– HC ने जवाब देने का दिया अंतिम मौका
नागपुर :- नदियों के प्रदूषण को लेकर प्रशासन की लापरवाही और एक नदी के कारण अन्य नदियों के प्रदूषण होने तथा देशभर में इसके व्यपाक असर का हवाला देते हुए नरेश पुगलिया की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. नदियों के पुनर्जीवन को लेकर राज्य सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीति में इरई और झरपट नदी का समावेश नहीं होने तथा इसके लिए उपजिलाधिकारी की ओर से सिंचाई विभाग के अति. मुख्य सचिव को अनुरोध पत्र भेजा गया. उक्त दोनों नदियां प्राकृतिक रूप से बाधित नहीं होने तथा विशेष रूप से डब्ल्यूसीएल के कारण प्रदूषित होने की जानकारी अदालत को दी गई. जिसके बाद हाई कोर्ट की ओर से डब्ल्यूसीएल को जवाब दायर करने के आदेश दिए गए. किंतु अब तक जवाब दायर नहीं किया गया. बुधवार को सुनवाई के बाद अदालत ने अब अंतिम मौका प्रदान कर सुनवाई स्थगित कर दी.
सरकार का नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम
अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार के सिंचाई विभाग की ओर से 27 जुलाई 2023 को नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम को लेकर अधिसूचना जारी की गई. जिसके अनुसार पूरे राज्य की नदियों का पुनर्जीवन किया जाना है. चंद्रपुर शहर में से गुजर रही इरई और झरपट नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए याचिका दायर की गई. याचिका में इन्हें बचाने के लिए तुरंत उपाय करने के आदेश प्रशासन को देने का अनुरोध भी अदालत से किया गया. सरकार की ओर से हलफनामा में बताया गया कि सिंचाई विभाग को 32,61,000 रु. का आवंटन किया गया है. इस निधि का इस निधि का खर्च किस तरह से किया जाएगा. इसका जवाब दायर करने के आदेश सिंचाई विभाग को दिए.
वर्धा नदी और गोदावरी पर भी खतरा
याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि इरई और झरपट नदी प्रदूषण के चलते न केवल खराब हो रही है, बल्कि अपना अस्तित्व ही खोते जा रही है. राज्य सरकार ने इसके पुनरुद्धार के लिए प्लान बनाया था. किंतु प्लान के अनुसार कोई कदम नहीं उठाए गए. फलस्वरूप दोनों नदियां लगातार प्रदुषित होते जा रही है. इरई नदी पर डैम बनाया गया है जो चंद्रपुर शहर के लोगों को जलापूर्ति के उपयोगी है. साथ ही उद्योगों के लिए भी लाभदायक है. अत: इरई को साफ कर पुनर्जीवित करना जरूरी है. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि वर्धा नदी वास्तविक रूप में इरई की सहायक नदी है. यहां तक कि वर्धा नदी भी गोदावरी नदी से जुड़ी हुई है. इस तरह से दोनों नदियों पर भी प्रदूषण का खतरा है.