खापड़खेड़ा – जैसे ही शीत ऋतु ठंडी पड़ती है जो नवंबर से जनवरी के महीने तक इन 3 माह में काली राख शाम 6 बजे से तड़के सुबह तक गांव में आती है यह काली राख ऐसी होती है जो एक परत बना देती है , राख से सभी गांव वासियों का स्वास्थ्य में गड़बड़ी हो जाती है अधिकतर लोग स्वास की बीमारी से तंग तो है अनेकों को शरीर में खुजली शुरू होती, किसी किसी को आंखों में असर आ जाता है, यह राख तरह-तरह की बीमारी फैला कर चले जाती है पिछले कई वर्षों से इस मांग को लेकर गांव के सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने थर्मल पावर स्टेशन के अधिकारियों से लेकर जिलाधिकारी को व जनप्रतिनिधियों को निवेदन देकर सूचना देने के बाद भी आज तक इस राख को रोकने का कोई उपाय नहीं हुआ यदि यह राख ऐसी लगी तो आने वाला नयी पीढ़ी आने वाला बच्चा किस प्रकार से होगा ,कौन सी बीमारी से पैदा होगा पता नहीं चलेगा।
कई लड़कियो ने दिया तलाक
विवाह करके आयी लड़कीयो पति को छोड़कर चले गई ,बड़ी मजे की बात है इस गांव में अभी 2 वर्ष पहले अनेक विवाह करके अनेक शहरों से इस गांव में लड़कियां विवाह करके आयी जब आयी तो वह महीना शीत ऋतु होने से पूरी तरह से लड़कियां घर से जमा हुई काली राख से परेशान होकर लड़की को बीमारियों से त्रस्तहो गई, घर में कितने बार भी सफाई करें फिर से काली राख जमा हो जाती है वह कपड़े तो जल्दी ही मैंले दिखते हैं कितना भी साबुन से धोये तो भी कालापन निकलता नहीं होने से उन लड़कियों ने अपने पतियों को तलाक देकर अपने मायके चली गई, हमारा जीवन स्वस्थ रहने के लिए हमारा घर ही अच्छा है इस इस वजह से बहुत सी लड़कियां तलाक लेकर चले गए उन को समझाने के बाद भी वह नहीं आती है अब उसके पति की तो मजबूरी है कि उसकी रोजी-रोटी यहां रहने से उसको रहना ही पड़ता है। उसका स्वास्थ्य खराब हो या कुछ भी हो क्या करेंगे रोजगार मिलने के लिए उसको ऐसी जगह काम करना ही पड़ता है।