पेड़ों की ओट में छिप कर बिना हेलमेट पहने वाहन चालकों के शिकार के इंतजार में ट्रैफिक पुलिस 

– परिवहन विभाग में अग्निवीर की तरह वसूलीवीर की भर्ती करने की सरकार को सलाह

नागपुर :- काटोल रोड विद्युत भवन चौक पर यातायात व्यवस्था संभालने के लिए तैनात यातायात विभाग के पुलिस जवान यातायात व्यवस्था संभालने की बजाय पेड़ों की ओट में छिप कर बिना हेलमेट पहने दो पहिया वाहन चालकों का शिकार करते हुए देखें जा सकते हैं. इस चौराहें पर तीन चार यातायात पुलिस या तो पेड़ों की ओट में छिप कर बिना हेलमेट पहने दो पहिया वाहन चालकों को झपटकर पकड़ते हुए देखें जा सकते हैं या फिर भागते हुए या खड़े वाहनों की मोबाइल कैमरे से फोटो खींचते हुए नजर आते हैं.

यातायात पुलिस के इस अभिनव अभियान से नागरिकों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

1) यदि बिना हेलमेट पहने दो पहिया वाहन को छिप कर पकड़ना ही हैं तो पुलिस ने शहर के हर चौराहे पर 550 करोड़ के सीसीटीवी कैमरे किस काम के लिए लगाये हैं ?

2) यातायात पुलिस प्रशासन पुलिस भर्ती के दौरान या बाद में अपने जवानों को इस प्रकार के कौशल्य का क्या अलग से विशेष प्रशिक्षण देते हैं ?

3) शहर में बिना हेलमेट के वाहन चलाना क्या वाकई यातायात कानून और नियमों के अंतर्गत जुर्माना युक्त गुनाह और एकदम संगीन जुर्म हैं ?

4) बिना हेलमेट के दो पहिया वाहन चलाना ही क्या दुर्घटना का असली कारण हैं ?

जिसके चलते सरकार ने इसे सबसे बड़ा जुर्म समझकर आम जनता से भारी भरकम जुर्माना वसूली करना यातायात कानून में लागू किया हैं ?

5) बिना हेलमेट पहने वाहन चालकों की मौतों को रोकने के लिए सरकार द्वारा वाहन चालकों पर भारी भरकम जुर्माना लादना यदि कानूनन सही हैं तो शराब और सिगरेट से भी हर दिन लाखों लोगों की मौतें हो रही हैं,लाखों लोग भयंकर बीमारीयों से ग्रस्त हुए जा रहे हैं,तो फिर सरकार इन शराब उत्पादकों,बेचने,पीने वालों से भारी भरकम जुर्माना क्यों नहीं वसूल करती ?

इन जानलेवा उत्पादनों और बिक्री पर पूरी तरह से कड़े प्रतिबंध और कड़ी सजा का कानून क्यों नहीं लागू करती ?

6) सरकार द्वारा आम जनता पर जबरन थोपे गये इस प्रकार के बेफिजूल के कानून और नियम के पीछे की सरकार की यही मंशा दिखाई दे रही हैं कि इस भीषण महंगाई और बेरोजगारी की मार से त्रस्त जनता चौबीसों घंटे किसी डर,चिंता के सायें में ही जीते मरते रहे.

सरकार की असफलता और जवाबदेही पर कोई भी नागरिक सिर उठाकर कोई सवाल ही न कर पायें.

7) शहर में एक समय ऐसा भी था जब मुंह पर गमछा,स्कार्फ पहनकर दो पहिया वाहन चालकों को यातायात पुलिस यातायात कानून के तहत पकड़कर जुर्माना लगाकर चालान वसूलती थी.अब इसी यातायात पुलिस को हेलमेट से मुंह छिपने पर कोई भी ऐतराज नहीं हो रहा हैं.

8) बिना हेलमेट पर कानून बनाने के पीछे का सरकार का प्रमुख उद्देश्य केवल भारी भरकम चालान वसूली ही नहीं बल्कि वाहन बीमा,जीवन बीमा,स्वास्थ्य बीमा कंपनियों का दुर्घटनाओं से पीड़ितों को हर साल लाखों करोडों रुपये की भरपाई से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाना.

9) हेलमेट सख्ती से वाहन चालकों की जान बचाने का सरकार का दावा पूरी तरह से झूठा हैं,क्योंकि हजारों दो पहिया वाहन चालकों की हेलमेट पहनकर वाहन चलाने पर भी मौतें हुई हैं.

10) सूचना के अधिकार में आरटीआई कार्यकर्ता राजेश पौनीकर ने यातायात विभाग,नागपुर शहर को मांगी जानकारी में शहर में हेलमेट पहनकर हुई मौतों के आंकड़े मांगने पर पुलिस ने दी जानकारी में पुलिस के पास हेलमेट पहनकर हुई मौतों के आंकड़े ही नहीं होने की जानकारी दी हैं.

11) हेलमेट पहनकर हुई मौतों पर यातायात पुलिस ने कितने मृतकों के परिवार को अलग से आर्थिक रुप से मुआवजा दिया हैं? इस जानकारी के उत्तर में यातायात पुलिस ने मृतकों के परिवार को मुआवजा देने की कोई भी जानकारी नहीं होने का जवाब दिया हैं.

12) वाहन चालकों के जीवन की परवाह करके,मौत का डर दिखाकर जबरन भारी भरकम जुर्माना वसूली के बाद भी मृतकों के परिवार को आर्थिक रूप से मुआवजा न देना यातायात पुलिस प्रशासन और सरकार का एक अमानवीय चेहरा प्रकट होता हैं.

13) यातायात पुलिस प्रशिक्षण पर हर साल आम जनता का करोडों रुपये पानी की तरह बहाने और बर्बाद करने के बाद उस प्रशिक्षण के दौरान पैदा हुआ सर्वगुण संपन्न पुलिस का हर जवान शहर की चरमराती,रेंगती हुई यातायात व्यवस्था को संभालने की बजाय एक कुशल फोटोग्राफर की तरह दौड़ दौड़कर रेंगते,दौड़ते,भागते,खड़े वाहन चालकों का फोटो खींचकर चालान बनाने के “धंधे” में मस्त रहता हैं.

जबकि उनकी आंखों के सामने ही कई वाहन चालाक स्टार्ट लाईन के आगे,जेब्रा क्रॉसिंग पर ढीठ बनकर वाहन खड़े किये होते हैं.यातायात कानून और नियमों का जानबूझकर उल्लंघन करने वाले ये सभी निडर वाहन चालक खुद को देशभक्त और भारतीय समाज का एक सभ्य और सुशिक्षित नागरिक प्रकट करने से कभी नहीं झिझकते.

14) सड़कों पर पैदल चलनेवाले से लेकर विमान में सफर करने वाले,सायकिल सवार से लेकर सड़कों पर बैठे हाट बाजार वाले लोगों के साथ कभी भी भयंकर दुर्घटना घट सकती हैं.इसका मतलब यह तो नहीं की सभी लोग चौबीसों घंटे सिर पर हेलमेट ही लगाकर घूमे.

15) शराब सिगरेट के सेवन से भी सड़क दुर्घटनाओं से ज्यादा हर दिन मौतें होती हैं,तब सरकार के दूत और समाजसेवी संगठन के क्रांतिवीर हाथों में तख्तीयां,बैनर लेकर हर चौराहे पर खड़े होकर,पथनाट्य के जरिए लोगों को जागरूक करते हुए नजर आते हैं.

लेकिन सरकार और सामाजिक संगठन इन जानलेवा उत्पादनों के निर्माण और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए आगे आने को तैयार नहीं रहते.क्योंकि इन उत्पादों की बिक्री और लायसंस बिक्री से सरकार और सत्ता के दलालों और पूंजीपतियों को हर साल लाखों करोड़ों रुपये का मुनाफा होता हैं.

16) असल में हेलमेट,सीट बेल्ट,ट्रिपल सीट जैसे नियमों की अनिवार्यता यातायात कानून का हिस्सा न होकर केवल सरकार और पुलिस प्रशासन की एक आम जनता के मासूम से दिलों में दुर्घटनाओं से मौतों का खौफ निर्माण करके आम जनता को लूटने का एक सुनियोजित फ़ंडा हैं.

17) हर दिन आम यात्राओं और राजनैतिक,धार्मिक, सामाजिक आयोजनों के दौरान सरकार ने बनाएं कड़क यातायात कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाते लोग, रैलियों,सभाओं,यात्राओं के दौरान बिना हेलमेट,सीट बेल्ट,ट्रिपल सीट,नियमों से ज्यादा यात्री यातायात पुलिस कर्मियों की आंखों के सामने शुरू रहने के बाद भी सभी पुलिस कर्मचारी,अधिकारी धृतराष्ट्र बन जाते हैं.

18) पुलिस प्रशासन और परिवहन मंत्रालय के इस गैरकानूनी वसूली अभियान से ही देश में आम जनता के दिलों में सरकार और पुलिस की छबि धूमिल होती नजर आ रही हैं.

भारी महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में जहां आम जनता का 200- 300 रुपये रोज़ी का ठिकाना नहीं,वहीं पुलिस और सरकार भारी भरकम जुर्माने से जनता को जीते जी मार देती हैं.

यदि सरकार और पुलिस को खजाना भरना इतना ही जरूरी हैं तो परिवहन मंत्रालय ने अलग से “अग्निवीर” की तरह “वसूलीवीर” की 3-4 सालों के लिए ठेके पर भर्ती शुरू करनी चाहिए.

इस प्रशिक्षण में जवानों को फोटोग्राफी से लेकर घर-घर जाकर यातायात कानून का उल्लंघन करने वालों से चालान वसूली करके लाने के कौशल्य,गुर सिखाने चाहिए.

– राजेश पौनीकर 

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