रतन टाटा : मानवता के सूर्य को दे “भारत रत्न” – डॉ. प्रवीण डबली

भारत के उद्यमी जगत में रतन टाटा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज वे अपने बीच नही है। लेकिन इस देश को मजबूती देने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। उनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व, और सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति निष्ठा ने उन्हें न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है। ऐसे में यह मांग उठ रही है कि रतन टाटा को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया जाए। यह न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान की मान्यता होगी, बल्कि उन मूल्यों और सिद्धांतों का सम्मान भी होगा जिनके साथ उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया है।

मानवीयता और नैतिकता

रतन टाटा का व्यक्तित्व उनके व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ उनकी मानवीय संवेदनाओं के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने अपने कर्मचारियों के कल्याण, समाज के पिछड़े वर्गों की मदद और देश के विकास के लिए हमेशा प्रयास किए हैं। जब 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद मुंबई का ताज होटल निशाना बना, तब रतन टाटा ने उस कठिन समय में न केवल अपने कर्मचारियों, बल्कि उनके परिवारों और मुंबई के नागरिकों के प्रति भी संवेदनशीलता और सहायता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। साथ ही कैंसर हॉस्पिटल के माध्यम से मिल का पत्थर स्थापित किया। हर राष्ट्रीय आपदा में उनका योगदान सर्वोपरि रहता था।

उन्होंने टाटा समूह के मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित किया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में उनकी संस्था द्वारा अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं। रतन टाटा ने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति का भी अधिकांश हिस्सा परोपकार के कार्यों में लगाया है, जिससे उन्हें न केवल एक सफल उद्योगपति, बल्कि एक उदार समाजसेवी के रूप में भी देखा जाता है।

देश के उद्योग जगत में योगदान

रतन टाटा का कार्यकाल टाटा समूह के लिए एक स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने अपने नेतृत्व में कंपनी को न केवल आर्थिक ऊंचाइयों तक पहुँचाया, बल्कि इसे सामाजिक उत्थान और नैतिक व्यापारिक सिद्धांतों के आधार पर भी समृद्ध किया। टाटा समूह के विभिन्न व्यापारिक प्रयासों जैसे कि टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और टाटा पावर ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा

रतन टाटा का योगदान केवल भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया और टाटा समूह को एक विश्वस्तरीय कंपनी के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने ब्रिटेन की जगुआर लैंड रोवर जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों का अधिग्रहण किया और भारतीय उद्यमियों की क्षमता को विश्व पटल पर प्रदर्शित किया।

रतन टाटा का जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि व्यवसाय केवल लाभ कमाने का साधन नहीं, बल्कि समाज की प्रगति और विकास का एक महत्वपूर्ण जरिया भी हो सकता है। उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से उन सभी मूल्यों को स्थापित किया है जिनकी आज के भारत को सबसे अधिक आवश्यकता है – नैतिकता, ईमानदारी, और सेवा भाव।

इसलिए, रतन टाटा को भारत रत्न से सम्मानित करना केवल एक व्यक्ति का सम्मान नहीं, बल्कि उन आदर्शों का सम्मान होगा जिन पर उन्होंने अपना जीवन और करियर आधारित किया है। यही देश की उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

– डॉ. प्रवीण डबली,वरिष्ठ पत्रकार

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