– कई सरकारी इमारतों में भी नही लगा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम,सभी आवासीय क्षेत्र में अनिवार्य हो “रेन वॉटर हार्वेस्टिंग”
नागपुर :- दिनो दिन सीमेंट का जंगल जमीन को अपने आगोश में ले रहा है। जिससे शहरो में भूजल के स्तर में गिरावट आ रहनी। बारिश के जल को संरक्षित करने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सबसे बेहतर तरीका है। भूजल के स्तर को सुधारने के लिए यह सबसे उत्तम पद्धति है। सरकार बीते कई सालों में भूजल दोहन को रोकने के साथ ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने को लेकर आम लोगों को जागरूक करने में जुटी है। बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया था ।
इसी के चलते प्रशासन ने तीन सौ मीटर या उससे बड़े मानचित्रों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया गया था। जल संरक्षण के कागजों में खूब नियम और कानून बनाए गए हैं,लेकिन इन नियमों को धरातल में कोई पालन नहीं हो रहा है। न ही कही कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
प्रशासन के अधिकारी भी इसको लेकर बहुत ज्यादा गंभीर नहीं रहते हैं। अक्सर कागजों में ही अनिवार्य शर्तों को पूरा करा लिया जाता है, जबकि हकीकत में कभी कोई अधिकारी शायद ही स्थलीय निरीक्षण के लिए जाता हो। अफसरों की लापरवाही नतीजा है कि जिले की सरकारी इमारतों में भी गिनती के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं। जहा लगे है उनकी सालों तक मरम्मत न होने के कारण भी वह काम करना बंद कर देते हैं। सभी सरकारी इमारतों को जांच होनी चाहिए।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में करीब 7.50 लाख संपत्तियों में से सिर्फ़ 1,463 में भूजल को बढ़ावा देने के लिए वर्षा जल का संचयन किया जाता है
नागपुर महानगर पालिका अपने पर्यावरण अनुकूल पहल में इसे शामिल करके रेल वाटर हार्वेस्टिंग (आरडब्ल्यूएच) को बढ़ावा दे रहा है, जिसके तहत यह नागरिकों को ऐसे उपायों को लागू करने के लिए संपत्ति कर में 5% की छूट प्रदान करता है। हालाँकि शहर में 7.50 लाख संपत्तियों में से करीब करीब 1,463 मालिकों या सिर्फ़ 0.92% ने आरडब्ल्यूएच को अपनाया है। नागपुर महानगर पालिका के संपत्ति कर विभाग से डेटा माँगें 5440 मालिकों या सिर्फ़ 0.77% ने आरडब्ल्यूएच, सौर ऊर्जा उपयोग, जल अपशिष्ट पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग, और वर्मीकंपोस्टिंग जैसे पर्यावरण अनुकूल उपायों को लागू किया है। आंकड़ों के अनुसार 3,067 घरों ने सोलर पैनल लगाने, 5002 लोगों ने अपशिष्ट जल के चक्रण और पुनः उपयोग के लिए तथा 5008 लोगों ने कचरे से वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए 5% छूट का दावा किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हनुमान नगर क्षेत्र में 531, लक्ष्मी नगर क्षेत्र में 215, सतरांजपुरा क्षेत्र में केवल 5, आसीनगर क्षेत्र में 18 ने आरडब्ल्यूएच को लागू किया है। 28 अगस्त 2009 से प्रभावी हुए नियमों के अनुसार गैर गौठान क्षेत्रों में 300 वर्ग मीटर (3,228 वर्ग फीट) और उससे अधिक के भूखंड के लिए आरडब्ल्यूएच अनिवार्य है।
पिछले दो वित्तीय वर्षों (2022-23 और 2024-25) में नगर नियोजन विभाग ने 165 भूखंडों के लिए भवन निर्माण योजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने की शर्त है। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि विभाग इस संबंध में कभी निरीक्षण नहीं करता है।
पर्यावरण मित्र डॉ. प्रवीण डबली ने कहा की शहर के सभी सरकारी भवनों, शैक्षणिक संस्थानों, पार्कों, अस्पताल और विश्वविद्यालयों में आरडब्ल्यूएच अनिवार्य होना चाहिए और स्कूलों, होटलों, रेस्तरां और मॉल जैसी निजी संस्थाओं में भी इसे जरूर लागू करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कर इसे लागू करने में छूट दी हैं तो न लागू करने पर जुर्माना भी होना चाहिए।
ज्ञात हो की इससे पहलें भी डॉ. प्रवीण डबली ने शहर के ऐतिहासिक कुओं को पुनर्जीवित करने व उसका जल स्तर को बढ़ाने के लिए पुनरुद्धार का मुद्दा उठाया था।
डॉ. डबली ने कहा की सड़को पर बारिश कें दिनो में पानी जमा होता है व बह जाता है। यदि रोड बनाते समय हो सड़क के बाजू में ही ‘रोड वाटर हार्वेस्टिंग’ की योजना बनाई जानी चाहिए। वैसे भी शहर में जमीन बची कहां है, सबका सीमेंटीकरण हों गया है। ऐसे में रोड वाटर हार्वेस्टिंग ही धरती के भीतर का जलस्तर बड़ा सकता है। अगर अभी भी लोग नहीं जागे तो आने वाले दिनों में पेयजल का भयावह संकट पैदा होगा।
क्या है सरकारी नियम!
नागपुर मार्च 2005 से नागपुर की सभी इमारतों में वर्षा जल संचयन अनिवार्य है। उप-कानून की परिकल्पना है कि वर्षा जल संचयन के प्रावधान के बिना किसी भी इमारत की अनुमति नहीं दी जाएगी। एक नियम के रूप में, खुले स्थानों के सभी लेआउट, हाउसिंग सोसायटी की सुविधाओं की साइट और 300 वर्ग मीटर या उससे अधिक के नए निर्माण। एक या अधिक वर्षा जल संचयन संरचनाएं होनी चाहिए जैसे खुले कुएं या बोरवेल, या भूमिगत भंडारण टैंक या रिसाव गड्ढे। मालिक/समाज को इन संरचनाओं का रखरखाव भी सुनिश्चित करना चाहिए। यदि उपरोक्त नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो नागपुर महानगर पालिका द्वारा जुर्माने का प्रावधान भी है।
कैसे बनाए हार्वेस्टिंग सिस्टम
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए सबसे पहले जमीन में 3 से 5 फीट चौड़ा और 6 से 10 फीट गहरा गड्ढा करके इसमें सबसे नीचे मोटा पत्थर, कंकड़ बीच में मध्यम आकर के पत्थर, रोड़ी और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाली जाती है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है। छत से पानी एक पाइप के जरिए इसी गड्ढेे में उतारा जाता है। गड्ढे से पानी धीरे-धीरे छनकर जमीन के भीतर चला जाता है। इसी तरह फिल्टर के जरिए पानी को टैंक में एकत्र किया जाता है।