हरिपाठ दोनों कुलों को बचाता है – चन्द्रशेखर क्षेत्रपाल

– राष्ट्रीय शिवाजी मंडल एवं शहीद शंकर महाले स्मारक समिति द्वारा 89 वर्षों की परंपरा को जारी रखते हुए मस्कराय गणेशोत्सव भव्य तरीके से मनाया जाता है

नागपूर :- कलियुग में हरिपाठ का अधिक महत्व है। क्योंकि कलियुग में मनुष्य का आचरण अच्छा नहीं रहता। इसलिए हरिपाठ के किसी भी अन्य साधनों से अधिक काम करने की संभावना है। एक बार जब हरिपाठ मजबूत हो जाता है, तभी उस हरिपाठ से मन शुद्ध होता है। एक बार मन शुद्ध हो गया तो शरीर को शुद्ध करने में देर नहीं लगती। गुरु का नाम मुख से लेना सीखना होगा। शरीर को सद्गुरु के नाम की आदत आसानी से नहीं लगती। ऐसी बुद्धि और शरीर बनने की इच्छा के लिए प्रयास करना आवश्यक है। हरिपाठ दोनों कुलों को बचाता है। जन्म-जन्मान्तर के पाप नष्ट हो जाते हैं। हम दोनों कुलों से पैदा हुए हैं. फिर माता और पिता दोनों के कुल का उद्धार हरिपाठ श्रवण करने से होता है। ऐसे ऊदगार हरिपाठ मंडल के अध्यक्ष चंद्रशेखर क्षेत्रपाल ने प्रगट की।

राष्ट्रीय शिवाजी मंडल, झेंडा चौक महल, नागपुर के सभागार में संत ज्ञानेश्वर द्वारा रचित हरिपाठ एवं उपदेश का कार्यक्रम आयोजित किया गया। राष्ट्रीय शिवाजी मंडल की स्थापना आज़ादी के पूर्व से प्रथम वर्ष 1936 से हुई। तब से हर वर्ष मस्कारा गणपति की स्थापना की जाती है। इस मंडल ने लगभग 89 वर्षों की परंपरा को आगे बढ़ाया है। साढ़े तीन सौ साल पहले खंडूजीराजा भोसले (पेशवा) ने बंगाल पर आक्रमण किया था। उस युद्ध में राजे खंडूजी विजयी हुए। उस खुशी में जीत का आनंद मनाने के लिए अनंत चतुर्दशी के बाद आने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन उन्होंने मस्कारा गणपति की विधिवत पूजा की और महल में झेंडा चौंक पर गणेश मूर्ती स्थापित की। तब से पूरे विदर्भ में सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। इस गणेश जी को मस्कऱ्या गणेश या हाडपक्या गणेश के नाम से भी जाना जाता है। पहला मान गणपति भोसले पेशवा काल के मस्कारा गणपति राजवाड़ा महल है, जबकि दूसरा मान गणपति महल झेंडा चौक, राष्ट्रीय शिवाजी मंडल के मस्कऱ्या गणपती को दिया जाता है। पूर्व मेयर श्री सखाराम चौधरी के निर्देशन में समाज हित के लिए विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुए। यह उसी एक भाग हैं की, हरिपाठ कार्यक्रम आज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के समक्ष आयोजित किया गया। क्षेत्रपाल के हरिपाठ कार्यक्रम से सभी भक्त मंत्रमुग्ध हो गये।

आजादी के दौरान शंकर महाले छात्र जीवन में देश की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़े और शहीद हो गये। आजादी के बाद शहीद शंकर महाले की प्रतिमा का अनावरण स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के शुभ हाथों से महल के झंडा चौक पर किया था। इस मस्कऱ्या गणपति उत्सव में देश के जाने-माने नेता और बुद्धिजीवी शामिल हुए. पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल ने शहिद शंकर महाले स्मारक ने आमंत्रित करके इसका दौरा किया था। राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज जीवनपर्यन्त इस धार्मिक अनुष्ठान में खंजेरी भजन गाते रहे।

शहीद शंकर महाले स्मारक समिति के अध्यक्ष अनिरुद्ध धारकर, सचिव शेषराव दुरूगकर और राष्ट्रीय शिवाजी मंडल के वर्तमान अध्यक्ष ओंकार राऊत, सचिव गणेश वांढरे, संयुक्त सचिव नितिन चौधरी एवं कार्यकर्ता विजय सोनुले, बोर्ड के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता तथा क्षेत्र के सम्मानित नागरिकों का बहुमूल्य मार्गदर्शन एवं योगदान है.

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