– सबसे बड़ा लाभार्थी मीडिया व उसके मुखिया,मीडिया संगठन के नेतृत्वकर्ता बावजूद इसके जिला मुख्य चुनाव अधिकारी की चुप्पी,क्या CEC की कथनी और करनी में फर्क है !
नागपुर :- ग्राम पंचायत चुनाव हो या लोकसभा चुनाव,सभी चुनाव में अधिकतम खर्च की सीमा CEC द्वारा निर्धारित की जाती हैं.इसके बावजूद अनगिनत खर्च करने के बावजूद कड़ी टक्कर देने वालों में एक जीतता है तो शेष हार जाते हैं.इसका अर्थ यह नहीं कि हारने वालों ने CEC द्वारा तय खर्च सीमा के हिसाब से खर्च किया इसलिए हार गए बल्कि जितने वाले द्वारा किये गए खर्च की बराबरी नहीं कर पाए.
नागपुर लोकसभा चुनाव भी हमेशा की तरह इससे अछूता नहीं रहने वाला है,प्रमुख प्रतिस्पर्धी भाजपा और कांग्रेस में से जिसे सही मायने में लोकसभा चुनाव जितना होगा,वह बेहिसाब खर्च चायपानी के नाम पर करेगा,इस मामले में जिसने हाथ खिंचा वह अगले 5 साल के लिए सक्रीय राजनीति से दूर हो जाएगा। इस चाय पानी के खर्च बटोरने में सबसे बड़े लाभार्थी मीडिया व उसके मुखिया,मीडिया संगठन के नेतृत्वकर्ता ही होंगे,बावजूद इसके जिला मुख्य चुनाव अधिकारी की चुप्पी,क्या CEC की कथनी और करनी में फर्क है !
विडम्बना यह है कि इसके अलावा PAID NEWS प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक,पोर्टल पर भी उम्मीदवारों द्वारा 8 से 12 DIGIT में खर्च किया जाएगा।
इन सभी खर्चों को लाभार्थियों तक पहुँचाने के लिए पक्ष या उम्मीदवार के खासमखास प्रतिनिधि को जिम्मेदारी दी जाएगी।यह सिलसिला चुनाव में नाम वापिस लेने के आखिरी दिन की शाम से शुरू होगा।
फ़िलहाल कुकुरमुत्ते की तर्ज पर खड़े उम्मीदवारों में से प्रभावी उम्मीदवारों को बैठाने पर ‘साम,दाम,दंड,भेद’ फार्मूला के आधार पर प्रयास जारी हैं.
जबकि कुछेक दिग्गज उम्मीदवारों ने वोट काटने के लिए कुछ उम्मीदवार खड़ा किये है,जिन्हें वित्तीय सहयोग भी विभिन्न स्तर से प्रदान करना शुरू करने वाले हैं.
उक्त घटनाक्रम से जिले की मुख्य चुनाव अधिकारी भलीभांति वाकिफ होने के बावजूद उनकी चुप्पी समझ से परे हैं.
दादा और प्रदेशाध्यक्ष में हुई DEAL
भाजपा की ओर से चाय पानी का खर्च दिग्गजों से जमा कर मीडिया और मीडिया से जुड़े प्रभावी लोगो में बाँटने की जिम्मेदारी दादा ने ली है,इस क्रम में करीबन 3 दर्जन तथाकथित मीडिया प्रमुखों की सूची तैयार की गई हैं.वही दूसरी ओर प्रदेशाध्यक्ष से दादा की बैठक हो गई है या जल्द होने वाली हैं. प्रदेशाध्यक्ष को जो जानकारी दी गई है या दी जाने वाली है,वह आंकड़ा 8 DIGIT में रहने वाला है.इस सूची में विभिन्न मीडिया के प्रमुख,मीडिया संगठन के प्रमुख दर्जन भर नेतृत्वकर्ता सह चुनिंदे अन्य वरिष्ठ पत्रकारों का समावेश हैं.
खर्चापानी की चाह में लंबी फेरहिस्त
सामाजिक,जातिगत,खेल,सांस्कृतिक,विभिन्न समुदाय के संगठन,कामगार,ट्रेडर्स संगठनें,पक्ष-विपक्ष के प्रमुख कार्यकर्ता,पदाधिकारी आदि को भी ‘वोट भुनाने’ या ‘वोट भुनाने का प्रयास करने’ के लिए चायपानी का खर्चा लगता ही है,इतना सिस्टेमेटिक ढंग से चायपानी का खर्चा वितरित किया जाता है कि CEC के जिला प्रतिनिधि चुप्पी साधे रहते हैं.जब तक विपक्षी हमला नहीं होता साबुत सह तक तक वे कोई कार्रवाई नहीं करते हैं.