– वित्त मंत्रालय ने देश योजना के तहत एसईजेड को प्रस्तावित कर लाभ से किया
नई दिल्ली – विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) की इकाइयों को प्रस्तावित उद्यम विकास और सेवा केंद्र (देश) योजना के तहत कर छूट का लाभ संभवत: नहीं मिलेगा। समझा जाता है कि वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने देश योजना के तहत कुछ विकास केंद्रों के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों को ठुकरा दिया है क्योंकि उसका मानना है कि इस तरह की रियायतें देने से अन्य इकाइयों और विभागों के लिए असमानता पैदा हो सकती है।
कुछ प्रमुख कर प्रस्तावों में एसईजेड की इकाइयों को कच्चे माल पर मिले शुल्क का भुगतान कर घरेलू शुल्क क्षेत्र (एसईजेड से इतर देश के अंदर) में उत्पाद बेचने की अनुमति देना शामिल है। इसके अलावा देश योजना के तहत विकास केंद्रों में सभी नई और कुछ पुरानी इकाइयों को विस्तारित अवधि के लिए 15 फीसदी की रियायती कॉर्पोरेट कर की दर की पेशकश की जा रही है।
घटनाक्रम के जानकार वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘वाणिज्य विभाग को स्पष्ट रूप से सूचित किया गया है कि वे इन इकाइयों को प्रोत्साहित करने के वास्ते योजना को लाभकारी बनाने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं करें लेकिन कर प्रोत्साहन को योजना से बाहर रखा जाना चाहिए।’
इसे तार्किक ठहराते हुए उक्त अधिकारी ने कहा कि देश विधेयक एसईजेड की इकाइयों को देश के भीतर उत्पाद बेचने की अनुमति देता है, एक बार ऐसा होने पर हमारे पास एक व्यावसायिक इकाई/क्षेत्र होगा जो देश क्षेत्र में है, जिसे करों का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, जबकि दूसरा ‘विदेश क्षेत्र’ में है, जिन्हें कर का भुगतान करना होता है। इससे विवाद और असमानता पैदा होगी जबकि विधेयक का मकसद ऐसा कतई नहीं है।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत इस तरह की रियायतों/लाभों से एक चिह्नित क्षेत्र को मदद मिल सकती है लेकिन यह अन्य व्यावसायिक इकाइयों के लिए कठिनाई पैदा करेगा। इसलिए यह सुझाव दिया गया कि देश के अंदर ऐसा कोई क्षेत्र न हो जो बिना कराधान वाले टापू की तरह बन जाए। प्रस्तावित देश विधेयक मौजूदा विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) कानून की जगह लेगा। इसका उद्देश्य प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियों को अन्य देशों में जाने से रोकने के अलावा अधिक रोजगार पैदा करना और राजस्व जुटाने में मदद करना है। इसे 2022 के आम बजट में पेश किया गया था।
विशेषज्ञों का भी मानना है कि कर प्रोत्साहनों की सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एम एस मणि ने कहा, ‘देश योजना के संदर्भ में पहचाने गए क्षेत्रों या व्यावसायिक क्षेत्रों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए क्योंकि इसका उद्देश्य उन्हें वैश्विक क्षेत्र में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।’
इस विधेयक पर अभी काम चल रहा है और इसने एसईजेड के लिए कानून को नया रूप दिया है जो विशेष क्षेत्र में इकाइयां स्थापित करने वाली कंपनियों को कुछ प्रत्यक्ष कर रियायतें प्रदान करता है। प्रस्तावित वित्तीय ढांचे के अनुसार इन केंद्रों में काम करने वाली इकाइयों को घरेलू बाजार में बिक्री करने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें अंतिम उत्पादों के बजाय केवल आयातित कच्चे माल और इनपुट पर शुल्क का भुगतान किया जाएगा।
मशीनरी, कंप्यूटर उपकरण और कच्चे माल जैसे पूंजीगत सामान पर सीमा शुल्क भी नहीं वसूला जाएगा। इसके साथ ही नई और पुरानी इकाइयों को 2032 तक 15 फीसदी की वर्तमान कॉर्पोरेट कर दर से छूट का भी प्रस्ताव है। हालांकि उक्त कर प्रोत्साहन पर वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने चिंता जताई है। अब राजस्व विभाग प्रस्तावित लाभ से इनकार कर रहा है, ऐसे में सरकार को विधेयक संशोधित करना पड़ सकता है।