– दोषी लोकसेवकों पर कानूनी कार्यवाही करने की जनलोकपाल संघर्ष समिति की मांग,एक ही जगह पर तीन-तीन होर्डिंग्स
नागपुर :- पिछले 8 वर्षों में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान देश में महंगाई चरम सीमा पर पहुँच गयी हैं.मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल गैस सहित खान-पान,भौतिक संसाधनों के दाम दोगुना,चौगुना बढ़ा दिये हैं.
असेसमेंट ईयर 2020-21 के मुताबिक देश में प्रत्यक्ष रुप में लगभग 8,22,83,407 आयकर दाता हैं.136 करोड़ की आबादी वाले इस देश में इन सभी आयकर दाताओं के साथ-साथ बाकि नागरिक भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आयकर दाता हैं.जो रोजमर्रा के जीवन में किसी भी वस्तुओं के खरीद बिक्री पर सरकार को जीएसटी,सेस सहित कई प्रकार के टैक्स चुकाते हैं.
सरकार जनता के टैक्स का यह रुपया देश के विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा,रोजगार एवं नागरी सुविधाओं,पीड़ितों को, किसानों को आर्थिक मुआवजे,रक्षा पर खर्च करती हैं. पिछले कुछ दशकों से देश में सरकार में बैठे लोकसेवकों द्वारा सरकार और स्वयं का महिमामंडन करने का प्रचलन काफी बढ़ गया हैं.
सरकारी योजनाओं,उद्घाटन,रैलियों से लेकर लोकार्पण तक के कार्यों के देशभर के अखबारों,प्रेस मीडिया,शहर,गांव,गली,कूंचे सारे पोस्टर,होर्डिंग्स,विज्ञापनों से पटे पड़े हुए हैं.
आम जनता के खून पसीने की कमाई का रुपया,भीषण महंगाई और बेरोजगारी से बेजार हुई प्रजा के टैक्स का रुपया ऐसे निरर्थक और बेफिजूल की बातों पर बर्बाद करना सरकार और लोकसेवकों के मानसिक दिवालियेपन की निशानी हैं.
सरकारी राशन की दुकानों में आज भी मुफ्त में या 2 रुपये किलो गेहूं और 3 रुपये किलो चावल खानेवाली देश की 80 करोड़ जनता वाले देश में सरकार और लोकसेवकों के इन गैरकानूनी खर्चों पर प्रतिबंध लगाने,कानूनी कार्यवाही करने के लिए देश की तीनों लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं.
एक ओर देश में सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने हक की सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना बंद करने से कुछ दिनों से सभी कर्मचारी बेमुद्दत कलम बंद करके सड़क पर उतरे हैं.
प्रदेश के पुलिस कर्मी भी सरकार द्वारा पिछले कई वर्षों से दिये जा रहे 250 रुपये मासिक पोषण भत्तें से नाराज हैं. आंगनवाड़ी सेविकाएं, आशा वर्कर्स,नर्सेस,निवासी डाक्टर, शिक्षक,मजदूर भी अपने कम वेतन भत्तों,पेंशन की समस्याओं से पहले ही परेशान हैं,वहीं दूसरी ओर सरकार इन पीड़ित नागरिकों की समस्याओं को दूर करने की बजाय जनता का रुपया बेफिजूल की बातों पर बर्बाद करने से बाज नहीं आ रही हैं.
हाल ही में सरकार की ओर से जी 20 शिखर सम्मेलन की तैयारी देशभर में जोर शोर से जारी हैं.
खरबों रुपये के विदेशी कर्जों से दबे,महंगाई,बेरोजगारी, अपराधों,अपराधियों से बेजार हुए भारत को मोदी सरकार आम जनता पर भारी भरकम महंगाई का जबरन बोझ लादकर केवल विदेशी मेहमानों के स्वागत और मनोरंजन के लिए सजावटों, विज्ञापनों के द्वारा चमकाने की तैयारी में जी जान से जुटी हैं.जो कि भारतीय लोकतंत्र के मुंह पर एक तमाचा हैं.
नागपुर शहर के केवल पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र को भी नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया जा रहा हैं.एक ही जगह पर एक ही विषय के अनेक पोस्टर,बैनर,होर्डिंग्स,पेंटिंग लगाना सत्ताधारी आयोजकों,लोकसेवकों के पागलपन की निशानी हैं.
मामला सदर फ्लाय ओवर पर लगे हुए एक ही विषय पर लगे तीन-तीन होर्डिंग्स का हैं.क्या प्रचार प्रसार के लिए केवल एक ही होर्डिंग्स काफी नहीं हैं?
इन सारे विज्ञापनों के एक दिन का शुल्क कितना हैं?इन सभी विज्ञापनों,सजावटों पर कितना और किसका रुपया खर्च हो रहा हैं इसकी कानूनी तौर पर जांच,छानबीन होना जरूरी हैं.
आम जनता के टैक्स का रुपया बेवजह बर्बाद करने वाले लोकसेवकों को सबक सिखाने के लिए जनलोकपाल संघर्ष के अध्यक्ष राजेश पौनीकर,मनोज सोनी,ज्ञानेश्वर गोखे,दीपक साने, प्रल्हाद समर्थ,रविकांत वाघ,संजय शर्मा,अजय शाहू ने आम जनता के टैक्स के रुपयों की बर्बादी करने वाले तथा संवैधानिक पदों का दुरुपयोग करने वाले और मानवाधिकार अधिकारों का उल्लंघन करने वाले दोषीयों पर फौजदारी मामला दर्ज कर कठोर सजा देने की मांग संबंधित विभागों और सर्वोच्च न्यायालय से की हैं.