स्व. किशोर कुमार की जयंती ( ४ अगस्त) पर विशेष, खंडवा में खंडहर का सच

– खंडहर घर बन पायेगा म्यूजियम

– १०० साल पुराना है किशोर दादा का घर- डॉ प्रवीण डबली

नागपुर :- मध्यप्रदेश का खडंवा शहर जाना जाता है तो दो नामों से पहला तो यहां हुए संत दादाजी धुनिवाले व दूसरा प्रसिद्ध गायक, अभिनेता, डायरेक्टर, संगीतकार, लेखक हरफनमौला स्व. किशोर कुमार के नाम से| यहां का हर बच्चा बच्चा किशोर कुमार के गाने गुनगुनाते नजर आता है| इस शहर के मध्य बाम्बे बाजार स्थित ’गौरी कुंज’ यानी ’गांगुली हाऊस’ इस समय चर्चा का विषय बना है| कहने को तो यह ऐतिहासिक धरोहर है| यह उस प्रसिद्ध गायक, अभिनेता किशोर कुमार का पैतृक घर है जिसने बालीवुड में अपनी आवाज के जादू से कई अभिनेताओं को एक ऊंचा मुकाम हासिल करवाया| यह घर करीब ७६५५ वर्ग फीट में फैला है| जो १०० वर्ष पहले बना था| जिसकी हालत आज खडंहर बन गयी है| स्थानीय प्रशासन बेमन से इसे तोड़ने की बात कह रहा है| वहीं दूसरी तरफ शहर के बिल्डर इस मकान पर अपनी नज़रे गड़ाये बैठे है| क्योंकि यह मकान शहर के मुख्य बाजार में स्थित है| इस महान गायक के इस मकान को देखने पूरे देश से उनके प्रशंसक यहां आते है और उनके इस मकान की जर्जर हालत देखकर निराश हो जाते है| इन आये हुए प्रशंसकों के मन में कई विचार आते है और वे प्रशासन को कोसना शुरू कर देते है| लोगों को भी इसके लिए दोषी मानते है| वे कहते है किशोर दा किसी एक के नही बल्कि वे देश की धरोहर थे| उनके इस मकान की जर्जर हालत कैसे होने दी गयी| इस मकान को इस महान गायक की याद में इसे संजोये रखना था| इसे उनका म्युजियम बना दिया जाना चाहिए था| ऐसी मांग सामने आ रही है| किशोर दादा के प्रशंसक व उनके गाने गाने वाले उनके इस घर को मंदिर से कम नहीं समझते|

ज्ञात हो ४ अगस्त १९२९ को खंडवा के इसी मकान में महान गायक का जन्म हुआ था| उनका असली नाम आभास गागुंली था| पिता वकील थे| प्रारंभिक पढ़ाई के बाद किशोर कुमार अपना भविष्य आजमाने मुंबई चले गये| जहां कठीन परिश्रम व कई धक्के खाने के बाद उन्हें अपनी आवाज का जादू फैलाने में सफलता मिली| यदि यह कहा जाए कि किशोर दा आज भी देश के हर व्यक्ति के जुबान पर अपने अमर गीतों के रूप में बसते है| तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी| दूर से भी उनके गीतों की आवाज कानों में पड़ती है तो लोग तुरंत कहते ये देखों किशोर दा की कमाल|

सरकारी दस्तावेज में खंडहर

ये है वर्तमान हालत बांबे बाजार स्थित किशोर कुमार का घर सरकारी दस्तावेजों में ब्लाक नंबर ४४ के प्लाट नंबर ११३ पर दर्ज है| यह जमीन ७६५५ स्क्वायर फीट में हैं, जो अर्जुन के पिता कल्याण कुमार उर्फ अनूप कुमार और अमित कुमार के पिता किशोर कुमार के नाम से दर्ज है| अगर इस पूरे जमीन का सरकारी दर के हिसाब से कीमत देखी जाए तो यह करीब ११ करोड़ रुपए की है| किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल के तीन बेटे किशोर कुमार, अनूप कुमार और अशोक कुमार थे| इसमें खंडवा शहर के आनन्द नगर क्षेत्र में स्थित खेत की जमीन अशोक कुमार के नाम पर पर थी, जो पूरी बिक गई, उसके नाम पर ही उस कॉलोनी का नाम अशोक नगर रखा गया है| जबकि किशोर कुमार और अनूप कुमार के हिस्से में घर आया था| यह घर हाल अपनी मृत्यु शय्या पर है| सरकारी दस्तावेजो में यह खडंहर हो गया है और कभी भी गिर सकता है| इसे गिराने के लिए नोटिस भी निकाला गया| लेकिन लोगों के विरोध के बाद इसे रोक दिया गया|

१२ दुकानों का १२०० किराया

किशोर कुमार के घर के किनारे कुल १२ दुकानें हैं, जिनमें से ७ दुकाने बांबे बाजार रोड पर हैं, जबकि केवलराम दूधगली मार्ग पर चार दुकानें हैं्| इनमें मोबाइल और अंडे आदि की दुकानें है| सभी दुकानों को मिलाकर इनका किराया नाममात्र कुल १२०० रुपए के लगभग बनता है| घर की रखवाली करने वाले सीताराम सावनेर ने बताया कि ये सभी किराया अर्जुन कुमार ही लेते हैं्| इसमें से डेढ़ हजार रुपए मुझे हरमाह दिया जाता है|

खडंहर मकान में रहते है सीताराम

४० साल से यहां रह रहे हैं सीताराम सावनेर | सीताराम काका बीते ४० साल से किशोर दा के मकान की चौकीदारी कर रहे हैं्| काका कहते हैं- साहब (किशोर कुमार) बचपन से ही फक्कड़ थे| अलमस्त रहते थे| यहां जब भी आते थे, मुझे कहते थे- सीतारामजी.. दूध-जलेबी खाना है| वो हरफनमौला, मस्त मिजाज और जिंदगी के दु:खों को हंस कर दूर रखने वाले गायक थे| उनका कहना है कि यहा बीते कई वर्षो से किशोर दादा के परिवार के कोई भी नहीं आया| हा पता चला है कि इसे बेचने की तैयारी चल रही है| लेकिन अभी कुछ पता नहीं चला है|

घर पर है बिल्डरों की नज़र 

शहर के एक प्रापर्टी कारोबारी और एक व्यवसाई है| इस प्रापर्टी को खरीदने के लिए प्रयास कर रहे हैं्| उन्होंने बताया कि अर्जुन से मुलाकात भी हुई है, जिसमें उन्होंने अभी इंतजार करने के लिए कहा है| शहर के बिल्डर्स कुछ दिनों पहले मुंबई जाकर किशोर दा के परिजनों से बातचीत की है| बताया जा रहा है कि इसके लिए १५ करोड़ रुपए तक सौदा हो रहा है| बांबे बाजार स्थित किशोर कुमार के परिवार की प्रापर्टी ७६०० वर्ग फीट है, जो कि बेशकीमती है|

क्या १४ करोड़ में बिक गया मकान!

कई सितारों को हिट बनाने में अपनी करिश्माई गायकी का योगदान देने वाले हिंदी सिनेमा के सदाबहार गायक किशोर कुमार का खंडवा वाला घर अब किसी और का हो गया है| ऐसी जानकारी खंडवा के स्थानीय सूत्रों ने दी| ऐसी चर्चा भी शहर में चल रही है कि अभय जैन नाम के एक कारोबारी ने किशोर कुमार का यह पुश्तैनी मकान १४ करोड़ रूपये में खरीद लिया है| मकान को बेचने की बात कई वर्षो से चल रही थी| मकान के रखवालदार सीराताम सावनेर ने इसे बिकने संबंधी जानकारी नहीं होने की बात कहीं| उन्हें लगता है कि किशोर दादा अभी वापस आ जाएंगे| लेकिन यह संभव नहीं है| दूसरी तरफ किशोर कुमार के फैन्स जो कि उनके इस पुश्तैनी मकान को मेमोरियल के रूप में स्थापित करानाचाहते ते, उन्हें इस खबर से बड़ा झटका लगा है| मकान बिकने की खबर से नाराज किशोर के फैन्स का कहना है कि वह किशोर कुमार के इस पुश्तैनी मकान को नहीं टूटने देंगे| खांडवा के लोगों का कहना है कि वह चंदा इकट्ठा कर इस मकान को बिकने से रोकेंगे|

यहां बने किशोर दादा का म्यूजियम

इस मकान में पिछले ४० वर्षो से रह रहे सीताराम की इच्छा है कि इस पुश्तैनी मकान से किशोर कुमार ही नहीं तो उनके पूरे परिवार की यादे खंडवा वासियों के मन में बसी है| इतना ही नहीं तो खुद किशोर कुमार को इस घर और खंडवा से बेहद लगाव था और इसी कारण उन्हें कई बार किशोर कुमार खंडवावाले के नाम से पुकारा जाता था| बता दें कि पिछले साल जुलाई में ये ख़बर आई थी कि किशोर कुमार के घर को गिरा दिया जाएगा| मकान का एक हिस्सा जर्जर हो गया था इस कारण नगर निगम ने नोटिस चस्पा कर दी| लेकिन इसके बाद जब हो-हल्ला हुआ तो डी एम सामने आये और उन्होंने घर को तोड़ने से रुकवाने का भरोसा दिलाया| यहां के स्थानीय नागरिक भी यही मानते है कि यहां किशोर दादा का म्जुझियम बने|

स्मशान में ही बनायी समाधि व स्मारक

साल १९२९ में आभास कुमार गांगुली यानि किशोर कुमार का जन्म इसी घर में हुआ था| बाद में वो खंडवा से मुंबई चले गए थे लेकिन इस बात की इच्छा व्यक्त की थी कि मृत्यु से पहले वो एक बार अपने घर वापस आना चाहते है| हालांकि उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हुई्| बाद में किशोर कुमार के निधन के बाद उनका खंडवा में ही अंतिम संस्कार किया गया| किशोर कुमार ने हिंदी सहित कई भाषाओँ में यादगार गाने दिए जिन्हें लोग कभी नहीं भूल सकते| साल १९८७ में उनका निधन हो गया था| उनका अंतिम संस्कार भी खंडवा में ही किया गया| जहां अब उनकी समाधि बना दी गयी है| और वहां पर एक किशोर कुमार स्मारक भी बनाया गया है| जहां हर जन्मदिन व पुण्यतिथी पर किशोर कुमार को याद किया जाता है| साथ ही मध्यप्रदेश सरकार ने १९९७ में किशोर कुमार सम्मान शुरू किया, जो फिल्म निर्देशन, अभिनय, कहानी लेखन और गीत लेखन के क्षेत्र में प्रतिवर्ष दिया जाता है|

– डॉ. प्रवीण डबली,  मो. ०९४२२१२५६ ७०२०३४३४२८

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