नागपुर :- मकर संक्रांति केवल नागपुर ही नहीं देशभर के विभिन्न शहरों में भी धूमधाम से मनाई जाती है. कुछ शहर तो ऐसे हैं जहां नागपुर की तुलना में बहुत ज्यादा पतंगबाजी होती है लेकिन पूरे देश में केवल नागपुर ही ऐसा शहर है जहां मकर संक्रांति पर फ्लाईओवर बंद कर दिए जाते हैं.
वह भी तब, जब शहर में यातायात व्यवस्था लावारिस हालत में हो. नागरिकों की दिक्कतों को कम करने के लिए ही फ्लाईओवरों का निर्माण किया गया लेकिन जब पुल ही बंद हो जाएं तो नागरिक कहां से आवागमन करेंगे, यह प्रशासन ने सोचा भी नहीं. यही कारण है कि सोमवार को पूरे शहर के फ्लाईओवर बंद रखने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया. व्यवस्था करने की बजाय प्रशासन ने फ्लाईओवर बंद कर अपने हाथ खड़े कर दिए. इसकी वजह से नागरिकों को कितनी परेशानी हुई इसका जरा भी एहसास प्रशासन को नहीं हुआ.
गुजरात का अहमदाबाद और सूरत उत्तरायण पर पतंगबाजी को लेकर पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. यहां विदेशी नागरिक भी पतंगबाजी देखने आते हैं. पतंगबाजी का अलग ही माहौल होता है. गुजरात के अन्य शहरों में भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है. केवल गुजरात ही क्यों महाराष्ट्र में भी संक्रांति पर पतंगबाजी का सुरूर ऐसा चढ़ता है कि दिनभर लोग घरों की छत पर बने रहते हैं. मुंबई, औरंगाबाद, दिल्ली और मध्य प्रदेश के कई शहरों में भी संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है.
छत्तीसगढ़ में दशहरा पर रावण दहन के साथ ही पतंगबाजी का उत्सव होता है लेकिन कहीं भी शहर के फ्लाईओवर बंद करने का निर्णय नहीं लिया जाता. तो केवल नागपुर में ही क्यों इस तरह के निर्णय लिए जाते हैं? यह समझ से परे है. सोमवार को फ्लाईओवर बंद करने की वजह से दिनभर नागरिक हलाकान होते रहे. पुल के नीचे की सड़कों पर जाम लगता रहा लेकिन यातायात व्यवस्था संभालने वाला कोई नहीं था. व्यवस्था करने की बजाय मार्गों को ही बंद कर देना कोई विकल्प नहीं हो सकता.
शहर में यातायात व्यवस्था न बिगड़े और लोग सुरक्षित अपने ठिकानों तक पहुंचें इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह प्रशासन की है लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये के चलते दिनभर नागरिकों को दिक्कत होती रही. सीताबर्डी, सक्करदरा, नरेंद्रनगर, दिघोरी, वर्धा रोड, सदर, मानकापुर, पांचपावली, दही बाजार, मेहंदीबाग, मनीषनगर सहित सभी 12 फ्लाईओवर बंद रखे गए. वैसे तो फ्लाईओवर बंद ही नहीं रहने चाहिए. पुल के दोनों तरफ ऊंचाई पर तार बांध देने से मांजा जमीन पर आता ही नहीं है. इस तरह की व्यवस्था पहले की जा चुकी है. लोगों को राहत भी मिली थी लेकिन अब तार टूटने के कारण व्यवस्था फिर बिगड़ गई है.
प्रशासन को संक्रांति के पहले ही सभी फ्लाईओवर पर तार बांधने चाहिए थे. अपनी व्यवस्था नहीं होने के कारण नागरिकों को परेशान किया गया. पुलिस चाहती तो फ्लाईओवर पूरी तरह बंद रखने की बजाय केवल दोपहिया वाहन चालकों पर पाबंदी लगा सकती थी. चारपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू रखने से निचली सड़कों पर वाहनों का लोड नहीं बढ़ता. जाम की स्थिति नहीं बनती. लेकिन चारपहिया वाहनों पर भी पाबंदी लगा दी गई.
पुल के दोनों तरफ ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल तैनात कर दिए जाते तो दोपहिया वाहनों को रोका जा सकता था लेकिन पुलिस के पास व्यवस्था संभालने के लिए 2 दर्जन कांस्टेबल भी नहीं थे. धीरन कन्या विद्यालय के सामने स्थित पुल टूटने के कारण सीताबर्डी फ्लाईओवर की उपयोगिता और बढ़ गई थी. इसके बावजूद पुल बंद रखा गया. वहीं अन्य सभी फ्लाईओवरों के नीचे रेलवे क्रॉन्सिंग पर वाहनों की कतार लगती रही. दिनभर व्यवस्था बिगड़ी हुई थी.