– कर्मचारियों का 37 हजार करोड़ रुपया भविष्य निधि संगठन ने अडाणी समूह में लुटा दिया
नागपुर :-अडाणी समूह में अरबों रुपए स्वाहा होने के बाद ताजा मामला जो सामने आया है उसने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की जड़ें हिला दी हैं। विना ट्रस्ट की अनुमति के 37 हजार करोड़ रुपए डूब रहे अडाणी समूह में लगाए गए हैं। यह पैसा जीवनभर सरकारी नौकरी करने वालों के खातों से कट कर जमा हो रहा था। इन पैसों की चौकीदारी का काम भविष्य निधि संगठन को करना था। आश्चर्य यह है कि जब दुनिया में कोई भी कम्पनी अडाणी समूह को पैसा नहीं दे रही है तब भी भविष्य निधि संगठन से समूह को पैसा जा रहा है। इधर जनवरी माह से पैसे के अभाव में कई पेंशनधारियों की पेंशन बंद हो गई है। यह कोई खैरात की या विधवा या वृद्धा पेंशन नहीं है, ये पैसा उन पेंशनर का है जिन्होंने अपने बुढ़ापे के लिए जीवनभर भविष्य निधि संगठन में जमा कराया था।
अडाणी समूह को लेकर हिडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अब सरकार के पैसों के साथ आम निवेशकों के पैसों की किस कदर लूट मची थी, दिखाई दे रही है। सेल कम्पनियो से 3 लाख करोड़ हवाला से लेने का मामला भी सामने आ गया है। एलआईसी, एसबीआई को अडाणी समूह में पैसा लगाने के बाद भारी घाटा हो चुका है। इधर एक और चौंकाने वाली जानकारी देश के बड़े अंग्रेजी दैनिक में देते हुए बताया कि अडाणी समूह में सरकारी कर्मचारियों के जमा हो रहे पैसों से अभी तक पैसा दिया जा रहा है। जबकि अडाणी समूह को कोई भी कम्पनी पैसा देने को तैयार नहीं है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में अडाणी इंटरप्राइजेस में 1350 करोड़ रुपए और अडाणी एसईझेड में 2338 करोड़ रुपए का निवेश कर दिया है। इस मामले में ट्रस्टियों का कहना है कि उन्हें भी अंधेरे में रखा गया है। आश्चर्य की बात है जो कम्पनी लगातार डूब रही है उसके बाद भी किसके कहने से यह पैसा
अभी भी दिया जा रहा है। दूसरी ओर प्राविडेंट फंड (पीएफ) पर करोड़ों लोग अपने व्याज का इंतजार कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2022-23 खत्म होने वाला है। नया वित्त वर्ष 2023-24 शुरू होने वाला है। मार्च आ चुका है अभी तक पीएफ के खाताधारकों के खाते में पैसा नहीं आया है। जबकि पिछले वर्ष 8.1 प्रतिशत व्याज देने का फैसला किया था। दूसरी ओर आज से भविष्य निधि संगठन की बैठक शुरू हो रही है जिसमें व्याज दर तय की जाएगी। अभी जो ब्याज दर तय की है वह पिछले 20 सालों की सबसे न्यूनतम ब्याज दर है।
समूह के लिए विधान बदल दिया
ईपीएफओ का पैसा शेयर बाजार में नहीं लगाया जाता था परंतु देश की सरकार ने तीन बार कानून बनाकर कार्पोरेट में पैसा लगाने को लेकर सीमा बढ़ा दी। इसके चलते रेवड़ी की तरह ईपीएफओ का पैसा कम्पनियों में लगा दिया जो अब घाटे का कारण हो गई है और इसी कारण अब ईपीएफओ पेंशनधारियों की वैकल्पिक पेंशन में दिए गए पैसे वापस काटने की तैयारी कर रहा है।
सेवानिवृत्ति की उम्र 62-65 करो
पैसे के भारी संकट को देखते हुए ईपीएफओ ने सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा है कि वह सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से 65 तक कर दे ताकि पैसा देने की स्थिति नहीं आए और समय निकाला जा सके। माना जा रहा है कि जब देशभर में ब्याज दरें बढ़ रही है तो ईपीएफओ अपने सदस्यों को कम ब्याज देने की तैयारी कर रहा है।
जबकि पिछले वर्ष 8.1 प्रतिशत व्याज देने का फैसला किया था। दूसरी ओर आज से भविष्य निधि संगठन की बैठक शुरू हो रही है जिसमें व्याज दर तय की जाएगी। अभी जो ब्याज दर तय की है वह पिछले 20 सालों की सबसे न्यूनतम ब्याज दर है।