माकपा नेता बृंदा करात ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा : ईसाई आदिवासियों के खिलाफ हिंसा संघ-भाजपा के सांप्रदायिक उकसावे का परिणाम, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की हो सुरक्षा

रायपुर :- छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर जिलों – कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर – के दौरे के बाद पूर्व राज्यसभा सदस्य और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलिट ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने बस्तर में ईसाई आदिवासियों पर हो रहे हमलों को संघ-भाजपा की सुनियोजित सांप्रदायिक उकसावे का परिणाम बताया है और राज्य सरकार से आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा करने की मांग की है। इन हमलों के प्रति राज्य सरकार के असंवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने बताया कि संबंधित क्षेत्रों में सरकार का कोई मंत्री या प्रतिनिधिमंडल आज तक नहीं पहुंचा है और न ही हिंसा से पीड़ित लोगों को कोई मुआवजा दिया गया है। उन्होंने कहा कि चुनावी वर्ष होने के कारण संघ-भाजपा द्वारा आदिवासियों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करके राजनैतिक लाभ लेने के लिए धर्मांतरण को मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है।

कल शाम यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि 20-22 जनवरी तक अपने तीन दिनों के दौरे में उन्होंने 100 से अधिक लोगों से मुलाकात की, जिनमें हिंसा के पीड़ित लोग, पास्टर, फादर, आदिवासी संगठनों के सदस्य, स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील ईसाई फोरम के नेता तथा प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। सबसे चर्चा के बाद धर्मांतरण के नाम पर संघ-भाजपा प्रायोजित और ‘जनजातीय सुरक्षा मंच’ द्वारा ईसाई आदिवासियों के खिलाफ संगठित हिंसा की वह भयावह तस्वीर सामने आई, जिसमें 1500 से अधिक आदिवासियों को अपने गांवों/घरों से विस्थापित होना पड़ा है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को इस हिंसा का निशाना बनाया गया है, चर्चों और घरों में तोड़फोड़ की गई है और उनके खेतों को उजाड़ा गया है, दफनाए गए शवों को बाहर निकाला गया है, पीड़ितों का क्रूर सामाजिक बहिष्कार किया गया है और सार्वजनिक हैंड पंपों से पानी लेने तक की मनाही की गई है। माकपा नेता ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को हुए नुकसान का आकलन कर तत्काल मुआवजा देने की मांग की।

उन्होंने कहा कि पिछले कई महीनों से सुनियोजित रूप से हिंसा की ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इस तरह के घोर अवैध कार्यों को रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है। माकपा नेता ने कहा कि प्रशासन इतना संवेदनहीन है कि जो लोग प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे राहत शिविरों में रह रहे थे, उन्हें बिना किसी सुरक्षा के “घर भेज दिया गया है”, जिससे अब वे लोग हिंसा के नए चक्र का सामना कर रहे हैं और उन्हें “तिलक” लगवाकर हिन्दू धर्म अपनाने या पुनः गांव छोड़ने के लिए बाध्य किया जा रहा है। उन्होंने सरकार द्वारा मंत्रियों की एक टीम भेजकर स्थिति का आंकलन कर उचित कदम उठाए जाने की जरूरत बताई है।

बृंदा करात ने कहा कि वनाधिकार कानून को राज्य में सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। नारायणपुर जिले में लौह अयस्क खनन की दो परियोजनाएँ हैं, जिनका आदिवासियों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार ग्रामसभाओं की राय लिए बिना परियोजना पर आगे बढ़ रही है, जो अत्यंत आपत्तिजनक है।उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक प्रकृति की हाल की घटनाओं को आदिवासियों के इस एकजुट आंदोलन को कमजोर करने के लिए भी संगठित किया गया है।

करात ने अपने दौरे में मिले तथ्यों से एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी अवगत कराया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि संघ-भाजपा प्रायोजित इस सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार और प्रशासन उचित कदम उठाएगी।

Contact us for news or articles - dineshdamahe86@gmail.com

NewsToday24x7

Next Post

Tributes paid to Netaji Subhash Chandra Bose and Balasaheb Thackeray at MSEDCL regional office

Mon Jan 23 , 2023
Nagpur : Netaji Subhash Chandra Bose and Shiv Sena founder Balasaheb Thackeray’s contributions were reminisced in the presence of dignitaries at the Vidyut Bhawan office of MSEDCL at Katol Road on the occasion of their birth anniversaries. A wreath-laying programme was organised on the occasion of the birth anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose and Shiv Sena founder Balasaheb Thackeray […]

You May Like

Latest News

The Latest News

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com