नागपूर :- विदर्भ के व्यापारियों की अग्रणी व शीर्ष संस्था नाग विदर्भ चेंबर आॅफ काॅमर्स के अध्यक्ष अर्जुनदास आहुजा ने चेंबर के उपाध्यक्ष स्वप्निल अहिकर, सहसचिव शब्बार शाकिर, PRO हेमंत सारडा व चेंबर की अप्रत्यक्ष कर उपसमिती के संयोजक सी.ए. रितेश मेहता के साथ जी.एस.टी. एवं उससे संबंधित नियमों के विभिन्न मुद्दों पर के.सी. जाॅन (मा. मुख्य आयुक्त, राज्य जी.एस.टी., नागुपर झोन) को प्रतिवेदन दिया।
चेंबर के अध्यक्ष अर्जुनदास आहुजा ने सर्वप्रथम के.सी. जाॅन का पुष्पगुच्छ व दुपट्टे से सत्कार किया। उन्होंने प्रतिवेदन के माध्यम से कहा कि सरकार ने विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने तथा कर प्रणाली को अधिक व्यापक रूपसे प्रभावी बनाने के लिए “एक देश-एक कर” के तहत जी.एस.टी. लागू किया था। जिसका सभी व्यापारी समुदाय ने तहेदिल से स्वागत किया था। वर्तमान में जी.एस.टी. एवं उनसे संबंधित कुछ कानूनों को लेकर करदाताओं को परेशानियां हो रही है।
उन्होंने बताया कि राज्य व केन्द्र के जी.एस.टी. विभाग द्वारा कई करदाआतों को वर्ष 2017-18, 18-19, 19-20 व 20-21 के रिटर्न के जांच के आधार नोटिस जारी किए है। उस समय जी.एस.टी. कानून नया होने से करदाताओ द्वारा रिर्टन फाइल करने में भुलचुक होना स्वाभाविक था। अतः जी.एस.टी. विभाग उस समय के रिर्टन का आॅडिट करते समय उदार दृष्टिकोण रखना चाहिए क्योकिं विभाग के सख्त व्यवहार के कारण करदाताओं के व्यवसाय पर तो असर होता है साथ ही सरकार के जी.एस.टी. संग्रह में भी कमी होगी।
चेंबर के उपाध्यक्ष स्वप्निल अहिरकर ने कहा कि वर्तमान में देखने आ रहा है कि कई निर्यातकों को zero-rated निर्यात वस्तुओं के जी.एस.टी. रिफन्ड लेने में बहुत परेशानी हो रही है। ऐसी वस्तुओं के निर्यातकों के GST return का ICE gate website के साथ मिलान न होने से उनका जी.एस.टी. रिफन्ड अटक जाता है। यह मिलान शिंपिग बिल, बिल नं. पोर्ट कोड आदि में typing error के कारण होता है। चेंबर ने इसके लिए जी.एस.टी. विभाग से निवेदन किया कि जांच अधिकारी को अधिकार दिए जाने चाहिए कि यदि आॅफलाईन में GST return का reconcile होता है तो निर्यातकों के जी.एस.टी रिफन्ड को मंजुरी दे। इससे काफी लंबे समय से रूके हुए जी.एस.टी. रिफन्ड को लेने में निर्यातकों को सहायता होगी।
चेंबर के सहसचिव शब्बार शाकिर ने बताया कि GST रजिस्ट्रेशन कराने की समय सीमा 1 सप्ताह, जो कि बहुत कम है, होने के कारण करदाताओं को परेशानी हो रही है। जी.एस.टी. रजिस्ट्रेशन के लिए कम से कम 3-4 सप्ताह का समय निर्धारित होना चाहिए। हमारी जानकारी के अनुसार केन्द्रीय जी.एस.टी. विभाग ने जी.एस.टी. के लगभग सभी cases के लिए विभाग में व्यक्तिगत उपस्थिती अनिवार्य की है। जिसके कारण भी रजिस्टेªशन कराने में देरी होती है।
चेंबर के PRO हेमंत सारडा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरें कम हैं हालांकि आयकर, जीएसटी आदि कानूनों में ब्याज दरें 18% तक हैं। यदि डीलर देरी से भुगतान करता है, तो उसे भारी ब्याज देना पड़ता है, जो उसके व्यवसाय के लिए एक बड़ा झटका है और इसलिए हम अनुरोध करते हैं कि ब्याज दरों में भारी कमी की जाए और इसे आरबीआई की ब्याज दर के बराबर किया जाए।
चेंबर की अप्रत्यक्ष कर उपसमिती के संयोजक सी.ए. रितेश मेहता ने कहा कि सरकार ने GST late fee को स्थायी रूप से हमेशा के लिए आवश्यकता अनुसार रू. 500 से 1000/- से कम किया है तथा जुलाई 2017 से लेकर अप्रैल 2021 तक के लिए GST Amnesty Scheme की घोषणा की है वह स्वागत योग्य है। फिर भी जी.एस.टी अधिकारी या विभाग द्वारा जिन करदाताओं का रजिस्टेªशन रिर्टन फाइल न करने या 90 दिनों के अंदर रिर्टन फाइल करने के कारण रद्द कर दिया गया है। ऐसे करदाता अपना जी.एस.टी. रजिस्टेªशन पुनः एक्टिव कराने और अपनी pending tax liability का भुगतान नहीं कर पा रहे है। उन्होंने सरकार व जी.एस.टी. विभाग से निवेदन किया कि एकमुश्त जी.एस.टी. अभय योजना के तहत जी.एस.टी. रिर्टन के सभी लंबित मामलों का निपटारा कर करदाताओं को राहत देना चाहिए।
के.सी. जाॅन ने चेंबर के प्रतिनिधीमंडल के सुझावों एवं परेशानियों को ध्यान ने सुना और उस पर जी.एस.टी विभाग द्वारा कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया।
उपरोक्त जानकारी प्रेस विज्ञप्ति द्वारा अध्यक्ष अर्जुनदास आहुजा ने दी।