– एनसीपी(शरद) 1,भाजपा 3,कांग्रेस 1,निर्दलीय/सेना शिंदे – 1 की संभावना
नागपुर :- महाविकास आघाड़ी ने रामटेक लोकसभा चुनाव जीती,फिर पूर्व विधायक सुनील केदार अतिमहत्वाकांक्षी हो गए,उन्हें लगा कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे को जो बोलेंगे वे बड़े आसानी से मान लेंगे।इसी उद्देश्य से कलमेश्वर के एक कार्यक्रम में सार्वजानिक मंच से कह दिए कि रामटेक लोकसभा की सभी 6 सीटों पर इस बार महाविकास आघाड़ी का कब्ज़ा होगा।
इसी क्रम में उन्होंने सभी 6 सीटों के लिए अपने निकटवर्तियों की सूची तक तैयार कर लिए,उन्हें कांग्रेस के बैनर तले या फिर एनसीपी या शिवसेना के बैनर पर चुनाव लड़वाएंगे और पूर्ण ताकत से सभी 6 के 6 सीटों पर कब्ज़ा कर जिले पर राज करेंगे।
केदार का वर्षो पुराना सपना है कि नागपुर ग्रामीण अर्थात रामटेक लोकसभा क्षेत्र में उनका एकाधिकार हो,इसी एकाधिकार के लिए केदार-देशमुख में हर प्रकार की तनातनी दशकों से जिले के मतदाता देख रहे है.इसी एकाधिकार के लिए वर्षो पूर्व केदार के नेतृत्व वाली ग्रामीण बैंक का घोटाला/धांधली/अनियमितता खोली गई.इसके बावजूद केदार का वर्चस्व ख़त्म नहीं हुआ. फिर कांग्रेस के कागजी नेता मुकुल वासनिक को रामटेक से लोकसभा लड़वाने के लिए देशमुख-केदार एक हुए लेकिन जैसे ही वासनिक ने जीत दर्ज की, रामटेक की कमान नाना को सौंप केदार को झटका दिया।दूसरे लोकसभा चुनाव में टीम केदार ने मुकुल को घर बैठा दिया। इसके बाद केदार ने जिलापरिषद चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज कर जिले पर एकाधिकार किया।इसके बाद लोकसभा चुनाव में एक डमी पंचायत समिति स्तर के कार्यकर्ता को संसद तक पहुँचाने के लिए उद्धव ठाकरे,नितिन गडकरी,शरद पवार की मदद ली.सफल भी हुए फिर उन्हें लगने लगा कि अब जिला उनका हैं.
लोकसभा चुनाव पूर्व ही यह तय हो गया था कि केदार अगले 5-6 साल के लिए कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.यह जानकार और इसे स्वीकार कर लोकसभा की जीत बाद जिले की सम्पूर्ण 6 विधानसभा सीट महाविकास आघाड़ी के पक्ष में जीत का दावा कर उद्धव ठाकरे और शरद पवार को रिझाते रहे.
उन्हें उद्धव और शरद पवार के बोल वचन पर इतना भरोसा था कि उस आधार पर उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्र से अपने मन पसंदीदा उम्मीदवार तय कर उन्हें तैयार रहने का ठोस आश्वासन तक दे डाले।इस क्रम में हिंगणा से कुंदा राऊत,रामटेक से प्रकाश जाधव,कामठी से सुरेश भोयर,उमरेड से दर्शनी धवड,काटोल से देशमुख परिवार का पिता या पुत्र और सावनेर से अपने घर का सदस्य।
लेकिन जैसे जैसे चुनाव का रंग चढ़ता गया एक तरफ सर्वपक्षीय दमदार नेताओं ने अपने खिलाफ मेमना छोड़ने की योजना बनाई।दूसरी तरफ शरद पवार ने हिंगणा और काटोल और उद्धव ठाकरे ने रामटेक अपने पसंदीदा उम्मीदवार को ही मैदान में उतारा।
उद्धव और शरद के बड़े झटके बाद कांग्रेस के मुकुल वासनिक ने उमरेड से अपने करीबी मेश्राम को उम्मीदवारी देकर एक और झटका दिया। बचे 3 सीट में से कामठी में बावनकुले को पुनः MLA बनवाने के लिए सुरेश डफरे को ही कांग्रेस उम्मीदवार बनवाने में सफल हुए.रामटेक में उद्धव सेना के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र मूलक को निर्दलीय खड़ा कर एक तीर से कई निशान साध रहे,यह भी कड़वा सत्य है कि या तो केदार मूलक का राजनैतिक अस्तित्व पूर्णतः समाप्त करना चाह रहे या फिर आशीष जैस्वाल को किसी के इशारे पर पुनः विधानसभा पहुंचा कर बड़ी रोटी सेकनी चाह रहे.
क्यूंकि केदार की चाल से हिंगणा में बंग और रामटेक में विशाल बरबटे को नुकसान होगा इसकी भनक लगते ही शिवसेना नेता भास्कर जाधव ने केदार को भला-बुरा कहकर उनकी पोल खोल दी.
उल्लेखनीय यह है कि अब केदार के पास सावनेर में मेहनत कर सीट बरक़रार रखने के अलावा कोई चारा नहीं,इसलिए वे ज्यादा समय सावनेर में दे रहे,क्यूंकि उनके खिलाफ उनका ही पुराना प्रतिद्वंद्वी और उसका करीबी समाचारपत्र सक्रिय है,जरा भी चूक हुई तो बड़ा राजनैतिक नुकसान हो सकता हैं.
उल्लेखनीय यह है कि वर्त्तमान में उक्त घटनाक्रम के मद्देनज़र सावनेर से केदार,कामठी से बावनकुले,रामटेक से आशीष जैस्वाल,उमरेड से सुधीर पारवे,हिंगणा से समीर मेघे,काटोल से सलिल देशमुख की जीत की संभावना है,इसके बावजूद अभी क़त्ल की रात बांकी है,कुछ भी बड़ा उलटफेर को नाकारा नहीं जा सकता है.