनाने में, २ साल ११ महिने १७ दिन लग गये. वही मसुदा पर चर्चा ४ नवंबर १९४८ को सुरु हुयी, जो ३२ दिनों तक चली. इस अवधी में सदस्यों द्वारा ७६३५ संशोधन प्रस्ताव दाखल किये गये. उसमे से केवल २४७३ संशोधन प्रस्तावों पर, विस्तार से चर्चा हुयी. सदस्यों ने उठाये गये संशोधन प्रस्ताव, और बाबासाहेब ने उन्हे दिये उत्तर कहे या उन्हे सामोरा जाना, यह सहज ही था. आखिर २६ नवंबर १९४९ को संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकृती दी गयी और २४ जनवरी १९५० को २८४ सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किये. और वह संविधान २६ जनवरी १९५० को अमल में आ गया. अर्थात हमने उस दिन *”संविधान संस्कृत”* की नीव रखी. अर्थात बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान सभा मे प्रवेश हो, या संविधान का निर्माण, यह तो केवल संघर्ष का फलित है. और इस विशाल संघर्ष के फलित को युं ही मिटाना, यह आसान विषय नही है. यह विचार सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल द्वारा नागपुर मुख्यालय में आयोजित, *”भारतीय संविधान दिन”* के अवसर पर, सेल के राष्ट्रिय अध्यक्ष डाॅ. मिलिन्द जीवने ”शाक्य’ इन्होने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा है.
इस विशेष अवसर पर प्रमुख अतिथी – सुर्यभान शेंडे, इंजी. विजय बागडे, इंजी. गौतम हेंदरे, रवी पाटील, विजय भैसारे, प्रमुख अतिथी के रूप में उपस्थित थे. उन्होने भारतीय संविधान – कल और आज, इस विषय पर, अपने विचार रखे. कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ. मनिषा घोष इन्होने तथा आभार मिलिन्द गाडेकर इन्होने माना. कार्यक्रम की सफलता हेतु – साधना सोनारे, सुरेखा खंडारे, निकेश उके, अशोक सोनटक्के, नरेश सोमकुवर, मनिष खंडारे,हेमचंद्र रामटेके आदी पदाधिकारी वर्ग का विशेष योगदान रहा.