नागपुर/ सावनेर – स्थानीय अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल में आजादी का बिगुल फूंकने वाले बड़े नामों में एक तात्या टोपे को विद्यार्थियों ने किया याद। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले तात्या टोपे ने पूरे देश में आजादी की चेतना का सूत्रपात किया और गुलामी को अपनी नियति मान चुकी पूरे देश की जनता को यह बताया कि आजादी क्या होती है और उसे हासिल करना कितना जरूरी है। उनका जन्म 1814 में येवला में हुआ। उनका वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था। परंतु लोग उन्हें स्नेह से तात्या कहते थे। एक देशस्थ कुलकर्णी परिवार में जन्मे तात्या टोपे के पिता बाजीराव पेशवा के धर्मदाय विभाग के प्रमुख थे। उनकी विद्धता एवं कर्तव्य परायणता देखकर बाजीराव ने उन्हें राज्यसभा में बहुमूल्य नवरत्नों से जुड़ी हुई टोपी देकर उनका सम्मान किया, तब से उनका उपनाम ‘ टोपे ‘ पड़ गया। वे नानासाहेब पेशवा के प्रमुख परामर्शदाता बन गए। रावसाहेब पेशवा ने तात्या टोपे को सेनापति के पद से सुशोभित किया। 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मी बाई के वीरगति के पश्चात तात्या टोपे ने गुरिल्ला युद्ध पद्धति की रणनीति अपनाई। 7 अप्रैल 18 59 को तात्या शिवपुरी – गुना के जंगलों में सोते हुए धोखे से पकड़े गए। बाद में अंग्रेजों ने मुकदमा चलाकर 18 अप्रैल 1859 की शाम शिप्री दुर्ग की निकट उन्हें फांसी दे दी। लेकिन कुछ इतिहासकार इसे नहीं मानते उनके अनुसार उनकी मौत 1909 में हुई। प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने कहा कि तात्या टोपे ने अंग्रेजो के खिलाफ लगभग 150 युद्ध लड़े थे, जिसके चलते अंग्रेजों को काफी नुकसान हुआ था। उनके जीवन पर बने नाटक और फिल्में भी काफी चर्चित रही।उनके सम्मान में डाक -टिकट भी जारी किया था। मध्यप्रदेश में तात्या टोपे मेमोरियल पार्क का निर्माण भी करवाया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जिक्र तात्या टोपे के जिक्र के बगैर अधूरा ही माना जाता है। विद्यार्थियों ने उन पर अनुच्छेद भी लिखा।अरविंदबाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना करते हुए सहभागी विद्यार्थियों का अभिनंदन किया।
स्कूली विद्यार्थियों ने तात्या टोपे को किया याद
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