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– ऊपरी तौर से जिले के सभी कांग्रेसी,एनसीपी नेता एक मंच पर
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नागपुर :- जिले में सबसे ज्यादा राजनैतिक रूप से सक्रिय एकमात्र जनप्रतिनिधि सुनील केदार हैं,जो 365 में से 300 दिन जिले की खाक छानता रहता है,वह भी पिछले डेढ़ दशक से.इसे शुद्ध रूप से प्रोफेशन मान कर भिड़ा रहता है,इस बीच अकारण आड़े आने वालों को उनकी उग्रता का शिकार होना पड़ता हैं.
इसलिए जब भी फल खाने या चुनाव की बारी आती है तो रत्तीभर हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं करते अक्सर देखा गया हैं.दूसरी ओर राजनैतिक रूप से हस्तक्षेप करने के इच्छुक जिले,प्रदेश, राज्य स्तरीय व केंद्र स्तर के कांग्रेसी नेताओं ने इस लोकसभा चुनाव में केदार के दबाव में उसके मनमाफिक उम्मीदवारों को ‘बी फॉर्म’ दे दिया लेकिन सभी ने एकजुट होकर इस चुनाव में खुन्नस निकालने की योजना बनाई हैं,अर्थात इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रश्मि बर्वे या विवादास्पद बबलू बर्वे को हारने के साथ ही साथ केदार का राजनैतिक अस्तित्व मिटटी पलित करने की कोशिश करने की विश्वसनीय जानकारी मिली हैं.
केदार विरोधी मुकुल वासनिक गुट की ओर से किशोर गजभिये ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर न सिर्फ फॉर्म भरा,बल्कि उन्हें विश्वास है कि रश्मि बर्वे की उम्मीदवारी रद्द हो सकती है और ऐसे में AICC उन्हें समर्थन दे सकती हैं.इस डर से केदार खुद वाकिफ थे इसलिए रश्मि के पति बबलू बर्वे का भी आवेदन जमा करवा दिए हैं.जबकि ऐसी सूरत में निर्विवादित नरेश बर्वे का आवेदन जमा करवाना चाहिए था केदार को लेकिन नरेश बर्वे कभी केदार के GOOD BOOK में नहीं थे,इसलिए दूसरी बार उनका लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका उनके हाथ से चला गया.
सूत्र बतलाते है कि रश्मि बर्वे के खिलाफ कोर्ट जाने वालों के पीछे भाजपा समर्थित कांग्रेसी नेता हैं.
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में जिले से ‘सिंगल नाम’ केदार समर्थक का जाये,इसलिए स्थानीय कांग्रेसी नेताओ पर केदार ने दबाव बनाया,इतना ही नहीं कांग्रेस समर्थित अन्य पक्ष भी केदार के उम्मीदवार का समर्थन व सहयोग करें,इसके लिए भी दबाव बनाया गया.
इतना ही नहीं प्रदेश कांग्रेस पर भी उनके उम्मीद को अधिकृत करने का दबाव बनाते हुए अकेले के दम पर लोकसभा जीतने का शीर्षस्थ नेताओं को भरोसा दिलाया गया.
उक्त दबावतंत्र से क्षुब्ध गल्ली से लेकर दिल्ली तक के कांग्रेसी नेता एकजुट होकर इस लोकसभा चुनाव में केदार को राजनैतिक रूप से निपटाने का प्लान बनाए हुए हैं,इनमें प्रदेश कांग्रेस और AICC के पूर्व,वर्त्तमान पदाधिकारी,जिले में मुकुल वासनिक समर्थक,उद्धव सेना और एनसीपी शरद के नेता कार्यकर्ताओं का समावेश है.नितिन राउत,अतिमहत्वकांक्षी कुणाल राऊत,प्रकाश गजभिये सह पुनः कृपाल तुमाने का चुनाव लड़ने का सपना धरा का धरा रह गया.कांग्रेसी आंतरिक द्वंद्व का फायदा निःसंदेह कांग्रेस के बागी व भाजपा समर्थित व शिंदे सेना के उम्मीदवार को हो सकता हैं.