– मनपा, नासुप्र, नगर रचना विभाग,अग्निशमन विभाग की चुप्पी से भविष्य में हो सकता है जनहानि,इसके जिम्मेदार कौन …. खाकी या खादी या फिर निर्माता
नागपुर :- नागपुर शहर में पिछले कुछ सालों से नागपुर को मुंबई,पुणे बनाने की राजनैतिक चाहत की वजह से HIGH RISE बिल्डिंग निर्माण को तवज्जों दी जा रही हैं.ऐसे इमारतों की सुरक्षा की व्यवस्था शासन के पास न होने के बावजूद धड़ल्ले से चरणबद्ध निर्माण कार्य को अनुमति दिया जाना क्या जान-माल को खतरे में डालना कहा नहीं जा सकता ?
नागपुर महानगरपालिका हो या नागपुर सुधार प्रन्यास जनहितार्थ कार्य के बजाय व्यक्ति निहाय कार्यों में ज्यादा रुचि रखते हैं.मामूली से मामूली अतिक्रमण हो बिना समय गंवाए बुलडोजर से मकान ध्वस्त कर देते हैं.
आम निर्माण कार्य में अग्निशमन विभाग की अवहेलना किये तो निर्माणकार्य रुकवा कर लम्बी चौड़ी जुर्माना ठोक देते हैं.
मंजूर नक़्शे के निर्माणकार्य नहीं किया गया तो तोड़फोड़ करवाकर आर्थिक नुकसान करवा देते हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल जब जहाँ खड़ा हो तो निर्माण कार्य रुकवा देते है.
लेकिन विडम्बना यह है कि वर्त्तमान केंद्र और राज्य सरकार में सक्रिय BUILDER LOBBY का प्रतिनिधित्व करने वाले तथाकथित नेता की संरक्षण में नियमों को तोड़-मड़ोड़ कर नागपुर के HIGH RISE BUILDING के नक़्शे/प्रस्ताव को मंजूरी दी जा रही हैं.फिर इस नक़्शे को नज़रअंदाज कर निर्माणकार्य भी धड़ल्ले से खुलेआम किया जा रहा हैं.
उक्त तीनों प्रशासन के सम्बंधित विभागों के प्रमुखों का साफ़ साफ़ कहना है कि विपक्ष की चुप्पी के कारण सत्तापक्ष के दबाव में अवैध रूप से निर्मित हो रही HIGH RISE इमारतों को खड़ी होता देखने के अलावा कोई चारा नहीं।
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो इन HIGH RISE इमारतों में केंद्र-राज्य के दिग्गज नेताओं का INVESTMENT या भागीदारी हैं,इसलिए राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण को आधार बनाकर निर्माणकार्य भी कर रहे और FLAT, DUPLEX भी मनमानी कीमत में बेच रहे.अमूमन HIGH RISE BUILDING के फ्लैट्स और डुप्लेक्स के खरीददारों को 60% WHITE MONEY और शेष BLACK MONEY देना पड़ रहा हैं.इस पद्धत में खरीददार का भी बड़ा फायदा हैं.क्या या देश हित के खिलाफत का मामला नहीं हैं,तो केंद्रीय सम्बंधित विभाग शांत क्यों हैं?