व्यवसायी चाहिए या जनसेवक ! नाना का भ्रामक बयान ?

– शहर के दोनों उम्मीदवारों में समानता है,कोई भी सफेदपोश हो किसी का काम FREE में नही करता 

नागपुर :- कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि नागपुर शहर की जनता को तय करना है कि उन्हें लोकसभा सदस्य व्यापारी चाहिए या जनसेवक। नाना के इस बयां से नाना की अनभिज्ञता प्रदर्शित हो रही हैं.जबकि दोनों भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार में कई समानता हैं.दोनों व्यवसायी हैं,इनमे से एक क्रिकेट,इनकम टैक्स,ट्रांसपोर्ट,जमीन,गणना,सीमेंट,लोहा,प्लांटेशन,लाइजनिंग आदि व्यवसाय से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं जुड़े हैं.जो इनके करीबी परिजन संभल रहे हैं.

देश के पहले चरण का लोकसभा चुनाव बड़ा ही रोचक होने जा रहा हैं.गडकरी का बड़बोलापन उन्हें भारी पड़ रहा हैं.नतीजा पिछले 2 लोकसभा चुनाव में गडकरी को मिली जीत का अंतर इस दफे पिछले 2 चुनाव परिणामों के काफी कम होने वाला हैं.गडकरी की जीत निश्चित लेकिन मार्जिन 1 लाख के भीतर रहने वाली हैं.

भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवार अपने अपने समाज को लेकर चलते आये है,उन्हें प्राथमिकता देते रहे हैं,इसके अलावा किसी भी क्षेत्र में किसी भी जाति समाज का हुनरबाज हो और उनको मानने वाला हो तो उन पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि नागपुर लोकसभा का चुनाव ‘नितिन बनाम विकास’ या ‘भाजपा बनाम कांग्रेस’ नहीं बल्कि ‘मोदी बनाम गाँधी’ होने जा रहा हैं.इसलिए इस राजनैतिक द्वन्द में स्थानीय या राष्ट्रीय मुद्दा कोसों दूर रह गया हैं.कांग्रेस की तिकड़ी कांग्रेस उम्मीदवार को निपटाने में उतनी सक्रीय नहीं है,जितनी भाजपा में गडकरी विरोधी भाजपा अंतर्गत दूसरा बड़ा खेमा सक्रिय है,इनकी सक्रियता कांग्रेस उम्मीदवार को मजबूती प्रदान कर रहा हैं.

पूर्व नागपुर के विधायक हिन्दीभाषी विरोधी है,इसका भी असर इस चुनाव में दिखने जा रहा हैं.हिंदी भाषियों को भाजपा राजनैतिक रूप से तवज्जों नहीं देती है,खासकर बिहार के लाखों मतदाता/शहर वासी का अपना पक्ष भले ही भाजपा हो लेकिन उनका उनके बीच कोई जनप्रतिनिधि आज तक तैयार नहीं होने दिया गया हैं.शहर में 3 से 5 लाख बिहारी निवास करते हैं.

मध्य नागपुर में हलबा समाज को हर चुनाव में भाजपा बरगलाते आ रही,इस चुनाव में हल्बा समाज भी ‘दो दो हाथ’ करने के मूड में नज़र आ रहा हैं.इस मध्य नागपुर में मुस्लिम बहुल तबका कांग्रेस समक्ष विचारधारा वाला है,कुछेक लाभार्थी भाजपाई हो गए,इसका अर्थ यह नहीं कि पूरा मोमिनपुरा आसपास भाजपामय हो गया.

पश्चिम नागपुर और दक्षिण नागपुर हिंदी भाषी बहुल होने का आभास भाजपा को होने के कारण उप्र के मुख्यमंत्री की सभा आयोजित की गई थी.

उल्लेखनीय यह है कि दोनों उम्मीदवार एक दूसरे के पक्ष में अपनी अपनी टीम रखते है,एक दूसरे के पक्ष के दिग्गज नेता के मार्फ़त कुछ भी करवाने की क्षमता रखते हैं.

इन दोनों में यही अंतर है कि एक के पुत्र राजनीति से दूर तो दूसरे के पुत्र राजनीति में सक्रिय हैं.

गडकरी सिर्फ भाजपा या ठाकरे सिर्फ कांग्रेस के भरोसे क्रमशः संसद व विधानसभा सदस्य नहीं बने,दोनों को एक दूसरे के पक्ष ने वहां तक पहुँचाया।

यह भी चर्चा है कि यह चुनाव दोनों FRIENDLY लड़ रहे ताकि नया नेता शहर में पैदा न हो !

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