स्वास्थ्य सम्बन्धी दवा,उपकरण,मर्ज के अनुरूप इलाज में खुलेआम चल रही धांधली पर 100 % रोक लगाने की मांग

– प्रधानमंत्री को पत्र लिख “आम से लेकर खास” के लिए एक दर निश्चित कर ठोस नीति बनाने की गुहार,गोरखधंधे करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो

नागपुर :- बेशक देश के कुछ हिस्सों/क्षेत्रों में सुधार देखा जा रहा.लेकिन आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या/जरुरत यह है कि देश का प्रत्येक नागरिक फिर चाहे ‘आम हो या खास’ सभी का स्वास्थ्य स्वस्थ्य रहे.चिकित्सा क्षेत्रों के घोर लापरवाही के कारण,उनके गोरखधंदे की वजह से कोई अपनी जान न गंवा बैठे।

देश/राज्य/नागपुर में स्वास्थ्य विभागों में धांधलियां सर चढ़ के बोल रही हैं.बीमार होने के बाद रोजाना अनगिनत मरीजों को महंगे और समय पर इलाज/दवा न मिलने के कारण जान गंवाने की नौबत आन पड़ी हैं.

कड़वा सत्य यह है कि देश का स्वास्थ्य विभाग/व्यवस्था केंद्र या राज्य सरकार नहीं बल्कि दवा निर्माता या स्वास्थ्य विभाग सम्बन्धी उपकरण निर्माता या इस क्षेत्र में निवेशक/व्यवसायी चला रहे हैं.

निवेशक या व्यवसायी अस्पताल आदि निर्माण कर देता है,अस्पताल में लगने वाली तमाम उपकरण आजतक कॉन्ट्रैक्ट बेसिस या तय शर्तो पर फ्री में मिल जाती हैं,अर्थात उसकी मार्केटिंग बेचने वाली कंपनी करती हैं.इसके बाद दवा सह इलाज में लगने वाली उपकरणों के निर्माता उसी अस्पताल में एक मेडिकल स्टोर या अस्पताल प्रबंधक या सम्बंधित चिकित्सकों से सांठगांठ कर सिमित जगह दवा/उपकरण के लिए भेजने/लिखने के लिए बाध्य करती हैं.

इतनी शानदार व्यवस्था के बाद प्रशिक्षु/अनुभवी चिकित्सक वर्ग आये दिन अस्पताल या मेडिकल स्टोर शुरू करते जा रहे है,अमूमन नागपुर सह देश के तमाम सहरी गली और तमाम गांव में एक से ज्यादा मेडिकल स्टोर और आसपास अस्पातले हैं.
अस्पतालों में स्थानीय क्षेत्रों के हिसाब से एक ही मर्ज के अनेकों दर नागपुर से लेकर तमाम देश के शहरों/ग्रामीणों में
देखने/सुनने को मिल जाएगी।

उक्त व्यवसाय में सबसे मजे में और दिन दोगुणी रात चौगुणी सिर्फ और सिर्फ दवा सह मेडिकल उपकरण आदि बेचने वाले वितरक तरक्की कर रहे हैं.
1. जैसे दवा सह उपकरण निर्माता/वितरक ‘प्रोडक्ट्स’ पर MRP 220 रूपए लिख मेडिकल स्टोर वाले को 19.50 रूपए में बेच रहा.इस दवा/मेडिकल उत्पाद का कुछ प्रतिशत निर्माता/वितरक को भी लाभ हो रहा होगा। फिर दवा/मेडिकल उत्पाद का निर्माण खर्च क्या रहा होगा,इसका अंदाज आसानी से कोई भी लगा सकता हैं.दवा की गुणवत्ता भी व्यवस्थित होगी,संभव नहीं ?

2. उक्त खरीद-बिक्री के व्यवहारों में तय समय बाद RETURN की गैरेंटी नहीं रहती हैं.फिर दवा/सामग्री ख़राब क्यों न हो जाए,ख़राब होने पर पैसा खरीदी करने वाले मेडिकल स्टोर का डूब गया.

3. MRP 220 वाली दवा/सामग्री मेडिकल स्टोर को बेची गई 19.50 रूपए में.लेकिन वितरक/निर्माता ने GST 220 के बजाय 19.50 रूपए पर 12% भरी,यह सरासर चोरी खुलेआम हो रही हैं.

4. अधिकांश अस्पतालों में संचालकों का ही खुद का मेडिकल स्टोर होता है,क्यूंकि मार्जिन 100% से लेकर 1000% है,या फिर करोड़ों की पगड़ी लेकर किस बड़े इन्वेस्टर/माफिया को थमा दी जाती हैं.इससे अस्पताल संचालकों फिर निवेशक हो या खुद डॉक्टर उन्हें दोहरा लाभ होता है.एक बेचीं जा रही दवा/उपकरणों पर तय मासिक कमीशन और दूसरा दवा कंपनियों की तरफ से सहल फ्री।

5. सरकारी अस्पतालों में दवा के नाम पर जेनरिक या नॉन ब्रांडेड तो निजी अस्पतालों सह बड़े बड़े सरकारी अस्पतालों में ब्रांडेड दवा दी जाती है या लिखी जाती हैं. नॉन ब्रांडेड और ब्रांडेड दवा के मध्य जमीन-आसमान का फासला होता है,फिर चाहे दर हो या गुणवत्ता।

6. रही बात इलाज की तो सरकारी अस्पतालों में गुणवत्ता को नज़रअंदाज पर फ्री में इलाज होता है,सिफारिश तगड़ी हो तो जल्द और पहचान न हो तो अस्पताल प्रबंधक के मनमर्जी के हिसाब से.इस दौरान बहुत सी दवा/उपकरण बहार से महँगी दामों वाली तय दुकानों से खरीदकर मंगवाया जाता है.इसलिए सरकारी अस्पतालों के बहार बड़े बड़े कई मेडिकल स्टोर देखने को मिल जायेंगे।

7. वही दूसरी ओर निजी अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों में जिस बीमारी का फ्री इलाज हो जाता ,उसी बीमारी का निजी अस्पताल में लाखों वसूल लिए जाते,फिर चिकित्सा का मामला हो या दवा.अन्य सामग्री।

८. इसके अलावा ऑनलाइन दवा/सामग्री बेचने वालों ने दरों में ऐसा हंगामा मचाया कि आम मेडिकल स्टोर का व्यवसाय उनके बनस्पत मंदा हैं.फैशन के दौर में गुणवत्ता की सोच रखना बेमानी साबित हो रही.

उक्त अवैधकृत की वजह से और दवा/उपकरण निर्माता के सलाह/सुविधा के कारण मेडिकल क्षेत्र की बड़ी बड़ी डिग्रियां महँगी से महँगी दामों में ‘लीगल’ तरीके से बिक रही,जिसके खरीददार अधिकांश मेडिकल क्षेत्र के व्यवसायी/निर्माता/चिकित्सकों के परिजनों का समावेश हैं.

देश में खर्च/समय बचाने के लिए ‘एक देश एक चुनाव’ के लिए आपकी सरकार गंभीरता दिखा रही तो देश में जनहित में ‘एक बीमारी,एक इलाज दर’ पर क्यों नहीं सोच रही ,क्या इससे केंद्र सरकार को नुकसान हैं या फिर …..अन्य कोई वजह हैं.

इसलिए देश के अबतक के सक्षम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विनम्र विनंती ‘एमओडीआई फाउंडेशन’ ने है कि नागपुर सह सम्पूर्ण महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सम्बन्धी दवा,उपकरण,मर्ज के अनुरूप इलाज में खुलेआम चल रही धांधली पर 100 % रोक लगाने सह “आम से लेकर खास” के लिए एक दर निश्चित कर ठोस नीति बनाने बनाए।तबतक उक्त प्रकार के गोरखधंधों में लिप्त नागपुर जिले समेत देश के दवा निर्माताओं/वितरकों पर युद्ध स्तर से कार्रवाई होती रहे,इससे 100000% अगले कई दशक तक मोदी/भाजपा सरकार देश ही नहीं तमाम आम नागरिको के दिलों पर राज करती रहेगी और देश से दवा माफिया राज शून्य पर चला जाएगा।

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