– “भगवान के चार साधनों में से एक भी अपनाएं, तो ईश्वर से निकटता संभव है।”
नागपुर :- नवजीवन कॉलोनी, वर्धा रोड, नागपुर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन दिवस श्रद्धा, भक्ति और भक्तिमय उत्साह के साथ संपन्न हुआ। कथा वाचक श्री श्री 1008 स्वामी डॉ. बद्रिप्रपण्णाचार्य (चित्रकूट निवासी) ने अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं और उनके प्रिय मित्र सुदामा के चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया।
मधुराष्टकम् और भगवान की निकटता के साधन
कथा का शुभारंभ मधुराष्टकम्के सुमधुर गान से हुआ। स्वामी जी ने भगवान श्रीकृष्ण की मधुरता का वर्णन करते हुए कहा,
“भगवान के दर्शन करना, नाम जप करना, कथा का श्रवण करना और उनके स्वरूप का ध्यान करना—इन चार साधनों में से किसी एक को भी अपनाने से ईश्वर से निकटता प्राप्त हो सकती है।”
उन्होंने यह भी कहा, “यदि यह भी संभव न हो, तो भगवान के धाम या तीर्थ स्थान की यात्रा करें, क्योंकि तीर्थ स्थान स्वयं भगवान का स्वरूप हैं।”
“भगवान की कथा जग मंगलमय है”
स्वामी जी ने कहा, “भगवान की कथा केवल आत्मा को शुद्ध नहीं करती, बल्कि पूरे जग को मंगलमय बनाती है। जब कोई श्रद्धा और भक्ति के साथ श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करता है, तो उसका जीवन ही नहीं, बल्कि उसके आसपास का वातावरण भी पवित्र हो जाता है।”
“सर्वे भवन्तु सुखिनः” का मर्म
स्वामी जी ने प्रसिद्ध श्लोक “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का गहरा अर्थ समझाया। उन्होंने कहा,
“इसका उद्देश्य सभी प्राणियों की भलाई है। हम प्रार्थना करते हैं कि सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी का जीवन मंगलमय हो, और कोई भी दुःख का भागी न बने।”
यह श्लोक हमें करुणा, दया और मानवता के प्रति प्रेम का संदेश देता है।
सुदामा चरित्र और भक्ति का संदेश
अंतिम दिन का मुख्य आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण और उनके प्रिय मित्र सुदामा की कथा रही। स्वामी जी ने सुदामा की निःस्वार्थ भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कहा,
“सुदामा का जीवन यह सिखाता है कि भक्ति में साधनों से अधिक सच्चे भाव का महत्व है। ईश्वर को केवल प्रेम और भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है।
भागवत कथा का समापन
समापन दिवस पर स्वामी जी ने कहा,”श्रीमद् भागवत कथा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि हमारे जीवन में भक्ति और सत्कर्म का मार्ग भी दिखाती है। भगवान की कथा जग मंगलमय है, और इसका श्रवण हमारे जीवन को पवित्र और अर्थपूर्ण बनाता है।”उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया कि वे भगवत्कथा के उपदेशों को अपने जीवन में अपनाएं और भगवान की कृपा प्राप्त करें।
भक्तिमय वातावरण और श्रद्धालुओं की सहभागिता
कथा के अंतिम दिन, जब कथा समाप्ति की ओर बढ़ी, तो श्रद्धालुओं की आँखों में आंसू थे और उनके दिलों में गहरी श्रद्धा और भावनाएँ उमड़ी थीं। भक्तों ने भावुक होकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में पूरी तरह समर्पित होने का संकल्प लिया। कुछ भक्तों को तो इतना गहरा आत्मिक अनुभव हुआ कि वे स्वयं को भाग्यशाली मान रहे थे, क्योंकि उन्हें श्रीमद्भागवत का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
पूरे आयोजन में भक्तिमय वातावरण छाया रहा। श्रद्धालुओं ने भजनों और प्रवचनों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का आनंद लिया। कथा के समापन पर आरती और प्रसाद वितरण किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया।
आयोजन का संचालन और आभार
यह दिव्य आयोजन दायमा परिवार बी. सी. भारतीय, और टीम कैट के विशेष सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं और भक्तों का आभार व्यक्त किया।
“श्रीमद् भागवत कथा का यह पावन अनुष्ठान आज समाप्त हुआ, लेकिन इसके उपदेश सदैव हमारेजीवन को प्रकाशित करते रहेंगे।”