नागपूर :-आमतौर पर लोग इसलिए आत्महत्या कर बैठते हैं क्योंकि वे जीवन से बहुत अधिक जुड़े होते हैं। वे कुछ लालसा, आनंद से ऐसे जुड जाते हैं कि वे स्वयं को भी समाप्त कर लेते हैं। वे जब अपने आप को समाप्त करते हैं तो वे स्वयं को और अधिक पीड़ा में पाते हैं। वे महसूस करते हैं कि यह असहजता, इच्छाएं जो मेरे अंदर हैं वे कभी समाप्त नहीं हो पाएंगी, मेरा शरीर खत्म हो गया लेकिन इच्छाएं, आकांक्षाएं वैसी की वैसी रह गई। केवल शरीर के माध्यम से ही वे अपनी इच्छाओं को शांत कर सकते हैं और दुख से बाहर आ सकते हैं। आत्महत्या के जरिये आप स्वयं के साधन को नष्ट कर रहे होते हैं।
![](https://newstoday24x7.com/wp-content/uploads/2024/06/BJP-Half-page_page-0001.jpg)
शरीर की उर्जा कम होने पर होता है अवसाद
![](https://newstoday24x7.com/wp-content/uploads/2024/06/WhatsApp-Image-2024-06-06-at-16.46.34_c08487b5.jpg)
जब शरीर की उर्जा नीचे जाती है तो व्यक्ति रूवयं को अवसाद में पाता है और तभी आत्महत्या की प्रवृत्तियां पनपती हैं। यदि आपके ‘प्राण’ उच्च है तो यह सब बातें दिमाग में नहीं आती है। कुछ श्वांस की तकनीके, ध्यान और अच्छी सोहबत व्यक्ति को इससे बाहर निकाल देती है।
10 मिनट का ध्यान बहुत कुछ जरूरी है
किसी के भी पास यदि आत्महत्या के व्यवहार की प्रवृत्ति हो तो उसे ध्यान सिखाना उचित होगा और इसके साथ कुछ श्वांस की तकनीकें भी ताकि उसकी उर्जा का स्तर उच्च हो सके। प्रतिदिन का 10 मिनट का ध्यान हमें खाली कर सकता है। जरूरत है कि आज का समाज तनाव, हिंसा से मुक्त हो।
सुदर्शन क्रिया सबसे महत्वपूर्ण
इसके लिए ध्यान नहीं एकमात्र कुंजी है। कई बार हम ध्यान में बैठते हैं तो कई तरह के विचार आते हैं। इसके लिए सुदर्शन क्रिया सबसे महत्वपूर्ण है जो कि एक श्वांस आधारित तकनीक है। इसके साथ योग भी है और सभी मिलकर मन को शांत कर देते हैं और बुद्धि को तीक्ष्ण बनाते हैं।
व्यक्तिगत विकास जरूरी हर एक के लिए
व्यक्तिगत विकास जरूरी है। हमें इसके लिए जीवन को वृहद स्वरूप में देखना होगा। लगभग 80 साल हम जीते हैं और इसे भी तनाव और दुखी होकर गुजार देते हैं? इतने कम समय में हमे स्वयं खुश रहने के साथ ओरों को भी खुश रखने के प्रयास करने चाहिये। आमतौर पर आत्महत्या का कारण नौकरी, रिश्ते की टूटन, आकांक्षाएं आदि ही होती हैं। जीवन इन छोटी-छोटी इच्छाओं से भी परे है।
कुछ टिप्स जो आपके जीवन में भर देंगी सकारात्मक ऊर्जा
1) यदि आपको आत्महत्या के विचार आते हैं तो समझिए कि आपके प्राण शक्ति कमजोर हुई है, और अधिक प्राणायाम कीजिए।
2) दुनिया में लोग आपसे भी अधिक परेशान हैं, उनकी ओर देखिये।
3) यदि आपकी समस्याएं छोटी होंगी तो आप आत्महत्या के विचारों से दूर हो जायेंगे।
4) यह जानिए कि आप उपयोगी हैं, आपकी इस दुनिया को जरूरत है और आप इस दुनिया के लिए बेहतर कुछ कर सकते हैं।
5) उन लोगों के बारे में भूल जाए जो आपके बारे में सोच रहे हैं।
6) आमतौर पर दूसरों से अपमानित होने के भय से भी लोग आत्महत्या कर बैठते हैं।
7) कैसा स्टेटस और कैसा सम्मान ? किसके पास समय है कि आपके बारे में सोचने के लिये? केवल आप ही नहीं, दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति अपनी उलझनों में ही उलझा है।
8) समाज हमारे बारे में क्या सोचता है यह उतना जरूरी नहीं है।
9) जीवन उन भैतिक वस्तुओं से भी ज्यादा है जिसके लिए आप ने अपना स्टेटस बना रखा है।
10) जीवन मान-अपमान से भी बड़ा है। सम्मान लौट सकता है, जीवन नहीं।
11) जीवन किसी भी रिश्ते, परीक्षा या नौकरी से भी बड़ा है।
जीवन को बडे परिदृश्य से देखें
जीवन को बडे परिदृश्य से देखना सिखना होगा और इसके लिए सेवा चाहे वह सामाजिक हो या अन्य कोई गतिविधि हो। सेवा ही है जो व्यक्ति को बांधे रखती है, अस्तित्व को बनाए रखती है एवं मानसिक शांति प्रदान करती है। मानसिक बीमारियां किसी भी आर्थिक नुकसान से भी बड़ा नुकसान है। इसके लिए आगे बढ़कर लोगों की मदद की जाना चाहिये। प्रत्येक कठिनाई को चुनौती के रूप में लेना सीखना होगा और पूरे विश्व में इसका प्रचार करना होगा।