क्या SUNIL KEDAR का POLITICAL MURDER होगा !

– राशिफल मजबूत लेकिन प्रतिस्पर्धी मानवीय संकट हमेशा मंडराते रहती है,आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने से चूक सकते है…… 

नागपूर :- स्वाभाव से जज्बाती,जिद्दी जनप्रतिनिधि सुनील केदार अपने इर्द-गिर्द NO BALL रखते है,जो समय-समय पर नए-नए आपदा लाते रहते हैं,नतीजा राजनीत में उम्मीद के अनुरूप उपलब्धि नहीं मिल रही.फ़िलहाल प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बैंक घोटाला ने उनकी विधायकी छीन ली,जिसे पुनः प्राप्ति के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे लेकिन विपक्षी स्पर्धी हर मामले में मजबूत होने के कारण अबतक सफलता नहीं मिल पा रही और न ही कोई उम्मीद नज़र आ रही,जिस प्रकार की विपक्षी रणनीति तैयार हुई है उस हिसाब से संभवतः आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे सुनील केदार !

बेशक केदार के अध्यक्ष रहते उनके नज़र के सामने किसानों का गाढ़ी कमाई डूबी,जिसे इनके ही प्रतिस्पर्धी देशमुख परिवार ने एक समाचारपत्र के माध्यम से जनहित मुद्दा बनवाया और केदार को बतौर जिम्मेदार पदाधिकारी जेल भिजवाया।कुछ समय बाद जमानत पर रिहा हुए और मामला न्यायालय में चलता रहा,मामला ठन्डे बस्ते में था.

लेकिन केदार के जिद्दी सह जज्बाती स्वाभाव और आसपास ‘पीतल के कान’ जैसे विभीषणों ने विपक्षी स्पर्धी नेताओं को ‘हवा’ दी.फिर चाहे रेत उत्खनन का मामला हो या फिर जिला परिषद् चुनाव में एकतरफा जीत का मामला,इससे विपक्ष का एक बड़ा गुट तिलमिलाया जरूर,लेकिन उतना नहीं जितना केदार का विपक्ष के एक बड़े नेता से करीबी होने का खामिजा अर्थात सम्बंधित सर्व प्रकरण को जिन्दा कर दिया गया. फिर रेत घोटाला हो या बैंक घोटाला,नतीजा विधायिकी से हाथ धोना पड़ा.जेल गए ,जैसे तैसे बहार आए,आते ही जेल से शक्ति प्रदर्शन ने विपक्षी तेल में घी डालने का काम किया।

विगत माह लोकसभा चुनाव हुए,कांग्रेस के कई मजबूत दावेदारों को OVERTAKE कर अपने मनचाहे दंपत्ति के लिए AB फॉर्म लाए,और उन्हीं एक विपक्षी नेता के अप्रत्यक्ष मदद से लोकसभा चुनाव जीते।जीत के बाद भले ही जितने वाला हो या हारने वाला कितने ही तर्क दे लेकिन आखिर में जीत तो जीत ही होती है……

क्यूंकि शिंदे सेना के उम्मीदवार जरूर शिंदे के पक्ष से खड़े थे लेकिन थे वे भाजपा नेता के करीबी,जो आज सुनील केदार के कट्टर विरोधी हैं और सक्रीय भी.

अब चूँकि जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है,इस घोषणा के इर्द-गिर्द केदार के वर्त्तमान राजनैतिक भविष्य का भी निर्णय होने वाला है,जो नकारात्मक समझा जा रहा है,अगर ऐसा हुआ तो अगले 6 साल के लिए कोई भी चुनाव लड़ने से महरूम हो जायेंगे।

क्यूंकि केदार की राशि/योग बहुत तगड़ी है,अड़चन खुद वे ही लाते है,अड़चनों से मुक्ति भी मिल जाती है लेकिन जिस हिसाब से उनकी राजनैतिक यात्रा आगे बढ़ती रहनी चाहिए,उस में SPEED BREAKER लग जाता हैं.ऐसे में अगर उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला तो उन्हें निराश होने के बजाय जिला अध्यक्ष पद लेकर सम्पूर्ण जिले का राजनैतिक कारोबार का नेतृत्व करना चाहिए,ऐसा सुझाव उनके ही एक कट्टर शुभचिंतक ने दी हैं.अगर चुनाव लड़ने का GOLDEN CHANCE मिल ही गया तो जिद्द और जज्बात छोड़ 3 कांग्रेस,2 NCP और एक SHIVSENA की जीत के लिए दमखम लगाना ही समय की मांग हैं.

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