महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दिव्यांगों के विभिन्न समस्याओं को लेकर निराकरण हेतु आवेदन दिया गया – नवेद आज़मी

नागपूर :-11 दिसंबर 2023 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ज्ञापन दिया गया जिसमें महाराष्ट्र राज्य के अंदर विभिन्न प्रकार के योजना  दिव्यांगों के लिए चल रही है लेकिन यह सभी योजनाएं खाना पूर्ति करते नजर आ रही है।

दिव्यांगों की विविध समस्याएं हैं जिन पर प्रकाश डालना चाहता हूं और उनके सुधार करने  की प्रार्थना करता हूं ।

• महाराष्ट्र विकलांग पेंशन योजना में पेंशन 1500 से बड़ा कर 16000 कम से कम किया जाए

• दिव्यांगों के लिए गठित एमएसजी में नियुक्त एमएलसी भी दिव्यांग होना चाहिए

• सरकारी बसों में रैम की व्यवस्था नहीं

• यूनिक आईडी कार्ड बनाने रेलवे  विभाग के चक्कर काटना पड़ता है

• दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाना पड़ता है

• एग्जाम में राइटर की सुविधा को और बेहतर किया जाए

• स्टेट टोल पूरी तरह से मुफ्त किया जाना चाहिए

• Goverment स्कूल के अलावा Pvt school की भी फीस सरकार के द्वारा जमा होना चाहिए

• सामान्य बच्चों के स्कूल दिव्यांग छात्रों का दाखिला हो रहा है या नहीं इसकी जांच।

* होम  लोन पर सरकारी कर्मचारियों की तरह छूट मिलनी चाहिए

* प्रधान मंत्री आवास योजना की तरह दिव्यांगों के लिए आवास योजना बनाई जाए

• महाराष्ट्र विकलांग पेंशन योजना में पेंशन १५००से बड़ा कर 16000 कम से कम किया जाए : हमारे राज्य में विकलांगों का पेंशन१५०० दीया जाता है। क्योंकि उनके जरूरत के हिसाब से काफी कम है उनकी बीमारी में दवा में ही हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं तो कम से कम आपके द्वारा उनको पेंशन 16000 देना चाहिए ।

• दिव्यांगों के लिए गठित एम एल सी में नियुक्त एमएलसी भी दिव्यांग होना चाहिए : 2022 में सरकार के द्वारा दिव्यांगों के लिए अलग विभाग तैयार किया गया है जिसमें  एम एल सी का होने  वाला हा।आपसे अनुरोध है की MLC भी दिव्यांग होना चाहिए ताकि वह दिव्यांगों की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ सके।

• सरकारी बसों में रैम की व्यवस्था नहीं है: सरकारी बसों में स्टेप होने की वजह से व्हीलचेयर वाले दिव्यांग भाई बहनों को बस में चढ़ने में आसुविधा होती है इसलिए आपसे अनुरोध है कि सभी बस में दिव्यांग सीट अलग रखी जानी चाहिए एवं फैक्सिबल रैंप  सुविधा होनी चाहिए जैसे कि दिल्ली की मेट्रो बसों में होती है ।

• यूनिक आईडी कार्ड बनाने रेलवे  विभाग के चक्कर काटना पड़ता है: रेलवे का यूनिक कार्ड बनाने के लिए हर जिला में सेंटर मुहैया कराना चाहिए इसके अलावा यह सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होना चाहिए ना की दफ्तर जाकर यह काम किया जाए ।दिव्यांग भाई बहनों को दूर दराज से रेलवे जोन जाना पड़ता है यह दूरी ढाई सौ से 300 किलोमीटर तक की हो जाती है फिर वेरिफिकेशन करने के लिए अलग से जाना पड़ता है । दिव्यांग व्यक्ति को काफी  असुविधा का सामना करना पड़ता है अर्थात आपसे अनुरोध है कि सभी जिला में रेलवे यूनिक कार्ड बनने का कैंप या सेंटर तैयार किया जाए और वेरिफिकेशन करने खुद अधिकारी दिव्यांग व्यक्ति के घर जाए ।

• दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाना पड़ता है: दिव्यांग व्यक्ति को अपना दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने के लिए सरकारी अस्पताल जाना पड़ता है जहां पर सप्ताह में एक दिन कैंप लगाया जाता है और सब का सर्टिफिकेट वही  बनाया जाता है लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा जटिल साबित होती है । वहां दिव्यांगों  के किसी भी प्रकार की बैठने की व्यवस्था  ठीक नहीं होती है दूसरा उनको आने जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है यह सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाना चाहिए ऑनलाइन डाटा इकट्ठा होना चाहिए ऑनलाइन वेरिफिकेशन होना चाहिए । नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल भारत के चलते दिव्यांगों को इस प्रकार की असुविधा क्यों हो रही है। जबकि मोदी जी ने इतनी सारी सुविधाएं ऑनलाइन दे रखी है। अभी शुविधा ऑनलाइन की जा चुकी है। और वेरिफिकेशन के लिए भी एक अलग से डिपार्टमेंट तैयार किया जा सकता है जिसमें  जूनियर डॉक्टर से वेरिफिकेशन ड्यूटी में लगाया जा सकता है।

• एग्जाम में राइटर (लेखक)की सुविधा को और बेहतर किया जाए : दिव्यांगों को एग्जाम देते समय 2 क्लास पीछे छात्र को लेखक नियुक्त कराया जाता है । यह जानकारी कम दिव्यांग लोगों को पता है सबसे पहले इस का तो प्रचार  आपके द्वारा की जाना चाहिए। दूसरा  बात यह है कि यह दो क्लास पीछे की जगह बराबर क्लास या एक सीनियर क्लास स्टूडेंट बतौर राइटर प्रदान करना चाहिए क्योंकि यदि मान लीजिए की दसवीं के छात्र को गणित करना है तो आठवीं का छात्र कैसे उसे गणित  के फार्मूले लिखा पाएगा जब तक की उसको पता ना होगा। ईमानदारी से लिख रहा है या नहीं छात्र उसके लिए निःशुल्क मॉनिटर भी नियुक्त करना चाहिए ना की  उसकी अलग से फीस ली जाए ।

• स्टेट टोल पूरी तरह से मुफ्त किया जाना चाहिए: राष्ट्रीय राज्य मार्ग के तर्ज पर स्टेट में हाईवे में  पड़ने वाले सभी टोल को दिव्यांगों के लिए न निशुल्क करना चाहिए ।

• Goverment स्कूल के अलावा Pvt school की भी फीस सरकार के द्वारा जमा होना चाहिए: सरकारी स्कूलों में दिव्यांग छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के अलावा प्राइवेट स्कूलों में भी  निशुल्क  की शिक्षा प्रदान करने की सुविधा देना चाहिए ।

• सामान्य बच्चों के स्कूल दिव्यांग छात्रों का दाखिला हो रहा है या नहीं इसकी जांच होनी चाहिएं।

* होम  लोन पर बैंक सरकारी कर्मचारियों की तरह छूट मिलनी चाहिए।

* प्रधान मंत्री आवास योजना की तरह दिव्यांगों के लिए आवास योजना बनाई जाए

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