तिरुपती समेत चित्तूर जिले मे बारिश का कहर। जन जीवन अस्त व्यस्त ।
दक्षिण भारत के आँध्रप्रदेश में स्थित विश्व प्रसिद्द धार्मिक स्थल तिरुमला तिरुपति मे तीन दशक के अन्तराल के बाद दुबारा अपना रौद्र रुप का परिचय दिया है। बारिश का कहर का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की बारिश ने बालाजी मंदिर समेत समूचा क्षेत्र को अपने गिरफ्त मे लिया है। तिरुपति के आस पास के नदी नाले उफान पर है। तालाबों मे जल का भराव क्षमता से ज्यादा हो चुका है। जिससे तालाब के मेढ़ कभी भी टूट सकते है। जिससे बड़ी क्षति पहुंचने की अनुमान जताया जा रहा है।
आँध्रप्रदेश कि स्थानीय मिडिया के मुताबिक तिरुपति समेत चित्तूर जिले मे बारिश ने इतने व्यापक पैमाने पर तबाही तीन दशक पुर वर्ष 1996 मे मचाया था। जो अब दुबारा देखने को मिल रहा है। बारिश के कहर से साथ पहाडों के ऊपर स्थित बालाजी मंदिर जाने वाले पैदल मार्ग, सड़क मार्ग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। वाहनों के पहिये थम सा गये है। श्रद्दालूओँ को व स्थानीय लोगों को बचाने का कार्य युद्द स्तर पर किये जा रहे है। तिरुमला व तिरुपति स्थित मंदिरों व घरो के भीतर बारिश का पानी बाढ़ का रुप लेते हुए घुस चुका है। लोग अप्ने घरो के छतों पर रहने को मजबूर हो रहे है। स्थानीय प्रशासन के प्रयास भी बारिश के कहर के आगे ना काफी साबित हो रहे है।
राज्य के मुखिया श्री जगन मोहन रेड्डी ने अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाये रखे हुए है। अपने पार्टी के स्थानीय प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं को लोगों को मदद पहुंचाने हेतू आगे आने को कहा है। वही राज्य कि मुख्य विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी (टी डी पी) के प्रमुख चंद्र बाबू नायडू ने भी लोगों को मदद पहुँचाने के लिये अपने पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को आगे आने को कहा है।
मौसम विभाग ने भी तीन दिन पुर्व हि चेताया था की चित्तूर जिले के आलावा तिरुपति के आस पास क्षेत्र मे बारिश 17 नवंबर से लेकर 22 नवंबर तक तबाही मचाएगी।इसको देखते हुए जरुरी कदम उठाये जाए।जबकी स्थानीय प्रशासन ने जरुरी कदम उठाये थे। मगर वो भी कुछ हद तक ना काफी होने की बात वहां की मिडिया कह रही है।
वही तिरुपति व आस पास के क्षेत्र के लोगों की माने तो बीते 50 वर्षों के दरम्यान ऐसी तबाही नही देखी है। लोगों को अंदाजा भी नही यहा की वे इतनी बड़ी तबाही का गवाह बनेंगे। लोगों की माने तो बारिश ने आम व खास सभी वर्गों को नुक्सान पहुंचाया है। खेती ,फसल, सड़क, मकानों, भवनों, मंदिरों , सरकारी कार्यालयों को नुक्सान पहुंचा है।
सतीश कुमार गडचिरोली