राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के आला अफसर की चल अचल संपत्ति का बोरा मांगे सरकार

– जांच एजेंसियां इन पर कार्यवाही करने से बच रही रिपब्लिकन – मोदी फाउंडेशन     

नागपुर :- महाराष्ट्र राज्य का राज्य उत्पादन शुल्क विभाग राज्य के राजस्व को लाभ देने वाला प्रथम विभाग है और इसी विभाग में करोड़ों करोड़ों रूपों का भ्रष्टाचार व्याप्त है लेकिन जांच एजेंसियां इन पर कार्यवाही करने से बच रही है उक्ताशय का आरोप एमओडीआई फाउंडेशन ने व्यक्त किया है पार्टी कार्यालय द्वारा प्रसिद्ध पत्रक में जानकारी प्रदान की गई है की राज्य के राजस्व में भरपूर योगदान देने वाला विभाग राज्य उत्पादन शुल्क विभाग प्रथम क्रमांक पर आता है और इसी विभाग में बियर शॉपी देसी विदेशी शराब बीयर बार रेस्टोरेंट के नए परवाने परमिट अधिकृत लाइसेंस देने के लिए लाखों रुपए लिए जाते हैं यह सार्वजनिक रूप से कहा जा सकता है.

विश्वसनीय सूत्रों के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रति बीयर बार देसी विदेशी शराब दुकानों से 15 से ₹20 हजार रुपए लिए जाते हैं नए लाइसेंस के लिए 10 से 20 लख रुपए लिए जाने का अनुमान है इसमें इंस्पेक्टर डीवाईएसपी एस पी एवं आवंटन करने वाले हिस्सेदार है जबकि समिति में राज्य उत्पादन शुल्क अधीक्षक मनपा आयुक्त पुलिस आयुक्त जिला परिषद के मुख्य अधिकारी एवं ग्रामीण पुलिस अधीक्षक सम्मिलित है पत्रक में कहा गया है की समिति में सम्मिलित उच्च आला अफसर पर संदेह नहीं किया जा सकता है यह संभव नहीं है।

इस आधार पर महाराष्ट्र राज्य में राज्य उत्पादन शुल्क विभाग एकमात्र विभाग है जो भ्रष्टाचार का एकमात्र जलप्रपात विभाग है इसमें संदेह नहीं किया जा सकता है पत्रक में सवाल किया गया है कि राज्य एवं केंद्र सरकार की भिन्न-भिन्न जांच एजेंसी का सारे देश में जाल फैला हुआ है फिर इस विभाग की ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही का ना होना क्या दर्शाता है या फिर उन सभी जांच एजेंसियों को राज्य उत्पादन शुल्क विभाग का नाम उनकी सूची या नक्शे में नहीं है यह भी हो सकता है जिसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए पत्रक में कहा गया है कि राज्य सरकार महाराष्ट्र राज्य के राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के आला अफसर कर्मचारियों की चल अचल संपत्ति पहले और अबका ब्योरा इसकी रिपोर्ट जांच करें इसमें पूर्व के अधिकारी को भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिएऔर वर्तमान एवं पूर्व के आल्हा अफसर द्वारा अर्जित की गई बेनामी संपत्ति को जप्त कर राज्य में जनउपयोगी कर्मों में वहां करना चाहिए खर्च करना चाहिए ऐसी मांग पत्रक में की गई है.

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