नागपुर :-गीता में 700 श्लोक हैं और हर एक श्लोक अमृत है। गीता हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। अगर जीवन में जीतना चाहते हैं तो गीता को अपने जीवन में लाइए। गीता अमृत सिंधु है। उक्त आशय के उद्गार विश्व जागृति मिशन के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग के आरंभ अवसर पर आचार्य सुधांशु महाराज ने उपस्थित भक्तों से कहे। विराट भक्ति सत्संग का आयोजन रेशिमबाग के कविवार्य सुरेश भट्ट सभागृह में 8 जनवरी तक किया गया है।
प्रवचन से पूर्व आचार्य सुधांशु महाराज ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का आरंभ किया। पश्चात ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ के जाप मंत्र से उपस्थित भक्तों को वासुदेव श्री कृष्ण से जोड़ा।
महाराज ने कहा कि जिस स्थान पर अर्जुन और श्री कृष्ण की शक्तियां एकत्र होती हैं, वहीं पर ‘श्री ‘ का वास होता है, वहीं अचल नीति होती है, वहीं शोभा और विभूतियाँ आती हैं।
आचार्य सुधांशु महाराज ने कहा कि हर उस भक्त की नीति सफल होती है जिसके साथ स्वयं श्री कृष्ण होते हैं। यदि आप श्री कृष्ण को मानते हैं मतलब आप गीता को मानते हैं। श्री कृष्ण ने कहा है कि गीता मेरा हृदय है। आप गीता के श्लोक पड़ते हैं मतलब आप श्री कृष्ण का आशीर्वाद ले रहे हैं।
महाराज ने आगे कहा कि अगर आप में दया का भाव है मतलब आपमें भगवान की याद है। दया का उल्टा ही होता है याद । कोई अगर दया का बीज बोता है तो श्री कृष्ण वासुदेव उस बीज को उगा दिया करते हैं। जब दिल बड़ा होता है तो उसमें श्री हरि का वास हो जाता है। अपने हृदय में गीता को बैठा लीजिये। यह 700 श्लोकों का अमृत बिंदु है।गीता का संदेश सुनें और उसका मनन करें। उन्होंने कहा कि परमात्मा को समझने के लिए सृष्टि को समझना अति आवश्यक है।
आज व्यास पीठ का पूजन मुख्य यजमान दिलीप मुरारका परिवार, सह यजमान जगमोहन खंडेलवाल परिवार,बोधाराम तारवानी परिवार ने किया। 5 जनवरी से 7 जनवरी तक सत्संग का सत्र सुबह 9.30 बजे से व दोपहर का सत्र 4.30 बजे से होगा।6 जनवरी को सुबह पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा। सभी से उपस्थिति की अपील विश्व जागृति मिशन की ओर से की गई है।