केंद्र ने किसानों को सशक्त बनाने और पीएमएफबीवाई में संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए फसल बीमा में तकनीकी प्रगति का शुभारंभ किया

– केंद्रीय मंत्री ने एआईडीई नामांकन के लिए यस-टेक, विंड्स पोर्टल और बीमे के लिए मध्यस्थ ऐप के लिए मैनुअल का अनावरण किया

नई दिल्ली :- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने आज प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को सशक्त बनाने और संचालन को सुचारु रूप देने हेतु कई नए तकनीकी कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। इस वर्तमान शुभारंभ के साथ, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अथक प्रयास अब 2023-25 के वर्तमान निविदा चक्र और खरीफ 2023 के दौरान किसान नामांकन में दिखाई दे रहे हैं, जो किसानों को सशक्त बनाने और उनकी आजीविका को सुरक्षित करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस भव्य शुभारंभ कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में किया गया, जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने पीएमएफबीवाई (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) और आरडब्ल्यूबीसीआईएस (पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना) के तहत कई नए कार्यक्रमों की शुरुआत की, जैसे कि येस-टेक मैनुअल, विंड्स पोर्टल और डोर टू डोर नामांकन ऐप एआईडीई/सहायक, जो भारत के फसल बीमा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करता है। इस आयोजन में किसानों को सशक्त बनाने और जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्राप्‍त उल्लेखनीय उपलब्धियों और उठाए गए परिवर्तनकारी कदमों पर भी प्रकाश डाला गया।

मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने विभाग को बधाई देते हुए कहा कि आज तकनीक का उपयोग करते हुए प्रत्‍येक किसान के लिए हर एक योजना सुलभ है और किसान इनका लाभ ले सकते हैं।

उन्‍होंने कहा “इसे और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से, मैनुअल, पोर्टल और ऐप का आज शुभारंभ किया गया है। हम सोचते थे कि मौसम की सही जानकारी क्यों नहीं मिल पाती, सूचना मिलती भी है तो उसे नीचे तक पहुंचाने का कोई साधन नहीं होता है, इसलिए तकनीक का प्रयोग कर इसे हर गांव तक पहुंचाने का प्रयास किया गया।”

मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि हर गांव में वर्षा निगरानी टावर (रेन वॉच टावर) होने चाहिए, विकासखंड स्तर पर मौसम केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं, ताकि सरकार को मौसम की सटीक जानकारी मिल सके।

नई निविदा प्रक्रिया और जारी हो रहे नामांकन के द्वारा, मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयास अब दिखाई देने लगे हैं। ये महत्वपूर्ण उपलब्धियां किसानों की आजीविका की रक्षा करने और दीर्घकालिक कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। येस-टेक मैनुअल और विंड्स पोर्टल का शुभारंभ इन कदमों का परिणाम है, जो सटीक नुकसान मूल्यांकन और बेहतर मौसम डेटा प्रबंधन को सक्षम बनाता है।

यस-टेक मैनुअल भारत के 100 जिलों में व्यापक परीक्षण और कार्यान्‍वयन के बाद विकसित एक व्यापक मार्गदर्शक है। यह प्रौद्योगिकी-संचालित उपज आकलन प्रणाली, यस-टेक के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है, जो ग्राम पंचायत स्तर पर सटीक उपज आकलन के लिए पद्धतियों, सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और एकीकरण दृष्टिकोण प्रदान करता है। दूसरी ओर, विंड्स पोर्टल एक केंद्रीकृत मंच है जो तालुक/ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर स्वचालित मौसम केंद्र और वर्षा गेज द्वारा एकत्र किए गए हाईपर-स्थानीय मौसम के डेटा को संसाधित व मेजबानी और प्रबंधन का कार्य भी करता है। पोर्टल फसल बीमा, कृषि सलाह और आपदा शमन में जोखिम मूल्यांकन और निर्णय लेने की क्षम‍ता को बढ़ाता है, कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का समर्थन करता है।

कृषि मंत्री ने सब्सिडी को अलग करने की भी घोषणा की, जो एक महत्वपूर्ण कदम है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को राज्य की कार्रवाइयों की प्रतीक्षा किए बिना उनके दावे का भुगतान प्राप्त हो। केंद्र अब किसानों को बहुत जरूरी राहत और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करते हुए स्वतंत्र रूप से सब्सिडी का अपना हिस्सा जारी करेगा।

विंड्स पोर्टल का अनावरण करते हुए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री  किरेन रिजिजू ने कृषि को “उत्तरदायी और उचित वैज्ञानिक तंत्र” के साथ जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने का आह्वान किया है। श्री रिजिजू ने आज 21 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में मौसम सूचना नेटवर्क डेटा सिस्टम (विंड्स) पोर्टल और एआईडीई मोबाइल ऐप के शुभारंभ कार्यक्रम और प्रौद्योगिकी (येस-टेक) मैनुअल पर आधारित उपज आकलन प्रणाली के अनावरण के अवसर पर कहा, “जब तक हम गंभीर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार नहीं होते, तब तक परिणाम गंभीर हो सकते हैं।”

रिजिजू ने कहा कि हम सभी कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के साक्षी हैं। उन्होंने कहा, “हमारे बचपन में, शिमला में सेब की फसलें उगाई जाती थी, कुछ दशक बाद किन्नौर सेब उगाने वाले बेल्ट के रूप में उभरा और अब सेब की फसल अधिक ऊंचाई वाले लाहौल-स्पीति क्षेत्र में भी उगाई जा रही है।

रिजिजू ने कहा कि हरित क्रांति के बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों में सम्पूर्ण कार्य हुए हैं और हम कृषि क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरे हैं। रिजिजू ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में किए जा रहे बदलाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में इन सभी का महत्व और भी ज्यादा है। ‘‘हमारे वैज्ञानिक बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके शोध का शत-प्रतिशत उपयोग देश में सभी क्षेत्रों में किया जाना चाहिए।’’

केन्द्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा, भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव रितेश चौहान ने भी सभा को संबोधित किया।

सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक, 11,000 करोड़ रुपये की पर्याप्‍त लागत-बचत है, जो नए प्रयासों की प्रभावशीलता को दर्शाती है। ये बचत सरकार को किसानों के कल्याण में निवेश करने के लिए अधिक संसाधन प्रदान करती है, जिससे कृषि समुदाय के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित होता है। इसके अलावा, प्रीमियम में कटौती, जो कभी 17%-18% तक थी, अब 8-9% तक रह गई है, यह किसान-अनुकूल नीतियों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की वचनबद्धता को दर्शाती है।

बीमा कंपनियों द्वारा अत्यधिक लाभ की धारणा को दूर किया गया है, केंद्र द्वारा अनुशंसित और राज्यों द्वारा अपनाए गए मॉडल से एक अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत प्रणाली सुनिश्चित की गई है। प्रीमियम में कटौती प्रमुख राज्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी कार्यान्वयन राज्यों में देखी गई है, इनमें से कुछ अब किसान प्रीमियम की पूरी जिम्मेदारी ले रहे हैं, जिससे किसानों पर वित्तीय बोझ और कम हो गया है।

एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर एआईडीई ऐप की शुरुआत का उद्देश्य नामांकन प्रक्रिया में क्रांति लाना है, इसे सीधे किसानों तक पहुंचाना है। यह नामांकन (डोर-टू-डोर) प्रत्‍ये‍क व्‍यक्ति के लिए एक निर्बाध और पारदर्शी प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है, जिससे किसानों के लिए फसल बीमा अधिक सुलभ और सुविधाजनक हो जाता है।

परिणामस्वरूप, पीएमएफबीवाई योजना का शुभारंभ कार्यक्रम किसान कल्याण और कृषि विकास के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में साक्षी है। यह योजना कार्यक्रम तकनीकी उपायों, लागत संबंधी बचत उपायों और बढ़ी हुई पहुंच में की गई प्रगति किसानों के हितों की रक्षा करने और भारत में एक सशक्त कृषि क्षेत्र बनाने की योजना के लक्ष्य की पुष्टि करता है।

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