नागपूर :- विदर्भ सिंधी विकास परिषद एवं सिंधु विकास संयुक्त तत्वधान में आयोजित सिंधी भाषा दिवस पर मुक्तिधाम दरबार जरीपटका मे कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र व्यापारी के अध्यक्ष विरेन्द्र कुकरेजा व कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र मेडीकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. विंकी रूघवानी ने की।
मंच पर घनश्यामदास कुकरेजा, संत सन्मुखदास उदासी, विजय केवलरामानी, पी.टी.दारा, शोभा भागिया, वल्लीराम सहजरामानी, राजेश बटवानी, सतीश आनंदानी, दौलत कुंगवानी, अर्जुनदास आहुजा व नारायणदास आहुजा उपस्थित थे। किशोर लालवानी, प्रमिला मथरानी, सोनिया जेसवानी, शोभा भागिया, मंजु कुंगवानी व जानकी कौरानी ने सिंधी भाषा दिवस पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरूवात अतिथीयों द्वारा दीप प्रज्वलन व झूलेलालजी के मूर्ति पर माल्यार्पण की गई।विदर्भ सिंधी विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ. विंकी रुघवानी ने अपने उद्बोधन में कहा भाषा के सिवाय अपने वजूद को कायम रखने का दूसरा कोई भी उत्तम साधन नहीं है। सिंधी समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वे मातृभाषा का संवर्धन करें।
विरेन्द्र कुकरेजा ने कहा कि अपनी संस्कृति तथा भाषा के प्रति समर्पण की भावना भी क्षीण होती जा रही है। हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिये। यही याद दिलाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को हम अपनी मातृभाषा की विरासत देकर जाएं।
वरिष्ठ रंगकर्मी और लेखक किशोर लालवानी ने कहा कि 1967 में सिंधी भाषा के संविधान की आठवीं सूची में शामिल होने के पश्चात् सात राज्यों में सिंधी साहित्य अकादमियों का गठन हुआ।
सिंधी भाषा दिवस के पश्चात में मुक्तिधाम में आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता पार्टी व्यापारी आघाड़ी के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र कुकरेजा का जन्मदिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर सभी सिंधी पंचायतों, दरबारों और सामाजिक संस्थाओं ने वीरेंद्रजी कुकरेजा का पुष्पगुच्छ व सम्मानित स्वरूप में स्वागत कर उन्हें शुभकामनाएं दीं।यह आयोजन सिंधी समाज की एकता और संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक रहा।कार्यक्रम का संचालन सत्यपाल केवलरामानी ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में जगदीश वंजानी, विक्की दात्रे ने किया।आभार प्रदर्शन विजय विधानी ने किया।