![](https://newstoday24x7.com/wp-content/uploads/2024/06/BJP-Half-page_page-0001.jpg)
– राज्य सरकार का निर्णय, गरीब, बहुजनों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का प्रयास
![](https://newstoday24x7.com/wp-content/uploads/2024/06/WhatsApp-Image-2024-06-06-at-16.46.34_c08487b5.jpg)
नागपुर :- महाराष्ट्र में सरकारी स्कूलों का नीजिकरण किया जानेवाला है. यह सभी स्कूलें नीजि कंपनियों को सौंपने की तैयारी सरकार ने की है. यह फैसला राज्य की शिंदे- फडणवीस- पवार सरकार ने लेने की जोरदार चर्चा है. अगर यह सरकारी स्कूलें नीजि कंपनियों के हाथ में जायेगी तो बच्चों का भविरूश् खतरे में पड़ेगा. राज्य की करीब 62 हजार सरकारी स्कूलें नीजि कंपनियों के हवाले करने का यह फैसला गलत है., ऐसी चर्चा शिक्षा क्षेत्र में है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने राज्य की 62 हजार सरकारी स्कूलें नीजि कंपनियों को दत्तक देने की तैयारी की है. इसके लिये पर सरकार का कहना है कि, नीजि कंपनियां स्कूलों का भौतिक विकास करेगी वह भी सरकार से कोई पैसे लिये बगैर. यह कैसे संभव होगा, क्योंकि कंपनियों का एक ही मकसद होता है मुनाफा कमाना. इस फैसले से सरकारी स्कूलों की इमारते, जमीन इन नीजि कंपनियों के हाथ जायेगी. एक वर्ष भर यह कंपनियां पैसे नही लेगी परंतु, बाद में कंपनियां अपनी मनमानी पर उतरेगी. वह अनाप शनाप फिस वसूलेगी. सरकार स्कूलें चलाने में असमर्थ है यही इसका मतलब निकलता है. दरअसल राज्य की गरीब, दलित, बहुजन जनता के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने का यह षडय़ंत्र है. सरकार ने वर्ष 1992 में एक निर्णय लिया था. जिसमें स्कूलों में लड़कियों की उपस्थिति बढे इसके लिये ‘उपस्थिती भत्ता’ योजना लागू की थी. इसके तहत प्रति छात्रा 1 रूपये प्रति दिन देने का निर्णय लिया था. आज भी यही एक रूपया दिया जा रहा है. 1992 से देखा जाये तो महंगाई बढ़ी है. अनाज के दाम बढ़े है. सभी चिजों के दाम बढ़े है. परंतु, सरकार ने छात्राओं को दिये जानेवाले भत्ते वृद्धि नही की. अब नीजि कंपनियां स्कूलों की इमारत, खेल मदान, शौचालय, पीने का पानी आदि का रखरखाव करेगी आर वह एक भी पैसा सरकार से न लेते हुये. यह संभव नही है. कंपनियों का एकमात्र उद्देश््य मुनाफा कमाना है. शराब से लोगों के घर बबाद होते है. इसलिये किसी शराब कंपनी ने अपना उत्पादन बंद नही किया. तंबाखू की कंपनियों ने गुटका, सिंगारेट का उत्पादन बंद नही किया. जब कि लोग कैंसर से मर रहे है. मैगी, कोल्ड ड्रिंक कंपनियां अपना उत्पादन बढ़ाने के लिये उसमें घातक रसायनों का उपयोग अपने उत्पादनों में करती है. टैक्स चोरी के लिये नये-नये फंडे का उपयोग करती है. परंतु, अपना उत्पादन समाज के लिये हानिकारक होने के बाद भी वह अपना उत्पादन बंद नही करते. फिर यह कैसे संभव है कि, बिना मुनाफे के वह स्कूलें चलायेगी. यह एक बड़ा षडय़ंत्र है. इसमें शिक्षक भी पीसे जायेंगे. इसलिये सभी ने जागरूक होने की आवश्यकता है. चर्चा है कि, शिक्षा मंत्री ने इसके लिये अपने हस्ताक्षर भी किये है.