समृद्धि महामार्ग : गुणवत्तापूर्ण निर्माणकार्य नहीं हो रहा..

पुलिया निर्माण के दौरान ढही,न ठेकेदार और न एमएसआरडीसी गंभीरता से ले रही 

 हिंगणा – समृद्धि महामार्ग पर नागपुर जिले के पैकेज 1 में वन्यजीव ओवरपास ब्रिज बनाया जा रहा था। जो की निर्माण कार्य के दौरान 24 अप्रैल को रात 3 बजे के दरमियान ब्रिज का कुछ हिस्सा गिर गया था। जिसमे हिंगणा पुलिस स्टेशन में आकस्मिक मृत्यु 26/2022 के तहत दर्ज मामले में एक मजदूर की मौत होने की पुष्टी होती है। लेकीन इस घटना को निर्माण कार्य करने वाली मेघा कंपनी मानने को तैयार नहीं हैं अगर यह हादसा रात को नही होते हुए दिन में हुआ होता तो कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती थी। ब्रिज गिरने की घटना रात के समय होने की वजह से एक बड़ा दिल दहला देने वाला हादसा टला है। लेकीन महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल मर्या. (एमएसआरडीसी) के आला अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मामले की जांच भी ठंडे बस्ते में डाल दी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र समृद्धि राजमार्ग नागपुर जिले के निर्माण पैकेज 1 की लंबाई 31 किमी है। यह कार्य किमी. 0+000 (शिवमडका) से किमी. 31+000 (आमगाँव खड़की) तक स्थित है। इस कार्य का ठेका मे. मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लि. कंपनी को ईपीसी के आधार पर दिया गया है। यह कार्य 01.11.2019 को शुरू हुआ था और 30 महीने में पूरा किया जाना है। मे. के एंड जे प्रोजेक्ट प्रा. लिमिटेड इस काम के अथॉरिटी इंजीनियर हैं।

प्रत्यक्षदर्शी सूत्रों के अनुसार हिंगना तहसील के मौजा पीपलधरा में किमी 15+140 पर वाइल्ड लाइफ ओवरपास का कार्य प्रगति पर किया जा रहा था। अप्रैल महीने के अंत में इसके सबस्ट्रक्चर का काम पूरा हो गया था। इस वाइल्डलाइफ ओवरपास में कुल 105 मेहराबों में से 101 मेहराबें खड़ी की गई थीं। 24.04.2022 को तड़के 3 बजे के करीब मुंबई कॉरिडोर के मेहराबों पर कंक्रीट का काम करते समय 17 मेहराब क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस घटना को दबाने के लिए तत्काल पोकल्याड द्वारा क्षतिग्रस्त हिस्से को पूरी तरह से हटा दिया गया था।

उल्लेखनीय यह है कि हिंदूहृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग का नागपुर से वाशिम के सेलू बाजार के बीच पहले चरण का 2 मई को होने वाला लोकार्पण के चलते वन्यजीव ओवरपास का कार्य दीन रात चल रहा था। समय पर इस काम को पूरा करने के लिए काफी दबाव बनाया गया था। जिसके लिए रोजाना इस ब्रिज के निर्माण कार्य के लिए एमएसआरडीसी नागपुर के अधिकारी, सलाहगार अभियंता की टीम, निमार्ण कार्य करने वाली मेघा कंपनी के उपाध्यक्ष मधुसूदन राव, प्रोजेक्ट मैनेजर स्व. श्रीनिवास रेड्डी सहित 50 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी यह मौजूद रहा करते थे। अप्रैल महीने के अंत में कड़कड़ाती धूप से बचने के लिए सभी लोग ब्रिज के नीचे खड़े रहते थे। ब्रिज के नीचे ही गाडियां भी खड़ी रहती थी। अगर यह हादसा रात के बजाय दीन में होता तो कितनी बड़ी जीवहानि होती। इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। मिली जानकारी के अनुसार ब्रिज गिरने की घटना सुनने के बाद वहा दीन के समय धूप से बचने के लिए खड़े रहने वालो के रौगटे खड़े हो गए थे।

विडम्बना यह है कि आर्च तरीके से बनाए जानें वाले वन्यजीव ओवरपास ब्रिज के गिरते समय वहा कांग्रेट की ढलाई का काम जारी था। इससे यह स्पष्ट होता है कि ब्रिज के ऊपरी हिस्से में मजदूर काम कर रहे थे। जब ब्रिज का कुछ हिस्सा नीचे गिरा तो उसके साथ ऊपर काम करने वाले मजदूर भी गिरे होंगे। जिसमे किसीको कुछ भी हताहत नहीं हुई ऐसा संभव नहीं है। इस मामले को दबाने के लिए मेघा कंपनी द्वारा कहा जा रहा है कि इस घटना में किसी तरह की जीवहानी नही हुई है। जो की समझ से परे है।

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