-टेकचंद शास्त्री
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नागपुर – गुर्दा में पथरी यानी किडनी स्टोन की समस्याओं से लाभ दिलाता है पाषाण भेद पौधे नामक हिमालयीन औषधीय के गुण धर्म के संबंध में बता दें कि इसे पाषाण भेद, पत्थरचट्टा और पणपुट्टी नाम से भी जाना-पहचाना जाता है।एक प्रकार का पौधा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है। ये पौधा खाने में खट्टा, नमकीन और स्वादिष्ट होता है, इसलिए इसका उपयोग व सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है, जैसे आप चाहे तो इसकी सब्जी भी बना सकते हैं।
आयुर्वेद में पाषाणभेद(पत्थरचट्टा) के पौधे को भष्मपथरी और पणपुट्टी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं मेडिकल साइंस में इसे bryophyllum pinnatum कहा जाता है। आप चाहे तो इसे घर में भी उगा सकते हैं।
आइए, जानते हैं पत्थरचट्टा के पौधे को इस्तेमाल करने का तरीका और इससे होने वाले फायदे –
1 पाषाण भेद-पत्थरचट्टा के दो पत्तों को तोड़कर उन्हें पानी से अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर सुबह-सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ चबा-चबाकर पेस्ट बनाकर उसे चूसते रहने से अत्याधिक लाभ होगा। ऐसा नियमित करने पर पथरी की समस्या से राहत मिलती है।
2 पत्थरचट्टा के रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
3 अगर पित्ताशय में पथरी हो, तो अजवायन के 10 पत्तों और पथरचटा के 10 पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसमें एक चम्मच गोखरू (यह आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगा) को मिलाकर सुबह-सुबह खाली पेट लें। ऐसा लगातार तीन दिनों तक करें। हालांकि इसके सेवन के बाद दस्त और उल्टियां भी लग सकती हैं लेकिन चिंता न करें। दिन में तीन बार पथरचट्टा के पत्तों का भी सेवन कर सकते हैं।
4 एक गिलास पानी में पथरचटा के 10 पत्तों को उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का रोज सुबह खाली पेट सेवन करें। ऐसा नियमित 5 दिनों तक करने से मूत्र संबंधी सभी रोगों से राहत मिलेगी। वर्तमान परिवेश में ही औषधीय गुणों से भरपूर पाषाणभेद का पौधा अपने घरों की क्यारियां और हमलों में लगाया जाने लगा है।
सहर्ष सुचनार्थ नोट्स :-
इस औषधि का सेवन करते समय चूना, बिना साफ किये हुए फल और अधिक चावल आदि का सेवन न करें। इसके अलावा अगर आपको कोई भी अन्य सेहत समस्या है, व किसी अन्य बीमारी का इलाज व दवाइयां चल रही हो, तो इसके सेवन से पहले अपने अनुभव कुशल आयर्वेदाचार्य चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है अन्यथा नुकसान हो सकता है