नागपूर :- दिनांक 28 दिसंबर को गजानन नगर के लक्ष्मीनारायण मंदिर से मंगलमय शोभायात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का प्रथम दिवस आरंभ हुआ। शोभायात्रा में मृदंग, मंजीरा और संकीर्तन की दिव्यता के साथ भव्य ढोलताशा पथक “शिवमुद्रा” ने उत्साह और आध्यात्मिकता का संचार किया।
पूज्य डॉ. बद्रिप्रपन्नाचार्य महाराज ने श्रीमद्भागवत महात्म्य का वर्णन अपनी मनमोहक वाणी में किया। उन्होंने कथा के माध्यम से ज्ञान प्रदान करते हुए कहा:
1. श्रीमद्भागवत से बढ़कर कोई साधना नहीं, जो मन को शुद्ध कर सके।
2. कई जन्मों के पुण्य संचित होने पर ही श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन संभव होता है।
3. कलियुग में श्रीमद्भागवत स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है, जिसमें सभी वेद, वेदांत और उपनिषदों का सार है।
4. कथा का ज्ञान और फल उन्हीं को मिलता है, जिनके मन में प्रेम और भाव होता है।
श्रीमद्भागवत कथा का मुख्य संदेश:
कथा में बताया जा रहा है कि समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त कर सत्य, ईमानदारी और धर्म के मार्ग पर चलकर कैसे एक पवित्र और आनंदमय जीवन व्यतीत किया जा सकता है।
विशेष संदेश:
– शराब, चोरी और अन्य अनैतिक कार्यों से दूर रहना।
– सच्ची मित्रता और सही मार्गदर्शन का महत्व।
– ईमानदारी और धर्म के साथ धन अर्जित करना।
– बुराइयों से मुक्ति पाकर शांति और मोक्ष की प्राप्ति।
– प्रेमपूर्वक समाज को सुधारने और सही दिशा दिखाने का हर व्यक्ति का कर्तव्य।
कथा प्रतिदिन दोपहर 2:30 से शाम 6:30 बजे तक, नवजीवन कॉलोनी, माधव नेत्रालय के सामने, वर्धा रोड पर हो रही है। दायमा परिवार ने सभी श्रद्धालुओं से इस दिव्य आयोजन में भाग लेकर धर्म और आध्यात्म का लाभ उठाने का आग्रह किया है।
विशेष आयोजन:
27 दिसंबर की संध्या को सुंदरकांड पाठ, भजन, आरती और श्री सालासर बालाजी महाराज की ज्योत आयोजित की गई। 28 दिसंबर की सुबह 10 बजे मंगल शोभायात्रा ने कथा स्थल तक आध्यात्मिक माहौल का निर्माण किया।
आइए, इस अद्वितीय आयोजन में सम्मिलित होकर अपने जीवन में भक्ति और शांति का संचार करें।