सरकार को करोडों-अरबों की चपत
सोनभद्र :- कोयला बनाम काला सोना वर्तमान समय में बिजली उत्पादन के लिए अति आवश्यक खनिज पदार्थ है। इसकी कालाबाजारी करने वालों के लिए चारकोल सोना बन गया है। ऊर्जांचल में कोयले की कालाबाजारी करने वाले इस खेल में दिन रात लगे हुए हैं। कोयला में मिलावट व कागजों में हेराफेरी कर कोयले को आसपास के मंडियों में आपूर्ति कर दिया जा रहा है। इसके लिए रेल रैक से लोहा फैक्ट्री का कचरा (चारकोल) लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है।
जनपद के डाला स्थित सलईबनवा रेलवे स्टेशन पर रेल रैक से हजारों टन चारकोल का भंडारण किया गया है। यह किसके कहने पर हुआ है और यह कहां जाता है इस बाबत कोई भी अधिकारी कुछ बोलने से कतरा रहा है। विभिन्न प्रांतो से रेल रैक से चारकोल लाकर जनपद के छोटे रेल स्टेशनों पर लोगों की आंखो में धूल झोंककर भंडारण किया गया हैं। यहां से ट्रकों के माध्यम से चारकोल को शक्तिनगर थाना अंतर्गत कृष्णशिला रेलवे साइडिग समेत मध्यप्रदेश के रेलवे साइड पर पहुंचाया जा रहा है जहां पर इसका मिश्रण कोयले के साथ हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार इस खेल में कोल माफिया अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर करोड़ों-अरबों रुपये का खेल कर रहे हैं। सलईबनवा रेलवे स्टेशन पर चारकोल का भंडारण इसकी बानगी है। चारकोल जलकर राख नहीं होता बल्कि पिघलकर चिपक जाता है। इस बाबत कई जिम्मेदार अफसरों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं हुआ।और यही चारकोल मिलावटी कोयला उत्तरप्रदेश के विभिन्न तापीय बिजली परियोजनाओं में रेलवे द्वारा आपूर्ति किया जा रहा है। परिणामतः केंद्र सरकार का उपक्रम राष्ट्रीय ताप विधुत निगम (NTPC) तथा उत्तरप्रदेश विंध्य निर्माण कंपनी को करोड़ों अरबों की चंपत लग रहीं हैं।