– सजने लगे माता के द्वार।
– देवी मंदिरों में की जा रही सजावट पेंटिंग लाइटिंग, लगेगा भक्तों का मेला।
काटोल :- महाराष्ट्र राज्य की उपराजधानी तथा संपूर्ण क्षेत्र में संतरा नगरी के नाम से प्रसिद्ध नागपुर जिले के एैतीहासीक तथा पौराणिक दृष्टि से व्याख्या प्राप्त है. इसी नागपुर जिले में अग्रेसर तहसील काटोल शहर की गणना होती है. वैसे इस शहर की पौराणिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है. साथ ही राजकीय चहल-पहल में महत्वपूर्ण भूमिका काटोल तहसील की रही है. महाभारत काल में इस शहर का नाम कुंतलापुर था यह प्रदेश उस समय कौतल प्रदेश के नाम से जाना पहचाना जाता रहा है. यहां पर कौतलेश्वर राजा का आधिपत्य था. इस पौराणिक कुंतलापुर नगरी का नाम कालमान के हिसाब से बदलता गया. पहले कौतलपुर बाद में ब्रिटिश काल में काटवल इस नाम से जाना जाता था उसके बाद उसका ही अपभ्रंश होकर काटोल यह नाम सर्वश्रुत हुआ. लेकिन इस शहर की ऐतिहासिक सांस्कृतिक तथा सामाजिक पार्श्वभूमी का अध्ययन किया तो सच्चाई सामने आती है. जाम नदी तथा अन्नपूर्णा नदी के संगम पर बसे हुए और इसी संगम पर कुंतलापुर नरेश राजा की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध काटोल में चंद्रहास कालीन किले के अवशेष, स्वयंभू विराजमान राक्षसकालीन निर्माण हेमाडपंती मंदिर में विराजमान मॉ चंडीका मंदिर, विद्या के की देवी मॉं सरस्वती का स्थान का मंदिर यह अति प्राचीन मंदिर से इसकी ख्याति है. आज भी माता सरस्वती मंदिर के सामने सरस्वती कुंड प्राचीन काल में काले पाषाण तथा खरप पत्थरों से राक्षस काल में बनाया गया ऐसा उल्लेखनीय है आज भी ऐतिहासिक तथा पौराणिक कथाओं काल के साक्ष देते हुए भप्रा अवस्था में मूर्तियां खडी है. इस कुंतलापुर नगरी का इतिहास पौराणिक ग्रंथों में जैमिनी अश्वमेघ, पांडव प्रताप, भागवत पुराण, हरीविजय, भक्तीविजय आदि में मिलता है. सरस्वती माता के के संपूर्ण भारत वर्ष में दो ही स्वयंभ मंदिर एक बौद्ध गया ( बिहार ) और दूसरा काटोल में स्थित है. काटोल शहर में स्थित है. तथा जागृत चंडीका देवी तथा सरस्वती देवी विराजमान हैं. अश्विन नवरात्रि के दौरान काटोल में बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है. नागपुर शहर तथा ग्रामीण अंचल व वरूड, मोर्शी, परतवाडा, अमरावती, आर्वी, आष्टी, कारंजा घाडगे, वर्धा, पुलगाव, गडचिरोली, चंद्रपूर, भंडारा, गोंदिया अकोला तथा मध्य प्रदेश के भोपाल, इटारसी, बैतूल, छिंदवाड़ा, बालाघाट, पांढुणा, मुलताई, पटण , आदी जगहों शहरों गांव से अश्विन नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों की देवी दर्शन करने के लिए आते हैं वहीं लाखों की संख्या में भक्तों भीड़ उमड़ पड़ी है. नवरात्रि उस्सव दौरान मेले का आयोजन किया जाता है जो ऐतिहासिक देवी स्वयंभू विराजमान विद्या की देवी मॉं सरस्वती देवस्थान मंडल द्वारा की जाती है वहीं मॉ सरस्वती मंदिर का जिनोंधार कर छह-सात वर्ष पहले लोकवर्गणी से निर्माण किया गया है। इस वर्ष माता सरस्वती मंदिर की वॉटरप्रूफ पेन्टिंग से पेन्टिंग कर नया रूप आकर्षित सजावट किया गया. इस मंदिर तथा संपूर्ण परिसर की विद्युत सजावट कर मंदिर के सामने राक्षकालीन विशाल जलकुंड की सजावट मॉ सरस्वती चॅरिटेबल ट्रस्ट एव नवरात्र उस्सव मंडल सरस्वती नगर द्वारा की गई है। मंडल द्वारा नगरपरिषद स्कूल नंबर 11 के मैदान में पर मीना बाजार का आयोजन किया जाएगा जिसमें विभिन्न प्रकार के झूले आकाश झूला, टोराटरा, ड्रैगन ट्रेन, म्युजिक डान्स, मैजिक झूला विशेष आकर्षण रहगे, स्टेशनरी खिलौने महिलाओं के लिए चूड़ियां, बैग, खान-पान, की दूकानें लगेगी प्रसिद्धि हेमाडपंती मंदिर में विराजमान देवी चंडीका माता मंदिर के चारो और आकर्षक लाइटिंग लगाकर रोशनाई की जा रही है। मंदिर तथा परिसर की व्यवस्था की पूरी व्यवस्था नगरपालिका प्रशासन द्वारा की जा रही है इसी तरह नवरात्र उस्सव मंडल द्वारा जगह जगह मॉ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। नवदुर्गा प्रदर्शनी मंडल तार बाजर द्वारा मुबई के अमरनाथ से स्वयंचलित भक्त प्रल्हाद का देखावा प्रस्तुत किया जा रहा है वहीं म्युजिकल लाइटिंग दुर्गा चौक व मुख्य मार्ग पर रोशनाई की जा रही है। सार्वजनिक नवदुर्गा उस्सव मंडल धंतोली द्वारा विशेष तौर पर चंद्रयान 3 म्युझिकल फाऊंटन शो प्रस्तुत किया जाएगा पास ही मैदान पर रास गरबे का आयोजन किया गया है। अखंड ज्योत नवदुर्गा उस्सव मंडल कुनबीपुरा गलपुरा चौक पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अलग अलग देवी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है. इस वर्ष बंगाली देवी माता की प्रतिमा आकर्षित का केंद्र बिंदु रहेगी, जिसके लिए मंडल द्वारा विशालकाय मंदिर गुफा रूप निर्माण किया जा रहा है वहीं माता की स्थापना की जाएगी। शारदीय नवरात्रि उस्सव मंडल धंतोली द्वारा जगन्नाथ पूरी के भगवान जगन्नाथ कृष्ण भगवान की उत्पत्ति कैसे हुई है स्वयंचलित झांकी प्रस्तुत की जा रही है। नवदुर्गा उस्सव सांस्कृतिक मंडल पेठबुधवार सुभाष चौक द्वारा उजेन महाकाल रूप मंदिर का निर्माण कर साडे बारा ज्योतिर्लिंग का देखावा प्रस्तुत किया जा रहा है वहीं माता दुर्गा की प्रतिमा की पूजा अर्चना कर स्थापना की जाती है। नगरपालिका चौक तहसील कार्यालय आंबेडकर चौक पर आर्दश माता रानी मंडल द्वारा गुफाओं का मंदिर निर्माण कर उग्र रूप धारण करने वाली काली माता की प्रतिमा स्थापित की जा रही है।
* गुजराती रास गरबा उस्सव मंडल द्वारा नगर भवन में दुर्गा की पूजा अर्चना कर रास गरबे का आयोजन नवरात्रि के 9 दिनों में किया जाता है।
* काटोल जलालखेडा वरूड मार्ग पर 7 कि.मी दूर स्थित विदेही सती अनुसया माता मंदिर संस्थान पारडसिंगा में विधिवत रूप मंदिर के अध्यक्ष चरणसिंग ठाकूर द्वारा पूजा-अर्चना कर घट स्थापना कर परिसर में आकर्षक रोशनाई कर नवरात्रि उस्सव का आयोजन किया जाता है।
* इस अश्विनी नवरात्रि उस्सव दौरान लाखो की संख्या में भक्तों जनसमूह लोगों सैलाब उमड़ता है. नवरात्रि के दौरान पुलिस प्रशासन, राजस्व, एवं नगरपालिका प्रशासन का सहयोग प्राप्त होता है।