नागपुर :- केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेजों में एससी, एसटी, वीजे, एनटी, एसबीसी, ओबीसी तथा ईबीसी, ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के छात्रों की ट्यूशन फीस यानी छात्रवृति की रकम दी जाती है.
प्राइवेट कॉलेजों के लिए यही रकम व्यवस्था को चलाने में मददगार बनती है लेकिन सरकार ने शैक्षणिक सत्र २०२१-२२ से इंजीनियरिंग के साथ ही पॉलिटेक्निक, आर्किटेक्चर, एमबीए, फार्मेसी आदि कॉलेजों को ट्यूशन फीस छात्रवृति की करीब ४० फीसदी से अधिक रक्कम अदा नहीं की है.
यही वजह है कि प्राध्यापकों के वेतन सहित अन्य खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. अब नये सत्र में भी यही स्थिति बनी हुई है. 31 मार्च आने में करीब महीनाभर का समय रह गया है लेकिन अब तक रकम जारी नहीं की गई है. सत्र २०२२-२3 की १०० फीसदी छात्रवृति की रकम भी सरकार ने रोक रखी है.
लगभग ६ माह पहले केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति कैटेगरी के कुछ विद्यार्थियों के बैंक खाते में ट्यूशन फीस छात्रवृति के ६० फीसदी रकम के हिस्से का भुगतान किया गया था लेकिन अनेक विद्यार्थियों द्वारा बैंक खाते में जमा हुई रकम को जमा नहीं करने के चलते कॉलेजों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा. केंद्र व राज्य सरकार के इस रवैये से आर्थिक हालत खस्ता होती जा रही है.
…तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
रकम नहीं मिलने से प्राध्यापकों सहित गैर शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन विलंब से हो रहा है. इससे कर्मचारियों में असंतोष का माहौल बन गया है. इस संबंध में विदर्भ अन-एडेड इंजीनियरिंग कॉलेज मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष व विधायक अभिजित वंजारी, महासचिव अविनाश दोरसटवार तथा राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विवि के सीनेट सदस्य अजय अग्रवाल ने राज्य के मुख्य सचिव मनुकुमार श्रीवास्तव से मंत्रालय, मुंबई में मुलाकात कर जल्द से जल्द छात्रवृति की रकम जारी करने की मांग की.
चर्चा के दौरान श्रीवास्तव ने बताया कि वे सामाजिक न्याय विभाग, आदिवासी विभाग अन्य पिछड़ावर्गीय विभाग तथा उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिवों को निर्देश जारी कर शैक्षणिक वर्ष २०२१-२२ तथा २०२२-२3 की प्रलंबित रकम का भुगतान कराने की दिशा में प्रयास करेंगे. दोरसटवार ने बताया कि एसोसिएशन की ओर से किरण पांडव के नेतृत्व में सभी संस्था चालक बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर ध्यान आकर्षित कराएंगे. इसके बाद भी रकम जारी ही की गई तो फिर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी.
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