न्यायालय का क्लर्क गिरफ्तार

– 127 एक्सीडेंट केस में पीड़ितों को नहीं मिला मुआवजा 

नागपुर :- सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे की रकम कोर्ट का क्लर्क ही पचा रहा था. वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा दिए जाने वाली मुआवजे की रकम पचाने के लिए क्लर्क ने अपनी पत्नी, रिश्तेदार और विभिन्न संस्थानों के नाम पर खाते खोले.

इस तरह 127 मामलों में 8 करोड़ से ज्यादा की रकम पचाई गई. एक तरफ मुआवजा पाने के लिए कोर्ट के चक्कर काटते-काटते लोगों की चप्पल घिस जाती है. वहीं कोर्ट का लिपिक दस्तावेजों की हेराफेरी करके करोड़ों की रकम दबा लेता है. पुलिस ने एमएसीटी के अधिकारी अभय खसाले की शिकायत पर मामला दर्ज किया है.

आरोपियों में विभाग के क्लर्क आंबेडकर चौक, सेंट्रल एवेन्यू रोड निवासी दिगंबर भोलानाथ डेरे (45), उसकी पत्नी राजश्री दिगंबर डेरे, रिश्तेदार पितांबर मनीराम धारकर, आदेश पितांबर धारकर, ओम दत्ता जरे, उज्ज्वला भीमराव भगत, रीना हरीश भगत, गोपाल दत्ता जरे, अपेक्स ट्रेडिंग कंपनी, गंगा ट्रांसपोर्ट, हार्दिक शुभेच्छा कॉटन प्रा. लि. डीपी इंटरप्राइजेस और हारू एंड धारू कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. कंपनी के संचालकों का समावेश हैं. जून 2012 में डेरे का काटोल न्यायालय से एमएसीटी में ट्रांसफर हुआ. दुर्घटना के मामलों में मृतक के परिवार वालों को मुआवजा देने का प्रावधान है. संबंधित बीमा कंपनी या विरोधी पार्टी यह रकम न्यायाधिकरण के पास जमा करती है और बाद में ट्रेजरी के मार्फत आरबीआई के खाते से दावेदारों के खाते में रकम ट्रांसफर की जाती है.

न्यायाधिकरण के सदस्य और संबंधित लोगों के हस्ताक्षर लेकर यह रकम दावेदारों के खाते में जमा करवाने की जिम्मेदारी डेरे की थी. डेरे ने अपनी पत्नी, रिश्तेदारों और 5 कंपनियों के नाम पर खाते खोले. मुआवजा की रकम पीड़ित परिवार को मिलने की बजाए उसके द्वारा खोले गए खातों में जमा होने लगी. जून 2023 में उच्च न्यायालय की एक टीम ने एमएसीटी के मामलों की जांच की. जिसमें एक मामले में 20 लाख रुपये की गड़बड़ी होने की बात सामने आई.

डेरे से जवाब तलब करने पर उसने अपनी चूक मान्य करते हुए 22.51 लाख रुपये डीडी जमा करवा दी. जुलाई महीने में उसका तबादला कर दिया गया. इसके बाद सभी मामलों का ऑडिट किया गया. जांच में पता चला कि 127 मामलों में डेरे ने हेराफेरी करके 8 करोड़ रुपये की रकम पचाई है. न्यायाधिकरण के सदस्यों ने उसके खिलाफ पुलिस से शिकायत करने के आदेश दिए और शुक्रवार को पुलिस ने उपरोक्त आरोपी और संस्थानों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

4 की गिरफ्तारी, 23 तक PCR

प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा को सौंपी गई. पुलिस ने प्रकरण दर्ज करते ही डेरे, उसकी पत्नी राजश्री, रिश्तेदार ओम जरे और गोपाल जरे को गिरफ्तार कर लिया. शनिवार को पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया. पुलिस ने न्यायालय को बताया कि यह गंभीर मामला है. आरोपियों ने केवल पीड़ित दावेदारों के साथ ही नहीं सरकार और न्यायालय के साथ भी धोखाधड़ी की है. न्यायालय ने चारों आरोपियों को 23 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए है. प्राथमिक जांच में पता चला कि डेरे ने गबन की गई रकम से नया फ्लैट और लग्जरी गाड़ी भी खरीदी है. पिछले 11 वर्षों से वह हेराफेरी कर रहा था. यदि उच्च न्यायालय की टीम व्यवहार की जांच नहीं करती तो उसका घोटाला सामने नहीं आता.

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