शिवसेना सा हाल हुआ एनसीपी का,शरद पवार की संदिग्ध भूमिका पर सवाल ?

– महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर,शिंदे की तर्ज पर अजित पवार ने झटका दिया शरद पवार को और बने उपमुख्यमंत्री

नागपुर :- राज्य में जब कभी भी ग्राम पंचायत चुनाव हुआ करते थे,पक्ष के कार्यकर्ता सह पक्ष सक्रिय होने के बावजूद ग्राम पंचायत में सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी पक्ष से हाथ मिला लिया जाता था,फिर दोनों पक्ष राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर कट्टर राजनैतिक दुश्मन क्यों न हो। उसी तर्ज पर आज एनसीपी के अधिकांश विधायक उनके नेता अजित पवार के नेतृत्व में अभी अभी शिवसेना(शिंदे) के नेतृत्व वाली एवं भाजपा के सहयोगी दल के साथ सरकार में शामिल हो गई। राजनैतिक जानकारों के अनुसार एक बड़ी राजनैतिक षड्यंत्र के तहत शरद पवार को पक्ष ने लेकर उक्त पहल/प्रयोग किया गया है। याद रहे कि जब शिवसेना में एकनाथ शिंदे ने फुट डाली थी तो एकमात्र आरोप लगाया गया था कि पुत्र/चापलूसों के मोह में कट्टर कार्यकर्ताओं/नेताओं को उद्धव ठाकरे ने सिरे से नज़रअंदाज़ किया था। लेकिन एनसीपी में ऐसी बात नही थी,शरद पवार ने भी राजनीत में आगे बढ़ने के लिए अपने गुरु के कंधों पर पैर रख आगे बढ़े,राजनीतिक क्षेत्र के बड़े जानकर जरूर है लेकिन राजनीत में भरोसेमंद खिलाड़ी कभी रहे नहीं। शरद पवार की कथनी और करनी में बड़ा फर्क रहा,नतीजा आज शरद पवार के इर्द गिर्द रहने वाले सभी उनके भतीजे के नेतृत्व में शिंदे-भाजपा सरकार का हिस्सा बन गए। आज 9  एनसीपी के विधायक राज्य में मंत्री बने,वहीं जल्द दिल्ली में होने वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव के दौरान प्रफुल पटेल सह एखाद एनसीपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते है,इस दौरान शिंदे गुट के भी 2 सांसद को मंत्री बनाया जा सकता है। अभी अभी राज्य सरकार में एनसीपी के शामिल होने के बाद पहले से भाजपा-शिंदे गुट के विधायक मंत्री बनने का सपना देख रहे,उनके सपनों पर फिलहाल पानी फिर गया। अब नए समीकरण के हिसाब से एनसीपी के पास से विपक्ष नेता पद हट जाएगा,और कांग्रेसी विधायक को बनाने की प्रक्रिया आरंभ होगी। देखिए समय का चक्र जब शिवसेना,एनसीपी व कांग्रेस ने संयुक्त रूप से सरकार बनाई थी तब कांग्रेस का अस्तित्व नहीं था,अब जब शिवसेना और एनसीपी आधे से ज्यादा फुट कर भाजपा के समर्थन से सरकार का हिस्सा बन गई तो वही कांग्रेस विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी का रूप ले ली। अब कांग्रेस में भी विपक्ष नेता कट्टर कांग्रेसी को बनाया जाएगा या फिर सरकार में मांडवली करने में माहिर या फिर सरकार की हाँ में हाँ मिलाने वाले को विपक्ष नेता पद सौंपा जाएगा। फिलहाल शरद पवार जो भी बयानबाजी कर ले बिना उनको पक्ष में लिए एनसीपी में दो फाड़ नहीं हुआ ऐसा गर्मागर्म चर्चा का विषय बना हुआ है,यह भी चर्चा है कि भाजपा जैसे जैसे देश में मजबूत होती जा रही,वैसे वैसे अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगे बढ़ाने के बजाय कांग्रेस,एनसीपी,सेना आदि पक्ष को फोड़ उनके बड़े नेताओं को तरजीह दी रही है।

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