नागपूर :- कुछ दिनों से खबरों में आ रहा है कि जीएसटी fitment कमेटी ने कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी के दर बढ़ानें के लिए जीएसटी सभा में प्रस्ताव रखा जायेंगा। जिसका विदर्भ के 13 लाख व्यापारियों की शीर्ष व अग्रणी संस्था नाग विदर्भ चेंबर आॅफ काॅमर्स ने विरोध जताया है।
इन संभावित प्रस्तावों के अनुसार कुछ वस्तुओं पर टैक्स दर 28% से बढ़ाकर 35% किया जा सकता है और कई वस्तुओं पर और सर्विसेस को 12% से बढ़ाकर 18% किया जा सकता हैं।
चेंबर के अध्यक्ष अर्जुनदास आहूजा ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा हैं कि यदि प्रस्ताव जीएसटी सभाओं के स्वीकृत किए जाते है तो इससे कीमतों में बढौतरी होगी और जिससे महँगाई और बढ़ेगी।
चेंबर के सचिव सचिन पुनियानी ने कहा कि जीएसटी के दर बढ़ाने से ग्राहक बिल नहीं मांगेगे और चाहेंगे कि व्यापार नगद में हो, जिससे सरकार को मिलने वाली टैक्स कलेक्शन में भी सेंध लग सकती है।
चेंबर की अप्रत्यक्ष कर समिती के संयोजक रितेश मेहता ने कहा कि जब जीएसटी कलेक्शन हर महीने बढ़ रहा हैं तो रेट बढ़ाने कि विशेष जरूरत नहीं हैं, बल्कि जीएसटी कलेक्शन बढ़ने के बाद सरकार ने अब जीएसटी कि दरों में कमी करनी चाहिए थी, किंतु सरकार द्वारा तो जीएसटी दरों में वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
जीएसटी काउंसिल की की Chairperson तथा केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी ने जीएसटी की दरों को बढ़ाने के प्रस्ताव का खंडन किया हैं पर सूत्रों के द्वारा यह बताया जा रहा कि जीएसटी fitment कमेटी ने जीएसटी दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है और उसे होने वाली जीएसटी काउंसिल की सभा में पास किया जायेगा।
जीएसटी टैक्स दर बढ़ने की खबरों से कपड़े के व्यापरियों में बड़ी चर्चा शुरू हैं क्योंकि ख़बर यह भी है के रेडीमेड कपड़ों पर भी जीएसटी दर बढ़ाने वाले हैं सभी राज्यों में रेवन्यू को लेकर बड़ा दबाव हैं क्योंकि लाडली बहन जैसी वित्तीय संरक्षण योजनाओं में काफी पैसा लग रहा है, इसलिये सभी राज्य के वित्तमंत्री भी चाहते है कि उनके राज्य का रेवन्यू बरकरार रहे।
चेंबर के सदस्यों का कहना हैं कि सरकार Salary और व्यापार की आय पर तो टैक्स वसूल करती हैं और फिर उसी करदाता पर पर जीएसटी कि मार लगाती हैं और जिससे व्यापारी और आम जनता दोहरे टैक्स के बोझ में पिसते जाता है।
उपरोक्त जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अध्यक्ष अर्जुनदास आहुजा ने दी।