– चुनावी नेटवर्क भाजपा का होगा,तभी राजी हुए लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए,वातावरण अनुकूल हैं !
रामटेक :- लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद जब रामटेक लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को अपना हिन्दू SC सक्षम उम्मीदवार नहीं मिल रहा था,तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने अपने बेहद करीबी उमरेड से कांग्रेसी विधायक राजू पारवे को बरगलाना शुरू किया।
इस मामले में जब बावनकुले की दाल गल गई तो रामटेक के शिंदे गुट के शिवसैनिकों की मांग पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भाजपा पर दबाव बनाकर रामटेक लोकसभा सीट अपने कब्जे में की,लेकिन भाजपा ने दूसरी चाल खेलते हुए शिंदे को इस बात के लिए मना लिया कि पक्ष शिंदे गुट का और उम्मीदवार भाजपा के मनमाफिक। इस बात को जब सहमति एकनाथ शिंदे ने प्रदान की तो राजू पारवे ने कांग्रेस छोड़ा और भाजपा-शिंदे सेना के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति में शिंदे सेना JOIN किया।
उक्त घटनाक्रम के कुछ दिन पहले पारवे ने देवेंद्र फडणवीस से उनके बंगले में गुप्त बैठक की थी.
वहीं पारवे लोकसभा चुनाव रामटेक से लड़ने के लिए तैयार नहीं थे,वे उमरेड तक सिमित रहना चाहते थे और सर्व पक्षीय नेताओं से मिलजुलकर उमरेड का विकास करना चाहते थे.
जब बावनकुले ने अपने सम्बन्ध का वास्ता देकर पारवे को मनाया तो पारवे दो बातों पर अड़ गए,पहला जिले में चुनावी मोर्चा सँभालने के लिए संगठन और चुनावी खर्च कौन करेगा। पारवे के जायज मुद्दों पर बावनकुले ने भाजपा की पूर्ण प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष संगठन सक्रिय करने और चुनाव में लगने वाली अनगिनत खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली ,तब पारवे ने दल-बदल के लिए राजी हुए.
उल्लेखनीय यह है कि पारवे मूलतः शिवसेना के ही है,फिर कांग्रेस में आये और बावनकुले के समर्थन से ‘दिल से भाजपा और दिमाग से शिंदे सेना के’ हो गए.जबकि शिंदे सेना का रामटेक विधानसभा क्षेत्र छोड़कर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में न के बराबर नेटवर्क हैं.सर सुर सिर्फ बावनकुले के विश्वास पर पारवे ने लोकसभा चुनाव लड़ने का साहस किया।
पारवे का व्यवहार की वजह से उन्हें सर्वपक्षीय सहयोग मिलने की अपेक्षा है,क्यूंकि कांग्रेस के तथाकथित उम्मीदवार विवादास्पद हैं.