मुंबई :- उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैरकानूनी ‘हलाल प्रमाणपत्र’ पर प्रतिबंध लगाया है, उसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी हलाल प्रमाणित उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। इस मांग पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सचिव को प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। हाल ही में हिंदू जनजागृति समिति की ओर से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात कर यह मांग की गई थी। इस अवसर पर समिति के मुंबई से सतीश सोनार, रवि नलावड़े और नांदेड से शिवसेना विधायक आनंद तिडके (बोंडारकर) उपस्थित थे। समिति का कहना है कि एक ‘सेक्युलर’ व्यवस्था में धार्मिक आधार पर उत्पादों का प्रमाणन असंवैधानिक है। यदि महाराष्ट्र में हलाल प्रमाणित उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया तो हम इस निर्णय का स्वागत करेंगे।
खाद्य पदार्थों के संदर्भ में, कानून के अनुसार ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) एक सरकारी संस्था है, जिसे खाद्य पदार्थों के मानक तय करने और प्रमाणन देने का अधिकार है; लेकिन ‘हलाल प्रमाणन’ एक समानांतर प्रणाली के रूप में स्थापित की गई है, जो खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर भ्रम पैदा करके सरकारी नियमों का उल्लंघन करती है। महाराष्ट्र समेत पूरे देश में ‘हलाल इंडिया’, ‘हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेस इंडिया’, ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’, ‘जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र’ जैसी कई संस्थाएं अवैध रूप से हलाल प्रमाणपत्र जारी करके करोड़ों रुपये एकत्र कर रही हैं। इसी कारण उत्तर प्रदेश में इस पर प्रतिबंध लगाया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी स्पष्ट किया है कि किसी निजी संस्था को प्रमाणपत्र जारी कर पैसे एकत्र करने का अधिकार नहीं है। यह भी चौंकाने वाला है कि इस पैसे का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टेट जैसी आतंकवादी संगठनों के लगभग 700 आरोपियों को कानूनी सहायता देने में किया जा रहा है। इस संबंध में हिंदू जनजागृति समिति ने उपमुख्यमंत्री श्री शिंदे को एक ज्ञापन के साथ कुछ दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे।
इस संदर्भ में समिति ने निम्नलिखित मांगें की हैं, महाराष्ट्र में अवैध रूप से हलाल प्रमाणपत्र जारी करने वाली निजी संस्थाओं पर तुरंत अपराध दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए। हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों पर आघात करने वाले हलाल प्रमाणन पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए। हलाल के नाम पर निजी संस्थाओं द्वारा एकत्र किए गए धन की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए। हलाल प्रमाणपत्र से एकत्र की गई अवैध संपत्ति को ब्याज सहित वसूला जाए। इस पैसे का उपयोग कहां किया गया और क्या इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ, इस पर भी गहन जांच की जाए। इन मांगों पर उपमुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।