गडचिरोली- जिस सब इंजीनियर की अपहरण ने छत्तीसगढ समेत देश का मिडिया व समाजिक संघठनों की ध्यान अपनी ओर खिंचा था। अन्ततः उस सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को माओवादियों ने 7 दिन बाद रिहा किया है। हालाकि इस रिहाई के एवज मे माओवादियों ने कुछ शर्ते भी सरकार के सामने रखी। मगर पत्नी अर्पिता के आंशू , समाजिक संघटनों के मार्मिक अपील, सब इंजीनियर के पेशे से जुड़े संघटन, स्थानीय मिडिया एवं जनप्रतिनिधियों के गुहार व अपील के चलते माओवादियों ने मानवता का परिचय देते हुए उसकी सकुशल रिहाई की है। इसके चलते पत्नी को पति व नन्हा बच्चे को पिता वापिस मिल गया है।
विदित हो की इस माह के 11 नवंबर के दरम्यान साईट पर निर्माण कार्य का निरिक्षण व उससे जुड़े प्रक्रिया को पुरा करने के उद्देश्य से बीजापुर के लोक निर्माण विभाग के पीएमजिएसवाय मे सब इंजीनियर के पद पर कार्यरत अजय रोशन लकड़ा व भृत्य लक्षमण परतागीरि को माओवादियों ने अपहरण किया था। जबकी दो दिन बाद हि भृत्य लक्ष्मण को माओवादियों ने छोड़ दिया था। जबकी अजय को अपने पास हि रखा था। इसको देखते हुए सब इंजीनियर अजय कि पत्नी ने नन्हा सा बच्चे को गोद मे लिये हुए अपनी पति की खोज मे निकल पड़ी। मगर उनके हाथ कुछ आया नही। इसकी जानकारी स्थानीय मिडिया को मिली एवं अपहृत सब इंजीनियर की पत्नी अर्पिता लकड़ा ने स्थानीय मिडिया से संपर्क कर अपनी व्यथा बतायी। उसी दौरान स्थानीय समाजिक संघटन उरांव समाज ने भी सब इंजीनियर की सकुशल रिहाई को लेकर मार्मिक अपील की। उसके बाद स्थानीय मिडिया की एक प्रतिनिधिमंडल ने अर्पिता के साथ जिले के जंगलों मे माओवादियों से संपर्क करने के उद्देश्य से निकल पड़ा। इस बीच सोशल मिडिया प्लेटफार्म पर भी अपहृत सब इंजीनियर की रिहाई को लेकर उनकी पत्नी की मार्मिक विडियों झोर शोर से वायरल होने लगा। जिसमे वे अपने पति को बेकसूर बताते हुए माओवादियों से उन्हे सकुशल छोड़ने की अपील करते दिखायी दी। जबकी जनप्रतिनिधि व स्थानीय विधायक ने भी सब इंजीनियर को सकुशल छोड़ने की अपील की । स्थानीय मिडिया ने भी कमर कसते हुए सब इंजेनियर की पत्नी अर्पिता व उसके गोद मे नन्हा सा बच्चे को लिये जंगलों मे लगभग सप्ताह भर भटकने के बाद माओवादियों से संपर्क हो पाया। माओवादियों ने जन अदालत के बाद निर्णय लेते हुए लगभग 7 दिनो बाद अपहृत सब इंजीनियर की पत्नी अर्पिता व स्थानीय मिडिया , ग्रामीणों के सामने सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को सकुशल रिहा किया है।
अर्पिता बनी सावित्री।
जिस तरह हम पुराणों मे पतिव्रथा सावित्री की कहानी सुना करते थे। जिसमे सावित्री ने अपनी पतिव्रथा के दम पर अपने पति सत्यवान को यमराज के हाथों से पति की जान बचाकर लाती है। उसी तरह अर्पिता लकड़ा ने भी गोद मे नन्हा सा बच्चे को लिये हुए अपने आत्मविश्वास व पत्नी धर्म को अंत तक निभाते हुए अपने पति को सकुशल माओवादियों के चुंगल से छुडाकर लायी है। इस दौरान ना तो उनकी हिम्मत ने जवाब दी है ना हि उनकी आत्मविश्वास मे कमी देखा गया है।
संवाददाता सतीश कुमार गडचिरोली।